COPD Day-2024 : बिगड़ती वायु गुणवत्ता सीओपीडी को वैश्विक महामारी में बदल रही

UPT | सीओपीडी दिवस 2024 के मौके पर सीओपीडी वैश्विक महामारी के बारे में जानकारी देते डॉक्टर वेद प्रकाश।

Nov 20, 2024 13:24

केन्द्र पर सीओपीडी के लक्षणों वाले मरीजों की पूरी शारीरिक जाॅच कर के बीमारी का निदान और चरण का सटीक मूल्यांकन किया जाता है। इसके लिये स्पायरोमेट्री, बाडी-प्लेथिस्मोग्राफी डिफ्यूजन स्टडी, फोर्स्ड आसिलोमेंट्री (एफओटी), हाई रिजोल्यूसन सीटी स्कैन जैसी अत्याधुनिक सुविधाये

Short Highlights
  • हवा की गुणवत्ता में गिरावट सीओपीडी संकट को बढ़ावा 
  • खुलकर सांस लेने के लिए अभी से कदम उठाएं बने जागरूक
  • अपने फेफड़ों की कार्यप्रणाली को जानना सांस की सुरक्षा के लिए पहला कदम 
Lucknow News : वैश्विक व्यापकता- वैश्विक स्तर पर अनुमानत वर्ष 2023 तक लगभग 48 करोड़ लोग सीओपीडी से ग्रसित थे। वर्ष 2050 तक इसका प्रसार 23 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है, जो संभावित रूप से लगभग 60 करोड़ लोगो तक पहुंच जाएगी। यह वृद्धि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में अधिक रहेगी और विशेषकर पुरुषो की अपेक्षा, महिलाओं को अधिक प्रभावित कर सकती है।

सीओपीडी दुनिया भर में मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण
सीओपीडी दुनिया भर में मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण है, जो गैर-संचारी रोगों होने वाली मृत्यु दर में महत्वपूर्ण योगदान देता है।  मृत्यु दर- अनुमान 2019 में, सीओपीडी के कारण दुनिया भर में लगभग 32 लाख मौतें हुईं थी। भारत में 5.5 करोड़ से अधिक लोग सीओपीडी से पीड़ित हैं। जोखिम कारकों में प्रमुखतः धूम्रपान शामिल है, जो भारत में लगभग 40 प्रतिषत मामलों के लिए जिम्मेदार है। खाना पकाने और हीटिंग के लिए बायोमास ईंधन का उपयोग सीओपीडी को बढ़ाता है जैसे विशेष रूप से ग्रामीण घरों में इस्तेमाल होने वाले कंडे, उपलो से होने वाला इनडोर वायु प्रदूषण सीओपीडी को ग्रासित परिवेष में हाने वाली प्रमुख बीमारी बनाता है। सीओपीडी अक्सर अन्य पुरानी बीमारियों, जैसे हृदय संबंधी स्थितियां, मधुमेह और मानसिक स्वास्थ्य विकारों के साथ सह-अस्तित्व में रहती है, जिससे समग्र स्वास्थ्य परिणाम और इस बीमारी का समुचित प्रबंधन जटिल हो जाता है।

सीओपीडी क्या है?
केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागध्यक्ष प्रो0 (डा0) वेद प्रकाश ने बताया कि क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) फेफड़ों की एक निरंतर बढ़ने वाली बीमारी है। जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। इसमें क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और एम्फाइसीमा जैसी स्थितियां शामिल हैं। सीओपीडी वाले लोग अक्सर पुरानी खांसी, सांस की तकलीफ, घरघराहट और सीने में जकड़न जैसे लक्षणों का अनुभव करते हैं। यह बीमारी दैनिक जीवन को व्यापक रूप से प्रभावित कर सकती है और अगर ठीक से प्रबंधन न किया जाए तो गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं।

विश्व सीओपीडी दिवस, जो इस वर्ष 20 नवंबर 2024 को मनाया जा रहा
विश्व सीओपीडी दिवस, जो इस वर्ष 20 नवंबर 2024 को मनाया जा रहा है। दुनिया भर में स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों और सीओपीडी रोगी समूहों के सहयोग से ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव लंग डिजीज (गोल्ड) द्वारा आयोजित किया जाता है। विश्व सीओपीडी दिवस 2024 का विषय “अपने फेफड़ों के कार्य क्षमता को जानें”। इस थीम का उद्देश्य फेफड़ों की कार्यप्रणाली को मापने के महत्व पर प्रकाश डालना है, जिसे स्पाइरोमेट्री भी कहा जाता है। स्पिरोमेट्री एक सरल और प्रारम्भिक परीक्षण है जो यह मापता है कि आप कितनी हवा अंदर ले सकते हैं और बाहर छोड़ सकते हैं। सीओपीडी और फेफड़ों की अन्य स्थितियों के निदान के लिए यह परीक्षण महत्वपूर्ण है।

सीओपीडी का प्रभाव
केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागध्यक्ष प्रो0 (डा0) वेद प्रकाश ने बताया कि सीओपीडी के सामान्य लक्षणों में निम्न शामिल हैं। इनमें पुरानी खांसी, सांस लेनेे में तकलीफ, घरघराहट, सीने में जकडन, थकान और बार-बार श्वसन संक्रमण होना है। इसके अलावा अनपेक्षित वजन घटना, दैनिक क्रियाकलाप करने में कठिनाई होना। जैसे-जैसे सीओपीडी बढता है, लोगों को अपनी सामान्य दैनिक गतिविधियां करने में अक्सर सांस फूलने के कारण अधिक कठिनाई होती है। चिकित्सा उपचार की लागत के कारण काफी वित्तीय बोझ हो सकता है। सीओपीडी के अटैक के समय उन्हें घर पर अतिरिक्त उपचार प्राप्त करने या आपातकालीन देखभाल के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवष्यकता हो सकती है। गंभीर अटैक जीवन के लिए खतरा हो सकता है। 

सीओपीडी का उपचार
1. ब्रोंकोडाईलेटर्स
2. इनहेल्ड कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स
3. पलमोनरी रिहैबिलिटेषन
4. ऑक्सीजन थेरेपी
5. सर्जरी

उन्होंने बताया कि आपके फेफड़ों की कार्यप्रणाली को जानना कई कारणों से आवश्यक है। 
शीघ्र पता लगाना- नियमित फेफड़ों के कार्य परीक्षण से सीओपीडी को प्रारंभिक चरण में पकड़ने में मदद मिल सकती है, जब यह सबसे अधिक प्रबंधनीय होता है। बीमारी के पता चलने से शीघ्र समय पर समुचित उपचार किया जा सकता है, जिससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है और रोग की प्रगति धीमी हो सकती है।
रोग की प्रगति की निगरानी करना- जिन लोगों में पहले से ही सीओपीडी की बीमारी का पता है, उनके लिए नियमित स्पिरोमेट्री परीक्षण रोग की प्रगति और उपचार की प्रभावशीलता की निगरानी करने में मदद कर सकते हैं। देखभाल के बारे यह जानकारी उपयुक्त निर्णय लेने के लिए मदद करती है।
अच्छी जीवनशैली को अपनाकर अपने फेफड़ों की कार्यप्रणाली को बेहतर किया जा  सकता है। यदि आपके फेफड़ों की कार्यक्षमता कम हो रही है, तो यह आपको धूम्रपान छोड़ने, फुफ्फुसीय पुनर्वास में संलग्न होने या फेफड़ों के स्वास्थ्य में सहायता करने वाली स्वस्थ आदतें अपनाने के लिए प्रेरित कर सकता है।
स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के बेहतर परामर्ष से आपके फेफड़ों की कार्यप्रणाली को बेहतर किया जा सकती है। 



सीओपीडी पर वायु प्रदूषण का प्रभाव
पार्टिकुलेट मैटर (पीएम2.5 और पीएम10), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ₂), और सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ₂) जैसे वायु प्रदूषकों के लगातार संपर्क से फेफड़ों में सूजन और क्षति हो सकती है, जिससे इसका खतरा बढ़ जाता है। 
लक्षणों का बढ़ना- खराब वायु गुणवत्ता सीओपीडी के गंभीर रूप को बढ़ावा दे सकती है, जिससे सांस फूलना, खांसी और घरघराहट जैसे लक्षण बिगड़ सकते हैं और अस्पताल में भर्ती होने की संख्या बढ़ सकती है। 

सीओपीडी देखभाल में पल्मोनरी एण्ड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग की भूमिका
हमारे केन्द्र पर सीओपीडी के लक्षणों वाले मरीजों की पूरी शारीरिक जाॅच कर के बीमारी का निदान और चरण का सटीक मूल्यांकन किया जाता है। इसके लिये स्पायरोमेट्री, बाडी-प्लेथिस्मोग्राफी डिफ्यूजन स्टडी, फोर्स्ड आसिलोमेंट्री (एफओटी), हाई रिजोल्यूसन सीटी स्कैन जैसी अत्याधुनिक सुविधाये है जो बीमारी के शीध्र निदान में मदद करती है। हमारे केन्द्र में आधुनिक वेटींलेटर, वरिष्ठ विषेषज्ञ चिकित्सक एवं प्रषिक्षित नर्सिग स्टाफ से सुसज्जित उत्कृष्ट क्रिटिकल केयर यूनिट (आईसीयू) है। जो सीओपीडी के गम्भीर अटैक का त्वरित आपातकालीन इलाज प्रदान करने में सक्षम है। हम कड़े संक्रमष नियंत्रण प्रोटोकाल और आईसीयू स्वच्छता प्रथाओं का पालन करके वेंटिलेटर- सम्बद्ध निमोनिया (वैप) के जोखिम को 10ः से भी कम करने में सक्षम हुये है। जो कि एक उत्कृष्ट आंकड़ा है।

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