गैंगस्टर एक्ट के प्रावधानों का पालन न करने पर हटाए गए अमरोहा के डीएम : सरकार ने सचिवालय से किया संबद्ध

UPT | आईएएस राजेश त्यागी।

Sep 28, 2024 18:10

गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई करते समय उसके नियमों और उच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों का पालन न करने पर लापरवाही पर प्रदेश सरकार ने अमरोहा के जिलाधिकारी राजेश त्यागी को पद से हटाकर सचिवालय से संबद्ध कर दिया है।

Lucknow News : गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई करते समय उसके नियमों और उच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों का पालन न करने पर लापरवाही पर प्रदेश सरकार ने अमरोहा के जिलाधिकारी राजेश त्यागी को पद से हटाकर सचिवालय से संबद्ध कर दिया है। इसके साथ ही उन्हें कोई फील्ड पोस्टिंग नहीं दी गई है। सरकारी अधिवक्ता ने इस आशय की जानकारी न्यायमूर्ति वीके कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ के समक्ष दी। आईएएस अधिकारी राजेश त्यागी ने बिना किसी औचित्य दर्ज किए और दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए बिना कई मामलों में आरोपियों के खिलाफ गैंग चार्ट को मंजूरी दे दी, जो कि उत्तर प्रदेश गैंगस्टर और सामाजिक गतिविधि (रोकथाम) नियम, 2021 और उच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के विपरीत है।

राजेश त्यागी ने स्वीकार की गलती
विवादित प्राथमिकी के गिरोह चार्ट को तैयार और अनुमोदित करते समय अमरोहा के पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी ने जरूरी संतुष्टि दर्ज नहीं की। जबकि गैंगस्टर एक्ट के तहत गिरोह चार्ट को अनुमोदित करने के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा संतुष्टि दर्ज करना जरुरी है। कोर्ट ने इसे सक्षम अधिकारी की सरासर लापरवाही बताते हुए कहा कि अमरोहा से ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें संबंधित अधिकारियों ने नियम 2021 की अनदेखी की है। कोर्ट के आदेश के अनुसरण में जिलाधिकारी ने एक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल किया, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया कि कि वह लोकसभा चुनाव में व्यस्त रहने के कारण गैंग चार्ट को मंजूरी देते समय उचित उचित संतुष्टि दर्ज नहीं कर सके और पूर्व टाइप अनुमोदन पर हस्ताक्षर कर दिया।
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सरकारी अधिवक्ता ने कोर्ट किया सूचित
सरकारी अधिवक्ता ने कोर्ट को जिलाधिकारी का स्थानांतरण करने के बारे में सूचित कर दिया। कोर्ट ने अधिकारियों के खिलाफ कोई और आदेश पारित करना उचित नहीं समझा। सरकार पर उचित कार्रवाई करने की जिम्मेदारी छोड़ दी। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने आसिफ के खिलाफ अधिनियम, 1986 की धारा 3 (1) के तहत दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया।

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