UPPCL Privatisation : निजीकरण के विरोध में बिजली पंचायत में कर्मचारियों ने दिखाई ताकत, एक जनवरी से बिजली रथ ​निकालने का एलान

UPT | बिजली पंचायत में प्रदेश भर से जुटे कर्मचारी।

Dec 22, 2024 15:29

पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम (PuVVNL) और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम (DVVNL) के निजीकरण के विरोध में रविवार को राणा प्रताप मार्ग स्थित हाईडिल फील्ड हॉस्टल विशाल बिजली पंचायत हुई।

Lucknow News : पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम (PuVVNL) और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम (DVVNL) के निजीकरण के विरोध में रविवार को राणा प्रताप मार्ग स्थित हाईडिल फील्ड हॉस्टल में विशाल बिजली पंचायत हुई। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उप्र के आह्वान पर प्रदेश भर के बिजली अभियंता, कर्मचारी, संविदा कर्मियों के साथ आम उपभोक्ता और किसान भी शामिल हुए। राज्य कर्मचारियों के दर्जनों संगठन और अन्य श्रम संघ के पदाधिकारी पंचायत में नजर आए।

एक जनवरी से निकाला जाएगा बिजली रथ
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक इंजीनियर शैलेंद्र दुबे ने कहा कि बिजली पंचायत में तीन बिंदुओं का प्रस्ताव पारित किया गया है। पहला, बिजली का निजीकरण वापस लिया जाए, क्योंकि इससे उपभोक्ताओं का नुकसान होगा। दूसरा, बिडिंग की प्रक्रिया शुरू होती है, तो बिजली कर्मचारी बिना किसी नोटिस के सड़कों पर उतर आएंगे। तीसरा, ऊर्जा मंत्री और पावर कारपोरेशन का एकतरफा रवैया के खिलाफ जनता के बीच जाने का निर्णय किया गया है। उन्होंने बताया कि एक जनवरी से प्रदेश भर में बिजली रथ निकालकर निजीकरण से होने वाले नुकसान से उपभोक्ताओं को अवगत कराया जाएगा।



यूपी के 41 जिलों की बिजली व्यवस्था होगी प्रभावित
संघर्ष समिति के पदाधिकारी गिरीश पांडेय ने कहा कि दक्षिणांचल और पूर्वांचल वितरण निगम के निजी हाथों में जाने के बाद से यूपी के 41 जिलों की बिजली व्यवस्था प्रभावित होगी। करीब डेढ़ करोड़ उपभोक्ताओं पर इसका असर होने वाला है। इस प्रस्ताव के अनुसार, पांच अलग-अलग कंपनियों को इन जिलों का बिजली बन्दोबस्त सौंपा जाएगा। हर कंपनी को निजीकरण के रास्ते से 30 से 35 लाख उपभोक्ताओं को लूटने की खुली छूट मिलने जा रही है। 

50 हजार संविदा कर्मियों की जायेगी नौकरी
राजीव सिंह ने कहा कि निजीकरण से सात चीफ इंजीनियर (लेवल फर्स्ट), 33 चीफ इंजीनियर (लेवल सेकंड), 144 एसई, 507 एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, 1523 इंजीनियर और 27,818 अन्य स्थायी कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा मंडराने वाला है। प्रस्ताव में ही कहा गया है कि कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर जाएं या वीआरएस लेकर घर बैठें। इनके अलावा 50 हजार से ज्यादा संविदा कर्मियों की रोजी-रोटी छीनने की तैयारी की जा रही है। बिजली विभाग के निजीकरण से केवल इन कर्मचारियों की नौकरी पर ही नहीं, बल्कि आम जन पर महंगी बिजली का जोरदार झटका लगने जा रहा है। 

ट्यूबवेल कनेक्शन का 10 हजार प्रतिमाह आएगा बिल
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के पदाधिकारियों ने कहा कि 25 नवंबर को उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) की वित्तीय समीक्षा बैठक में बिजली विभाग के दक्षिणांचल और पूर्वांचल वितरण निगमों का निजीकरण करने का खाका पेश किया गया। निजीकरण से किसानों को सिंचाई के लिए फ्री बिजली, गरीबों को मुफ्त बिजली, लघु उद्योगों को सस्ती बिजली कैसे मिलेगी? ये प्राइवेट कंपनियां क्या ऐसी तमाम राहत देंगी? अनुमान है 7.5 हॉर्स पॉवर के ट्यूबवेल कनेक्शन का महीने का बिल 10 हजार रूपये तक हो जाएगा। 

कर्मचारियों के आंदोलन को दबाने में जुटी सरकार
ऑल इंडिया पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन के अनुसार, यूपी सरकार कर्मचारियों के आंदोलन को दबाने में जुटी है। 26 नवंबर को ही सरकार ने अधिकारियों को कर्मचारी नेताओं पर निगाह रखने के आदेश जारी कर दिए हैं। अगले छह महीने तक हड़ताल पर रोक लगा दी गई है। तमाम विभागों को पत्र लिखकर मैन पावर की मांग की है। ताकि भविष्य में संभावित हड़ताल के दौरान वह वैकल्पिक व्यवस्था कर सके। उन्होंने कहा कि निजीकरण के खिलाफ हम सभी आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हैं।

संघर्ष समिति की प्रमुख मांगें
  • यूपी में दक्षिणांचल और पूर्वांचल वितरण निगमों समेत बिजली तंत्र के किसी भी हिस्से के निजीकरण पर रोक लगे। जो निजीकरण किया गया है, उसे सरकार वापस ले।
  • बिजली संशोधन बिल, 2022 वापिस लिया जाए
  • पंजाब सरकार की तरह सभी घरेलू बिजली कनेक्शनों पर हर महीना शुरूआती 300 यूनिट पूरी तरह मुफ्त दी जाएं। 
  • यूपी सरकार अपने चुनावी वादे को पूरा करते हुए ट्यूबवेल के बिजली कनेक्शन पर किसानों को बिना शर्त मुफ्त बिजली दी जाए।
  • उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में स्मार्ट मीटर योजना को तुरंत रद्द किया जाए।
  • किसानों को नलकूपों के लिए कम से कम 18 घंटे बिजली की आपूर्ति की जाए।
  • घरेलू और ट्यूबवैल कनैक्शनों पर कनैक्शन चार्ज, तमाम अधिभार आदि की वसूली बन्द की जाए। बिजली खपत के अलावा कोई अन्य चार्ज न लिया जाए।
  • लाइन, ट्रांसफार्मर, बिलिंग मीटर, कनेक्शन काटने व जोड़ने के बदले वसूले जाने वाला पैसा आदि के खर्चे उपभोक्ता से वसूलना बन्द किया जाए।
  • बिजली उपभेक्ताओं से अवैध रूप से वसूले टैक्स का 31725 करोड़ रुपये बिजली विभाग पर जमा है, उसे बिजली के बिलों में समायोजित किया जाय।
  • पिछले सालों में ग्रामीण घरों और ट्यूबवेल कनेक्शनों पर जबरन बढ़ाए गए लोड वापस लिए जाएं।
  • बिजली के रेट ईंधन से जोड़ने, आयातित कोयला खरीदने की बाध्यता का फैसला वापस लिया जाय। दिन और रात के समय पीक आवर्स के बिजली के रेट अलग-अलग तय करने का आदेश वापस लिया जाय।
  • पिछले सालों में ग्रामीण घरों और ट्यूबवेल कनेक्शनों पर जबरन बढ़ाए गए लोड वापस लिए जाएं।
  • बिजली विभाग में रिक्त पदों को भरा जाय एवं कर्मचारियों की पर्याप्त संख्या सुनिश्चित की जाए तथा सभी कर्मचारियों की स्थायी नियुक्ति की जाए। संविदा कर्मियों को नियमित किया जाय।
  • बिजली विभाग में 6 माह तक शांतिपूर्ण हड़ताल पर असंवैधानिक और जनविरोधी रोक (एस्मा) के आदेश को तत्काल वापस किया जाय।

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