हरदोई में ड्रॉप मोर क्रॉप का प्रशिक्षण : माइक्रो इरीगेशन के बारे में किसानों को दी गई पूरी जानकारी

UPT | कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम

Jan 09, 2025 14:05

हरदोई जिले में कृषि विज्ञान केंद्र ने "पर ड्रॉप मोर क्रॉप" योजना के तहत एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में 50 किसानों को सूक्ष्म सिंचाई पद्धतियों जैसे ड्रिप और स्प्रिंकलर प्रणाली के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई, ताकि वे जल संरक्षण के साथ-साथ फसलों की उत्पादकता और लाभ में वृद्धि कर सकें।

Short Highlights
  • जिला उद्यान अधिकारी के निर्देशन में हुआ प्रशिक्षण।
  • प्रशिक्षण में 50 किसानों के समूह ने भाग लिया।
Hardoi News : उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में जिला उद्यान अधिकारी सुभाष चन्द्र के निर्देशन में कृषि विज्ञान केंद्र, बावन रोड, हरदोई में एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह प्रशिक्षण "पर ड्रॉप मोर क्रॉप" (प्रति बूंद अधिक फसल) यानी सूक्ष्म सिंचाई योजना के अंतर्गत हुआ। इस कार्यक्रम में 50 किसानों का समूह उपस्थित था, जिनमें विभिन्न क्षेत्रों के किसान शामिल थे। 

प्रशिक्षण में 50 किसानों ने भाग लिया
इस एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. ए.के. तिवारी, डॉ. डी.बी. सिंह, डॉ. प्रिया वशिष्ठ, एग्रोनामिस्ट आशुतोष सिंह (रिवुलिस इरीगेशन) और इंजीनियर अतुल चौधरी ने सहभागिता की। कार्यक्रम में आए विशेषज्ञों ने माइक्रो इरीगेशन पद्धतियों और सिंचाई तकनीकों के बारे में किसानों को गहराई से जानकारी दी। 

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत विशेष मूल्यांकन 
कार्यक्रम के दौरान, उत्तर प्रदेश शासन से आई टीम के सदस्य भी उपस्थित थे। आलोक जायसवाल, दीपचन्द्र आर्य और अश्वनी मिश्रा ने किसानों से सवाल-जवाब किया और प्रशिक्षण के प्रभाव का मूल्यांकन किया। इन विशेषज्ञों ने कृषकों से सीधे संपर्क किया और उनके अनुभवों का विवरण लिया। 

माइकोइरीगेशन पद्धतियों के लाभों की विस्तृत जानकारी दी गई 
प्रशिक्षण में प्रमुख रूप से सूक्ष्म सिंचाई पद्धतियों जैसे ड्रिप और स्प्रिंकलर विधि पर चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने बताया कि ये पद्धतियां किसान को जल संरक्षण में मदद करती हैं और पौधों की सिंचाई के लिए आवश्यक जल की सही मात्रा का उपयोग सुनिश्चित करती हैं। इससे न केवल जल की बचत होती है, बल्कि फसलों की उत्पादकता में भी वृद्धि होती है। साथ ही, इन पद्धतियों को अपनाने से लागत में भी कमी आती है, जिससे किसानों को अधिक लाभ प्राप्त होता है। 

कृषकों को सिंचाई विधियों और कृषि तकनीकों पर दी गई जानकारी 
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने किसानों को विभिन्न सिंचाई पद्धतियों, बीज बुवाई, फर्टीगेशन तकनीक और कीटों से फसलों की सुरक्षा के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इसके अलावा, प्रशिक्षण के दौरान किसानों को विभिन्न आवश्यक सामग्री जैसे बैग, पेन, पैड और तकनीकी साहित्य भी वितरित किए गए।

किसानों को प्रमाण-पत्र वितरण किए
कार्यक्रम के अंत में सभी प्रशिक्षण प्राप्त किसानों को प्रमाण-पत्र वितरित किए गए। इस प्रकार, यह कार्यक्रम किसानों के लिए अत्यधिक लाभकारी साबित हुआ, जिससे उनकी खेती में न केवल तकनीकी सुधार होगा, बल्कि वे अपनी आय में भी वृद्धि करने में सक्षम होंगे। 
 

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