एनकाउंटर विवाद पर यूपी सरकार सख्त : अब होगी घटनास्थल की वीडियोग्राफी, जारी की नई गाइडलाइन...

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Oct 21, 2024 00:08

यूपी में एनकाउंटरों पर उठ रहे सवालों को लेकर शासन ने नई गाइडलाइन जारी की है। डीजीपी प्रशांत कुमार ने हाल ही में सुलतानपुर और बहराइच में हुई मुठभेड़ों के संदर्भ में सवाल उठने के बाद सभी जिलों के कप्तानों और पुलिस कमिश्नरों को नए निर्देश दिए...

Lucknow News : यूपी में एनकाउंटरों पर उठ रहे सवालों को लेकर शासन ने नई गाइडलाइन जारी की है। डीजीपी प्रशांत कुमार ने हाल ही में सुलतानपुर और बहराइच में हुई मुठभेड़ों के संदर्भ में सवाल उठने के बाद सभी जिलों के कप्तानों और पुलिस कमिश्नरों को नए निर्देश दिए हैं। इन निर्देशों में घटनास्थल की फोटोग्राफी को रिकॉर्ड में रखने और यदि किसी की मृत्यु होती है, तो उसके परिवार को तुरंत सूचित करने का प्रावधान शामिल है। इसके अलावा, पंचायतनामा में हस्ताक्षर करने वाले परिवारजनों को सूचना देने का प्रमाण भी आवश्यक होगा। एनकाउंटर में शामिल पुलिसकर्मियों द्वारा उपयोग किए गए शस्त्रों का परीक्षण भी अनिवार्य किया गया है। ये कदम पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए हैं।



उत्तर प्रदेश में पुलिस मुठभेड़ों को लेकर उठ रहे सवालों के बीच शासन ने नई गाइडलाइन जारी की है। इस गाइडलाइन के अनुसार, डीजीपी ने पुलिस अधिकारियों के लिए कई महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं।
 
  • वीडियोग्राफी : अब मुठभेड़ के दौरान अपराधी की मौत या घायल होने पर घटनास्थल की वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी।
  • पोस्टमार्टम प्रक्रिया : यदि अपराधी की मृत्यु होती है, तो उसका पोस्टमार्टम वीडियो कैमरे के सामने ही किया जाएगा, जिसमें दो डॉक्टरों की संयुक्त टीम शामिल होगी।
  • जांच विशेषज्ञ : विधि विज्ञान प्रयोगशाला के विशेषज्ञ भी घटनास्थल की जांच में शामिल होंगे।
  • विवेचना प्रक्रिया : एनकाउंटर की विवेचना अब घटनास्थल के थाने से नहीं, बल्कि दूसरे थाने या क्राइम ब्रांच द्वारा की जाएगी।
  • जांच टीम का गठन : पुलिस कार्रवाई में शामिल अधिकारियों के अलावा उच्च स्तर के अधिकारियों को भी जांच टीम में शामिल किया जाएगा।
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एनकाउंटर में शामिल हथियारों की होगी जांच
डीजीपी ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि अपराधी सामान्य या गंभीर रूप से घायल होते हैं, तो उनके पास से बरामद असलहों की बैलेस्टिक जांच अनिवार्य रूप से कराई जाए। इस परीक्षण की रिपोर्ट को केस डायरी में दर्ज किया जाएगा और इसे समय पर कोर्ट में पेश भी किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, मुठभेड़ में मारे गए अपराधियों से संबंधित मामलों में साक्ष्यों के आधार पर त्वरित निस्तारण सुनिश्चित किया जाएगा। मजिस्ट्रेटी और न्यायिक जांच से जुड़े अभिलेख भी समय पर पेश किए जाएंगे, ताकि इन मामलों का शीघ्र समाधान हो सके।

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डीजीपी ने लापरवाही न करने की चेतावनी दी
डीजीपी ने निर्देशित किया है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राज्य मानवाधिकार आयोग में लंबित मामलों से संबंधित सभी अभिलेखों को समय पर पेश किया जाए, ताकि इन मामलों का निस्तारण शीघ्र हो सके। इसके लिए एएसपी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। नोडल अधिकारियों के कार्यों की हर महीने एसएसपी और पुलिस आयुक्त द्वारा निगरानी की जाएगी। डीजीपी ने लापरवाही न करने की चेतावनी दी है, ताकि किसी भी असहज स्थिति से बचा जा सके। ये कदम मानवाधिकार से जुड़े मामलों में प्रभावी और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए हैं।

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