Lucknow News : KGMU की डॉक्टर से 85 लाख की ठगी, आरोपी ने सीबीआई अफसर बताकर धमकाया

UPT | पुलिस की पकड़ में आरोपी देवाशीष राय 

May 07, 2024 12:14

सीबीआई अफसर बताकर डरा-धमकाकर पीड़िता के साथ धोखाधड़ी करने वाले एक अभियुक्त को Lucknow Police द्वारा गिरफ्तार करते हुए उसके कब्जे से बैंक चेक बुक, पासबुक अन्य दस्तावेज और एक सीपीयू बरामद किया गया।

Lucknow News : केजीएमयू के लॉरी कार्डियालॉजी की महिला चिकित्सक डॉ. सौम्या गुप्ता से सीबीआई अफसर बनकर 85 लाख रुपये ठगने वाले को साइबर थाने की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। जालसाज ने डॉक्टर को फोन किया था। उसने कारगो में ड्रग्स और जाली पासपोर्ट मिलने के नाम पर 85 लाख हड़पे थे। आरोपी को गोमती नगर विस्तार के मंदाकिनी अपार्टमेंट से गिरफ्तार किया गया और उसने अपना अपराध कबूल कर लिया।
 
पासपोर्ट और एटीएम कार्ड बरामद
साइबर क्राइम पुलिस ने सोमवार को एक ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार किया, जिसने खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर लखनऊ की महिला चिकित्सक से 85 लाख रुपये की ठगी की थी। पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि आरोपी को गोमती नगर विस्तार के मंदाकिनी अपार्टमेंट से गिरफ्तार किया गया और उसने अपना अपराध कबूल कर लिया है। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 7 चेकबुक, 3 पासबुक, 7 मुहर, 1 पैन कार्ड, 1 पासपोर्ट और 4 एटीएम कार्ड बरामद किये गए हैं।  

डिजिटली अरेस्ट कर पैसे ठगे
मामले की शिकायत हजरतगंज साइबर क्राइम थाने में की गई थी। देवाशीष राय और उसके सहयोगियों ने 1 मई को डॉक्टर को फोन कर बताया था कि उनके नाम पर बुक किया गया एक कार्गो चेकिंग के दौरान पकड़ा गया था और इसमें नकली पासपोर्ट, कुछ एटीएम कार्ड और 140 ग्राम एक नशीला पदार्थ था जिसे उसने MDM बताया था। कॉल के दौरान उस व्यक्ति ने खुद को सीबीआई अफसर बताया और डॉक्टर को डिजिटली अरेस्ट करते हुए पैसे ठग लिए।

इस तरह करते हैं डिजिटल अरेस्ट 
पुलिस ने कहा कि 'डिजिटल अरेस्ट एक नया शब्द है जिसे साइबर अपराधियों ने गढ़ा है जो तेजी से बढ़ती डिजिटल दुनिया में लोगों को धोखा देने के लिए लगातार नए तरीके खोज रहे हैं। घोटालेबाज खुद को पुलिस अधिकारी, सीबीआई या सीमा शुल्क अधिकारी बताकर लोगों को फोन करते हैं और उन्हें घर पर बंधक बनाकर रखते हैं, उन्हें घर से बाहर नहीं निकलने के लिए कहते हैं और ऑनलाइन लेनदेन के माध्यम से पैसे वसूलते हैं।
पुलिस ने आरोपी से यह पता लगाया है कि डॉक्टर को ने जो पैसे अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर किए थे, वे चेक के जरिए निकाले गए थे या दूसरे बैंक खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर किए गए थे।

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