ख्वाजा मोईनउद्दीन विवि : AICTE ने जिस व्यक्ति को ब्लैकलिस्ट किया वह कैसे बन गया कुलपति, हाईकोर्ट में याचिका दायर

UPT | ख्वाजा मोईनउद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय

Mar 22, 2024 16:47

ख्वाजा मोईनउद्दीन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.एनबी सिंह की शैक्षिक योग्यता को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में कुलपति के अनुभव और परास्नातक डिग्री पर भी सवाल उठाए गए हैं।

Short Highlights
  • डबल बेंच ने एआईसीटीई और आईईटी के निदेशक और कुलपित एनबी सिंह को व्यक्तिगत नोटिस किया
  • आब्जर्वेशन में कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर मामला, लाखों छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं कर सकते 
Lucknow News : ख्वाजा मोईनउद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय का विवादों से नाता छूट नहीं रहा है। अब विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.एनबी सिंह की शैक्षिक योग्यता पर सवाल उठ गया है। आरोप है कि आल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन  (AICTE) की ओर से प्रतिबंधित होने की जानकारी छिपाकर कुलपति पद हासिल किया। उनके अनुभव और परास्नातक डिग्री पर भी सवाल उठाते हुये इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ खंडपीठ में याचिक दाखिल की गयी। जिस पर न्यायमूर्ति विवेक चौधरी, न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की पीठ ने आईईटी लखनऊ, एआईसीटीई और कुलपति प्रो.एनबी सिंह को नोटिस जारी कर दिया है,  इनमें चार हफ्ते में जवाब मांगा गया है।

परास्नातक की डिग्री में गड़बड़ियों का आरोप
अस्तित्व में आने के बाद नियम विरुद्ध खरीद-फरोख्त, प्रोन्नतियां,भर्ती, निर्माण कार्य,धार्मिक टकराव जैसे विवादों से घिरे ख्वाजा मोईनउद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय की कार्य परिषद ने एक हफ्ते पहले विवि के पूर्वकुलपति समेत आठ शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया। इन पर अयोग्य होने का आरोप लगाया था। जिसके बाद लखनऊ के ही निवासी डॉ. हैदर महदी ने हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में आरोप लगाया है कि ख्वाजा मोईन उद्दीन चिश्ती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.एनबी सिंह को कोई भी प्रशासनिक पद देने पर तकनीकी शिक्षा की सर्वोच्च संस्था आल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन ने रोक लगा रखी थी, उन्हें ब्लैक लिस्टेड कर रखा था, बावजूद उसके इन्हें कुलपति नियुक्त कर दिया गया। अदालत में दाखिल याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रो.एनबी सिंह की परास्नातक की डिग्री में गड़बड़ियां हैं। कुलपति पद के लिये आवश्यक अनुभव भी पूरा नहीं था, जब इन्हें कुलपति नियुक्त किया गया। आरोप लगाया गया है कि कुलपति पद की नियुक्ति के लिए इन्होंने राजभवन को जो बायोडेटा भेजा था, वह भी त्रुटिपूर्ण हैं। प्रो.एनबी सिंह पर आरोप है कि कुलपति नियुक्त होने के बाद अपने सरकारी आवास की मरम्मत पर 49 लाख रुपये खर्च कर दिये। 39 लाख रुपये गेस्ट हाउस की मरम्मत पर खर्च किये गये। 

चार हफ्ते में काउंटर दाखिल करने का आदेश
डॉ.हैदर महदी की याचिका पर सीनियर अधिवक्ता जयदीप माथुर, मुदित अग्रवाल और काजिम इब्राहिम ने न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की अदालत में बहस की। याची के वकील के सुनने के दौरान पीठ ने अपने आब्जर्वेशन में कहा कि यह गंभीर विषय है। लाखों छात्रों का भविष्य जुड़ा हुआ है, आरोपों से घिरे व्यक्ति को कुलपति कैसे नियुक्त किया जा सकता है। अदालत ने इस मामले में प्रो.एनबी सिंह की मातृ संस्था आईईटी लखनऊ के निदेशक, एआईसीटीई के निदेशक, एनबी सिंह को व्यक्तिगत नोटिस जारी करते हुए चार हफ्ते में काउंटर दाखिल करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी कहा है कि इस मामले में वह तेजी से सुनवाई करेंगे। हालांकि बचाव पक्ष की ओर से खड़े हुये अधिवक्ता तुषार मित्तल, अतुल कुमार, ललित शुक्ला और सुभम त्रिपाठी ने केस को टर्न डाउन करने की मांग उठाई लेकिन अदालत ने इसे गंभीर प्रकरण कहते हुए उनके तर्क नहीं मानें।
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