लखनऊ में पेशेवर भिखारियों के खिलाफ सख्ती की तैयारी : दिवाली के बाद चलाया जाएगा विशेष अभियान

UPT | लखनऊ में पेशेवर भिखारियों के खिलाफ होगी सख्ती

Oct 25, 2024 20:10

सर्वे शुरू होते ही भिखारी अलर्ट हो गये हैं। अचानक से उनकी संख्या में भी कमी नजर आ रही है। शहर के प्रमुख मंदिरों के बाहर, सड़क, चौराहों और भीड़ भाड़ वाली जगहों पर जहां बड़ी संख्या में भिखारी बैठे रहते हैं, वहां से अब ये नदारद हैं।

Lucknow News : दीपावली के बाद राजधानी प्रशासन ने पेशेवर भिखारियों के खिलाफ एक विशेष अभियान चलाने का निर्णय किया है। इस अभियान का उद्देश्य पेशेवर भिखारियों की पहचान करना और उन पर सख्ती से कार्रवाई करना है। साथ ही, उन मजबूर भिखारियों को सरकारी सहायता प्रदान की जाएगी जो केवल मजबूरीवश इस काम में लिप्त हैं।

पांच विभाग मिलकर कर रहे भिखारियों का सर्वेक्षण
शहर में पांच सरकारी विभागों की एक संयुक्त टीम विभिन्न क्षेत्रों में भिखारियों का सर्वेक्षण कर रही है। इस सर्वे के दौरान प्रत्येक भिखारी का विवरण दर्ज किया जा रहा है ताकि उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ा जा सके। हालांकि सर्वे शुरू होते ही भिखारी अलर्ट हो गये हैं। अचानक से उनकी संख्या में भी कमी नजर आ रही है। शहर के प्रमुख मंदिरों के बाहर, सड़क, चौराहों और भीड़ भाड़ वाली जगहों पर जहां बड़ी संख्या में भिखारी बैठे रहते हैं, वहां से अब ये नदारद हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस अभियान के दौरान शहर में भिखारियों की संख्या में कमी देखी गई है और चौराहों पर भिखारी भागते नजर आ रहे हैं।



पेशेवर भिखारी, भारी कमाई और पैनकार्ड
15 दिनों तक चलाए जा रहे इस सर्वेक्षण में अभी तक पाया गया है कि कई भिखारी हर महीने 80 से 90 हजार रुपये तक कमा रहे हैं। इनके पास पैनकार्ड और अन्य दस्तावेज भी मौजूद हैं, जिससे इनके पेशेवर होने की पुष्टि होती है। डूडा के परियोजना अधिकारी सौरभ त्रिपाठी के मुताबिक अभियान समाप्त होने के बाद इन पेशेवर भिखारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

लखनऊ में 5312 भिखारी, महिलाओं की है सबसे अधिक कमाई
समाज कल्याण विभाग के कराए गए सर्वेक्षण के अनुसार, लखनऊ में कुल 5312 भिखारी हैं, जिनमें से अधिकांश महिलाएं हैं। सर्वे में यह बात सामने आई कि गर्भवती महिलाएं और छोटे बच्चों के साथ बैठने वाली भिखारी महिलाएं प्रतिदिन तीन हजार रुपये तक कमा रही हैं। वृद्ध और बच्चे प्रतिदिन 900 से 2000 रुपये तक की कमाई कर लेते हैं।

दैनिक आय 63 लाख रुपये, भिखारियों का बन गया व्यवसाय
अधिकारियों के मुताबिक, अगर औसत कमाई 1200 रुपये प्रति दिन मानी जाए, तो लखनऊ के 5312 भिखारी हर दिन 63 लाख रुपये से अधिक की कमाई कर रहे हैं। यह आंकड़ा बताता है कि भीख मांगना एक प्रकार का व्यवसाय बन चुका है, जिसमें पेशेवर लोग शामिल हैं जो नियमित रूप से इस काम को अंजाम दे रहे हैं।

भिखारियों के पास स्मार्टफोन और बैंक खाते में लाखों रुपये
कई भिखारियों के पास स्मार्टफोन, पैनकार्ड और अन्य सुविधाएं मौजूद हैं। बाराबंकी के अमन नामक भिखारी के पास स्मार्टफोन और बैंक खाता भी है, जो यह दर्शाता है कि यह मजबूरी नहीं बल्कि एक पेशे के रूप में किया जा रहा है। चारबाग क्षेत्र में एक भिखारी ने अधिकारियों को बताया कि उसके बैंक खाते में 13 लाख रुपये जमा हैं और उसे केवल भीख मांगने की अनुमति चाहिए।

90 प्रतिशत भिखारी पेशेवर, अन्य जिलों से आते हैं लखनऊ
सर्वेक्षण के दौरान पाया गया कि लखनऊ के लगभग 90 प्रतिशत भिखारी पेशेवर हैं और अन्य जिलों जैसे बाराबंकी, सीतापुर, हरदोई, लखीमपुर खीरी और रायबरेली से आते हैं। प्रशासन अब इन पेशेवर भिखारियों पर कड़ी कार्रवाई की योजना बना रहा है ताकि लखनऊ को भिक्षावृत्ति से मुक्त किया जा सके।

गर्भवती भिखारियों की आमदनी 80-90 हजार मासिक
सर्वेक्षण के दौरान एक गर्भवती महिला मिली जिसने बताया कि गर्भवती होने के कारण उसे ज्यादा भीख मिलती है, जिससे वह महीने में 80-90 हजार रुपये तक कमा लेती है। इस घटना ने पेशेवर भिखारियों की वास्तविक स्थिति को और उजागर किया है, जो समाज की संवेदनाओं का लाभ उठाते हैं।

भिखारियों को भीख न दें, सरकारी योजनाओं से जोड़ें
डूडा के परियोजना अधिकारी सौरभ त्रिपाठी और डीपीओ विकास सिंह ने नागरिकों से अपील की है कि वे भिखारियों को भीख देने की बजाय उन्हें सरकारी योजनाओं से जुड़ने के लिए प्रेरित करें। ऐसा करने से पेशेवर भिखारियों का गठजोड़ टूटेगा और जरूरतमंदों को सही दिशा में सहायता मिल सकेगी।

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