SGPGI : एमडीआर-एक्सडीआर टीबी मरीजों को एक सप्ताह में मिलेगी जांच रिपोर्ट, नई लैब का शुभारंभ

UPT | Tuberculosis

Dec 28, 2024 16:19

जब टीबी बैक्टीरिया पहली पंक्ति की एंटी-टीबी दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो जाते हैं, तो इसे एमडीआर टीबी कहा जाता है। जब एमडीआर टीबी वाले मरीज दूसरी पंक्ति की दवाओं के प्रति भी प्रतिरोधक हो जाते हैं, तो इसे एक्सडीआर टीबी कहा जाता है। यह टीबी का सबसे गंभीर रूप है।

Lucknow News : राजधानी के संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआई) में टीबी मरीजों के लिए नई अत्याधुनिक लैब की शुरुआत हुई है। इस लैब का उद्घाटन शनिवार को संस्थान के निदेशक डॉ. आरके धीमन ने किया। यह लैब गंभीर टीबी (एमडीआर और एक्सडीआर) के मरीजों की जांच में लगने वाले समय को कम कर एक सप्ताह में रिपोर्ट प्रदान करेगी। इससे पहले इन मरीजों को जांच रिपोर्ट के लिए 20-25 दिनों तक इंतजार करना पड़ता था।

लैब की विशेषताएं और निर्माण लागत
इस नई लैब को 'बायोसेफ्टी लेवल कल्चर ड्रग ससेप्टिबिलिटी टेस्टिंग एंड मॉलीक्यूलर नेक्स्ट जनरेशन सीक्वेंसिंग ट्यूबरक्लोसिस लेबोरेटरी' नाम दिया गया है। यह प्रयोगशाला इंडियन ऑयल कारपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल), यूपी राज्य कार्यालय (यूपीएसओ-1) और एसजीपीजीआई के बीच हुए समझौते के तहत कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) प्रोजेक्ट के अंतर्गत स्थापित की गई है। इस लैब को 3.50 करोड़ रुपये की लागत से 3000 वर्ग फुट क्षेत्र में विकसित किया गया है।

एमडीआर और एक्सडीआर टीबी के मामलों में होगी सटीकता
पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. आलोक नाथ ने बताया कि टीबी के मरीजों में अक्सर दवा अधूरी छोड़ने से बीमारी गंभीर रूप ले लेती है। एमडीआर (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट) और एक्सडीआर (एक्सट्रीमली ड्रग रेजिस्टेंट) टीबी के मरीजों की जांच के लिए अभी तक केवल केजीएमयू में लैब थी। नमूनों की अधिक संख्या के कारण रिपोर्ट में देरी होती थी। अब एसजीपीजीआई में नई लैब की स्थापना से मरीजों को तेजी और सटीकता से जांच रिपोर्ट उपलब्ध होगी।



लैब से मरीजों को होंगे लाभ
इस नई लैब में हाई-टेक मशीनों का उपयोग किया जाएगा, जिससे गंभीर टीबी के मरीजों की दवा प्रतिरोधकता (ड्रग रेजिस्टेंस) की जांच और उपचार प्रक्रिया में तेजी आएगी। मरीजों को अब जांच के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इससे न केवल इलाज में सुधार होगा, बल्कि मरीजों की परेशानी भी कम होगी।

सही समय पर इलाज शुरू करने पर ठीक हो सकते हैं टीबी मरीज
टीबी एक संक्रामक बीमारी है जो मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती है। यह मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। टीबी संक्रमित व्यक्ति की खांसी, छींक, या हवा के माध्यम से फैलती है। यह एक गंभीर बीमारी है, लेकिन सही इलाज और दवाओं से पूरी तरह ठीक हो सकती है।

टीबी के लक्षण
  • लगातार खांसी (3 हफ्ते या अधिक)
  • बलगम या खांसी में खून आना
  • तेज बुखार और रात में पसीना
  • भूख में कमी और वजन घटना
  • थकावट और कमजोरी
एमडीआर टीबी (मल्टी-ड्रग रेजिस्टेंट टीबी)
जब टीबी बैक्टीरिया पहली पंक्ति की एंटी-टीबी दवाओं (रिफाम्पिसिन और आइसोनियाजिड) के प्रति प्रतिरोधी हो जाते हैं, तो इसे एमडीआर टीबी कहा जाता है। यह आमतौर पर तब होता है जब मरीज दवाओं का कोर्स अधूरा छोड़ देते हैं या दवा सही तरीके से नहीं लेते।
एमडीआर टीबी के कारण
  • दवाओं का अनुचित उपयोग या समय पर सेवन न करना।
  • डॉक्टर की सलाह के बिना इलाज बंद करना।
  • असुरक्षित और अवैध दवाओं का उपयोग।
एक्सडीआर टीबी (एक्सट्रीमली-ड्रग रेजिस्टेंट टीबी)
जब एमडीआर टीबी वाले मरीज दूसरी पंक्ति की दवाओं के प्रति भी प्रतिरोधक हो जाते हैं, तो इसे एक्सडीआर टीबी कहा जाता है। यह टीबी का सबसे गंभीर रूप है।
एक्सडीआर टीबी इसलिए है जानलेवा
  • एमडीआर टीबी से भी गंभीर लक्षण
  • अत्यधिक जटिल और लंबा इलाज
  • इलाज के दौरान सफलता दर केवल 30-50 प्रतिशत
  • मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता
एक्सडीआर टीबी के कारण
एमडीआर टीबी का अधूरा या गलत इलाज।
दूसरी पंक्ति की दवाओं का अनुचित उपयोग।
स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और गलत निदान।

टीबी, एमडीआर और एक्सडीआर के बीच अंतर
प्रकार                  कारण                                            इलाज की अवधि              सफलता दर

सामान्य टीबी         सही दवाओं से ठीक हो सकती है           6-9 महीने                       95 प्रतिशत तक
एमडीआर टीबी      पहली पंक्ति की दवाओं का प्रतिरोध      18-24 महीने                    50-70 प्रतिशत तक
एक्सडीआर टीबी    अधिकांश दवाओं का प्रतिरोध               2 साल या अधिक             30-50 प्रतिशत तक

टीबी, एमडीआर और एक्सडीआर से बचाव के उपाय
टीबी का जल्द निदान और इलाज करें : अगर खांसी तीन हफ्ते से ज्यादा हो, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
दवाओं का कोर्स पूरा करें : डॉक्टर द्वारा दिए गए कोर्स को अधूरा न छोड़ें।
टीकाकरण कराएं : बीसीजी वैक्सीन बचपन में टीबी से बचाव करता है।
संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखें : खासकर भीड़-भाड़ वाली जगहों में।
मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली बनाए रखें : पौष्टिक आहार और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।

टीबी के इलाज में नई तकनीकें
बायोसेफ्टी लैब्स : एमडीआर और एक्सडीआर टीबी की सटीक जांच और इलाज में मदद।
नेक्स्ट-जेनरेशन सीक्वेंसिंग : टीबी बैक्टीरिया के जीनोम को पढ़कर इलाज के लिए सही दवाएं निर्धारित करना।
नई दवाएं और टीके : टीबी के लिए अधिक प्रभावी और तेज दवाओं का विकास।

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