स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना को आत्मनिर्भर मानकर लागू किया गया है। लेकिन, इसके बढ़ते खर्च ने कई आर्थिक सवाल खड़े कर दिए हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि परियोजना के संचालन के दौरान क्या यह अतिरिक्त लागत वाकई में उपभोक्ताओं पर डाली जाएगी या नहीं। माना जा रहा है कि इस अतिरिक्त रकम का भी बोझ पावर कारपोरेशन पर पड़ेगा।