यूपी का पहला बीज पार्क लखनऊ में बनेगा : सालाना 3000 करोड़ की होगी बचत, किसानों की बढ़ेगी आय

UPT | यूपी का पहला बीज पार्क लखनऊ में बनेगा

Nov 17, 2024 12:58

किसानों के हित में यूपी का पहला बीज पार्क लखनऊ के अटारी क्षेत्र में बनाया जाएगा। यह 200 एकड़ में पीपीपी मॉडल पर स्थापित किया जाएगा।

Lucknow News : उत्तर प्रदेश सरकार ने बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक और कदम बढ़ाया है। सरकार ने किसानों के हित में सूबे का पहला बीज पार्क लखनऊ के अटारी क्षेत्र में बनाने का फैसला किया है। बीज पार्क 200 एकड़ में पीपीपी मॉडल पर स्थापित किया जाएगा। सरकार की मंशा सूबे में कुल पांच बीज पार्क बनाये जाने की है। जोकि वेस्टर्न जोन, तराई जोन, सेंट्रल जोन, बुंदेलखंड और ईस्टर्न जोन में पीपीपी मोड पर बनाए जाएंगे। फिलहाल बीज पार्क के लिए रिक्वेस्ट फार प्रपोजल (आरएफपी) की प्रक्रिया चल रही है। यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने इसकी घोषणा की है।

हर साल 50 लाख कुंतल बीज की जरूरत
कृषि मंत्री सूर्य ने बताया कि प्रदेश में हर साल करीब 50 लाख कुंतल बीज की जरूरत होती है। जिसे पूरा करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 30 लाख कुंतल बीज प्रदेश में ही उत्पादित होता है, जबकि बाकी 20 लाख कुंतल बीज अन्य राज्यों से मंगाया जाता है। हाइब्रिड बीज का उत्पादन प्रदेश में संभव नहीं है। इसलिए इसके लिए अन्य राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है। सरकार की कोशिश है कि किसानों को राज्य में ही उत्पादित बीज उपलब्ध कराया जाए। इससे दूसरे राज्यों पर बीज की निर्भरता कम होने के साथ कृषि उत्पादन में भी सुधार होगा। 



प्रतिवर्ष तीन हजार करोड़ रुपये का खर्च
प्रदेश सरकार को अन्य राज्यों से बीज मंगाने के लिए हर साल लगभग 3000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं। अधिकांश हाइब्रिड बीज तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश से आते हैं। यूपी में उपयोग होने वाले बीजों में से  गेहूं के 22 फीसदी , धान 51 फीसदी , मक्का के 74 फीसदी, दलहन के 50 फीसदी, तिलहन के 52 फीसदी और 95 फीसदी जौं के बीज गैर राज्यों से मंगाए जाते हैं।

स्थानीय स्तर मिलेगा रोजगार
बीज पार्क की स्थापना से अन्य राज्यों से बीज मंगाने पर होने वाले भारी खर्च में कमी आएगी। इससे प्रदेश हर साल लगभग 3000 करोड़ रुपये बचा सकेगा, जिसे अन्य कृषि विकास योजनाओं में निवेश किया जा सकता है। बीज उत्पादन से जुड़े विभिन्न कार्यों जैसे प्लांट संचालन, लॉजिस्टिक्स, लोडिंग-अनलोडिंग और परिवहन में स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार मिलेगा। किसानों को गुणवत्तापूर्ण और प्रमाणित बीज आसानी से उपलब्ध होंगे। इससे बीज प्रतिस्थापन दर (एसआरआर) में सुधार होगा। फसलों की उत्पादकता में 15-20 फीसद तक की वृद्धि होगी। यह न केवल किसानों की आय बढ़ाएगा, बल्कि प्रदेश की खाद्यान्न आत्मनिर्भरता को भी मजबूत करेगा।

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