DVVNL-PuVVNL : उपभोक्ताओं के 16000 करोड़ सरप्लस का मसौदे में नहीं जिक्र, निजी कंपनियों को भी सब्सिडी, एक रुपये टोकन मनी पर पूरी जमीन

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Dec 11, 2024 18:21

प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर लगभग 33122 करोड़ सरप्लस निकल रहा है। यदि दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड की बात करें तो दोनों में लगभग 1.62 करोड़ उपभोक्ता है। इनका सरप्लस लगभग 16000 करोड़ है।

Lucknow News : ​यूपी में दो बिजली निगमों को पीपीपी मॉडल पर दिए जाने को लेकर एनर्जी टास्क फोर्स से जिस मसौदे को मंजूरी मिली है, उसमें उपभोक्ताओं के सरप्लस जैसे अहम बिंदु का जिक्र तक नहीं है। इतने अहम विषय पर चुप्पी पर अफसरों की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इस बड़ा धोखा करार दिया है। खास बात है कि निजीकरण के फॉर्मूले के बावजूद बिजली कंपनियों को सरकार से सब्सिडी मिलती रहेगी। 

उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33122 करोड़ सरप्लस
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के प्रस्ताव पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली एनर्जी टास्क फोर्स ने जिस मसौदे को अपनी मंजूरी दी है, उससे सबसे ज्यादा नुकसान प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का होने वाला है। प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर लगभग 33122 करोड़ सरप्लस निकल रहा है। यदि दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PuVVNL) की बात करें तो दोनों में लगभग 1.62 करोड़ उपभोक्ता है। इनका सरप्लस लगभग 16000 करोड़ है। एनर्जी टास्क फोर्स के मसौदे में इसका कहीं विवरण तक नहीं है। 



नेटवर्थ में नहीं जोड़ी गई जमीन की पूरी लागत
पहली बार ऐसा हो रहा है कि पूर्वांचल व दक्षिणांचल की पूरी जमीन एक रुपए टोकन मनी पर निजी घरानों को दी जाएगी, जो उसको बेच नहीं सकते ना ही उसका दूसरा उपयोग कर सकते हैं। यानी केवल बिजली के लिए ही उसका उपयोग कर सकते हैं। इस पर सवाल उठ रहा है कि नेटवर्थ में जमीन की पूरी लागत आकलित कर नहीं जोड़ी गई है, जबकि पावर कारपोरेशन ने फिक्स्ड एसेट रजिस्टर तैयार कर रखा है तो उस पर किराया निजी घरानों के लाभांश से क्यों नहीं लेने का प्रावधान बनाया गया।

पांच नई बनने वाली कंपनियों के नाम भी फाइनल
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा एनर्जी टास्क फोर्स ने अपने मसौदे में इस बात की भी मंजूरी दी है कि जो टेंडर फॉर्म निकाला जाएगा, उसके लिए पांच नई बनने वाली एसपीबी यानी कंपनियों के नाम भी बता दिए गए हैं। पहली कंपनी आगरा मथुरा विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, दूसरी कंपनी काशी विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, तीसरी कंपनी गोरखपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, चौथी कंपनी झांसी कानपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड होगी और पांचवीं कंपनी प्रयागराज विद्युत वितरण निगम लिमिटेड होगी। 

पूर्वांचल-दक्षिणांचल के उपभोक्ताओं के 16000 करोड़ सरप्लस का क्या होगा?
इस मसौदे को अनुमति दी गई है। इसलिए यदि उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर सरप्लस निकल रहा है तो पूर्वांचल और दक्षिणांचल पर लगभग 16000 करोड़ के सरप्लस की नई कंपनी बनने के बाद देनदारी किसके ऊपर रहेगी। वहीं एनर्जी टास्क फोर्स के मसौदे में यह भी कहा गया है कि जो नई कंपनी बनेगी उसकी बिजली दर विद्युत नियामक आयोग तय करेगा। लेकिन, सरप्लस के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है। सवाल उठता है कि जब पूर्वांचल और दक्षिणांचल का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा और कहीं भी किसी प्रपत्र में उपभोक्ताओं के सरप्लस की बात ही नहीं की जा रही है, तो ये उपभोक्ताओं के साथ बहुत बड़े धोखे की तैयारी है, जिसे उपभोक्ता परिषद होने नहीं देगा।

निजी घरानों को सब्सिडी देने के बजाय सरकारी कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने का हो प्रयास
नई बिजली कंपनियां को राज्य सरकार से सब्सिडी भी दी दिए जाने का जिक्र किया गया है। लेकिन, उपभोक्ताओं के सरप्लस पर जिस तरह से चुप्पी साधी गई है, उससे ऐसा लग रहा है कि उपभोक्ताओं से किसी को कोई लेना-देना नहीं है। केवल निजी घरानों की चिंता है कि उनको सब्सिडी दिलाई जाए, उनको महज एक रुपए में जमीन दिलाई जाए, नेटवर्थ कम से कम दिखाने पर जोर हो। इस तरह बड़ा गोलमाल किया जा रहा है। उपभोक्ता परिषद ने सवाल उठाया कि जब दोनों बिजली कंपनियों को लगभग 8000 से 9000 करोड़ की राजकीय सब्सिडी ही दी जानी है तो फिर सरकारी क्षेत्र की पूर्वांचल व दक्षिणांचल को आगे आत्मनिर्भर बनाने में क्या दिक्कत है। निजी क्षेत्र में सब्सिडी देने का मतलब संभावित अडानी, टाटा, टोरेंट पावर आदि बड़े औद्योगिक घरानों को सब्सिडी देना है, जिससे सरकार की छवि जनता की नजर में धूमिल होगी।

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