सीओ जियाउल हक हत्याकांड : दस दोषियों को आजीवन कारावास, जुर्माने की आधी रकम पत्नी को देने का आदेश

UPT | DSP Ziaul Haq murder case

Oct 09, 2024 18:46

इस हत्याकांड में शामिल फूलचंद यादव, पवन यादव, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन गौतम, छोटेलाल यादव, राम आसरे, मुन्ना पटेल, शिवराम पासी और जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्ले पाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।

Lucknow News : लखनऊ की सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने बहुचर्चित डीएसपी जियाउल हक हत्याकांड में बुधवार को सभी 10 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने घटना के करीब 11 साल बाद अपना फैसला सुनाया। इससे पहले विगत चार अक्टूबर को कोर्ट ने सभी 10 आरोपियों को दोषी करार दिया था। इस प्रकरण में 2 मार्च 2013 को कुंडा के सीओ जियाउल हक की लाठी-डंडों से पीटने के बाद गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।  सभी 10 आरोपियों को 19,500 हजार का जुर्माना लगाया गया है। जुर्माने की आधी रकम डिप्टी एसपी जिया उल हक की पत्नी परवीन आजाद को देने का सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने आदेश दिया है।

इन हत्यारोपियों को मिला आजीवन कारावास
इस हत्याकांड में शामिल फूलचंद यादव, पवन यादव, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन गौतम, छोटेलाल यादव, राम आसरे, मुन्ना पटेल, शिवराम पासी और जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्ले पाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। इस केस में पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया और उनके करीबी ग्राम प्रधान गुलशन यादव पर भी आरोप लगे थे। हालांकि, सीबीआई की जांच के बाद राजा भइया और गुलशन यादव को क्लीन चिट दे दी गई थी।



सीओ जियाउल हक की घेरने के बाद की गई हत्या
घटना के अनुसार प्रतापगढ़ में नन्हें सिंह यादव के समर्थक बड़ी संख्या में हथियार लेकर बलीपुर गांव पहुंच गए थे। रात सवा आठ बजे कामता पाल के घर में आग लगा दी गई। भारी बवाल के बीच कुंडा के कोतवाल सर्वेश मिश्र अपनी टीम के साथ नन्हें सिंह यादव के घर की तरफ जाने की हिम्मत न जुटा सके, लेकिन सीओ जिया-उल-हक गांव में पीछे के रास्ते से प्रधान के घर की तरफ बढ़े। इसी बीच ग्रामीणों द्वारा की जा रही फायरिंग से डरकर सीओ की सुरक्षा में लगे गनर इमरान और एसएसआइ कुंडा विनय कुमार सिंह खेत में छिप गए। सीओ जियाउल हक के गांव में पहुंचते ही ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया। इसी दौरान गोली चलने से प्रधान नन्हें सिंह यादव के छोटे भाई सुरेश यादव की मौत हो गई। इसके बाद सीओ जियाउल हक की निर्मम हत्या कर दी गई। 

तिहरे हत्याकांड में कुल चार केस दर्ज 
इसके बाद देर रात करीब 11 बजे भारी पुलिस बल बलीपुर गांव पहुंचा और सीओ की तलाश शुरू हुई। आधे घंटा बाद जियाउल हक का शव प्रधान के घर के पीछे खड़ंजे पर पड़ा मिला। इस हत्याकांड का आरोप तत्कालीन कैबिनेट मंत्री राजा भैया, उनके करीबी गुलशन यादव समेत कई लोगों पर लगा था। बलीपुर गांव में हुए तिहरे हत्याकांड में कुल चार एफआईआर दर्ज कराई गई थी। सबसे आखिर में सीओ जिया उल हक की पत्नी परवीन की ओर से एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इसमें पांच आरोपी गुलशन यादव, हरिओम श्रीवास्‍तव, रोहित सिंह, संजय सिंह उर्फ गुड्डू और रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया पर आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 302, 504, 506, 120 बी और सीएलए एक्‍ट की धारा 7 के तहत केस दर्ज कराया गया था।

​अखिलेश सरकार में सीबीआई को सौंपा गया केस
इस प्रकरण को लेकर सियासत तेज होने और कई सवाल उठने के बाद तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने जियाउलहक मर्डर केस की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। जांच पड़ताल के बाद जिया-उल-हक की पत्नी परवीन की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर पर सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट 2013 में ही दाखिल कर दी थी। इसमें हरिओम, रोहित, संजय को क्लीन चिट दे थी। हालांकि इस क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ परवीन फिर से कोर्ट चली गई थी। कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था।

Also Read