कौन हैं चारू चौधरी : बागपत से रालोद प्रत्याशी होंगी जयंत चौधरी की पत्नी! बिजनौर से इस गुर्जर नेता पर दांव

UPT | रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी और पत्नी चारू।

Mar 04, 2024 10:15

1977 में चौधरी चरण सिंह पहली बार बागपत से लोकसभा चुनाव लड़कर संसद पहुंचे थे। इसके बाद वर्ष 1989 में उनके बेटे चौधरी अजित सिंह ने जीत दर्ज की और वो 1997 तक सांसद रहे। 1998 में उलटफेर हुआ और भाजपा के सोमपाल शास्त्री ने उनको हरा दिया...

Short Highlights
  • चारू के चुनाव ना लड़ने पर जाट प्रत्याशी होगा रालोद का चेहरा 
  • गठबंधन के बाद बागपत और बिजनौर सीट रालोद के पास 
  • दोनों सीटों पर प्रत्याशी उतारने के लिए मंथन शुरू 
Lok Sabha  Election 2024 : भाजपा के साथ गठबंधन की घोषणा के बाद बिजनौर और बागपत सीट रालोद के खाते में जा रही है। दोनों ही सीटों पर प्रत्याशी उतारने के​ लिए जयंत चौधरी ने कवायद शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि बागपत जैसी परंपरागत सीट पर जयंत चौधरी अपनी पत्नी चारू को चुनाव मैदान में उतार सकते हैं। जबकि बिजनौर से किसी गुर्जर नेता पर दांव लगाने की तैयारी में हैं। हालांकि अभी तक किसी गुर्जर नेता का नाम जयंत चौधरी ने फाइनल नहीं किया है।

दोनों सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए खास चेहरों को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी
पिछले दिनों बसपा नेता और बिजनौर से सांसद मलूक नागर, जयंत चौधरी से कई बार मुलाकात कर चुके हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि मलूक नागर बसपा को छोड़कर रालोद में शामिल हो सकते हैं और वो बिजनौर से राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे।  दोनों सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए जयंत चौधरी खास चेहरों को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी में हैं। 
सूत्रों की माने तो रालोद अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह खुद बागपत सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में थे। लेकिन वह खुद राज्यसभा सदस्य बने रह सकते हैं ऐसे में पत्नी चारू चौधरी को बागपत से लोकसभा चुनाव मैदान में उतार सकते हैं।

बागपत लोकसभा सीट चौधरी परिवार की परंपरागत सीट 
बागपत लोकसभा सीट पर 1998 को छोड़कर 2014 तक लगातार चौधरी चरण सिंह परिवार के कब्जे में रही है। 1977 में चौधरी चरण सिंह पहली बार बागपत से लोकसभा चुनाव लड़कर संसद पहुंचे थे। इसके बाद वर्ष 1989 में उनके बेटे चौधरी अजित सिंह ने जीत दर्ज की और वो 1997 तक सांसद रहे। 1998 में उलटफेर हुआ और भाजपा के सोमपाल शास्त्री ने उनको हरा दिया। इसके बाद 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में चौधरी अजित सिंह ने फिर जीत दर्ज करते हुए वर्ष 2014 तक लगातार कब्जा जमाए रखा। उसके बाद भाजपा के डाॅ. सत्यपाल सिंह ने उनको हराया और यह सीट दो बार से लगातार भाजपा के पास है।
इस तरह अधिकतर बागपत लोकसभा सीट पर चौधरी परिवार का ही कब्जा रहा है। बागपत को उनकी पैतृक सीट माना जाता है। इसी को देखते हुए यहां से जयंत अपनी पत्नी चारू चौधरी को चुनाव में उतार सकते हैं।

बिजनौर से गुर्जर पर दांव
रालोद के खाते में दूसरी सीट बिजनौर लोकसभा है। जहां प्रत्याशी को लेकर मंथन शुरू है। माना जा रहा है कि बिजनौर सीट पर काफी गुर्जर वोटर हैं। ऐसे में बिजनौर से गुर्जर पर दांव खेला जा सकता है। जिससे गुर्जरों को साधा जा सके। 
 

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