M3M ग्रुप को बड़ा झटका : उत्तर प्रदेश सरकार ने दो बड़े प्रोजेक्ट की जमीन का आवंटन रद्द किया

UPT | M3M ग्रुप को बड़ा झटका

May 14, 2024 13:39

दिल्ली एनसीआर के मशहूर बिल्डर एम3एम को नोएडा में बड़ा झटका लगा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने M3M समूह की सहायक कंपनी लविश बिल्डमार्ट और स्काईलाइन पॉपकॉर्न का नोएडा...

Noida News : दिल्ली एनसीआर के मशहूर बिल्डर एम3एम को नोएडा में बड़ा झटका लगा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने M3M समूह की सहायक कंपनी लविश बिल्डमार्ट और स्काईलाइन पॉपकॉर्न का नोएडा में आवंटन रद्द कर दिया है। प्रदेश सरकार का कहना है कि यह जमीन गैर प्रतिस्पर्धा दर पर खरीदी जा रही थी। M3M बिल्डर के नोएडा ग्रेटर नोएडा में कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं। एनसीआर  इन दिनों प्रीमियम या लक्जरी हाउसिंग का हब बन रहा है। लक्जरी हाउसिंग में एम3एम कंपनी ने गुड़गांव में कई अच्छे प्रोजेक्ट लॉन्च और डिलीवर किए हैं। पिछले साल ही कंपनी ने उत्तर प्रदेश के नोएडा में इंट्री में घोषणा की थी। ऐसे में सरकार के इस फैसले से M3M को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है। 

गैर-प्रतिस्पर्धी दर पर जमीन का आवंटन 
मिली जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले हफ्ते गुड़गांव की रियल एस्टेट कंपनी एम3एम की सहायक कंपनियों के स्वामित्व वाले नोएडा सेक्टर-72 और 94 में दो भूखंडों का आवंटन रद्द कर दिया है। प्लॉट कैंसिलेशन का आधार पर जमीन की "गैर-प्रतिस्पर्धी दर" है। डेवलपर ने जमीन लेते वक्त कुछ आवश्यकताओं जरूरतों को भी पूरा नहीं किया था।

नोएडा अथॉरिटी को दी शिकायत 
इस साल फरवरी में नोएडा अथॉरिटी को एक शिकायत मिली थी कि इन भूखंडों के आवंटन के लिए प्राधिकरण द्वारा निर्धारित नियमों और शर्तों का उल्लंघन किया गया है। इसके बाद ही उत्तर प्रदेश सरकार का यह आदेश आया है। शिकायत में कहा गया था कि आथॉरिटी ने ई-टेंडर प्रोसेस में किसी कंपनी की सब्सिडियरी कंपनी के लिए जो पैमाना तय किया है, उसका पालन नहीं किया गया है। नियमानुसर एक सहायक कंपनी को भूखंडों के आवंटन के लिए नेट वर्थ, सॉल्वेंसी और टर्नओवर का जो न्यूनतम मानक रखा गया है, उसे पूरा करना होगा। इसके बाद अप्रैल में यूपी सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी गई। इसी रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव (यूपी औद्योगिक विकास विभाग) अनिल कुमार सागर ने 10 मई को आदेश जारी किया।

यूपी सरकार ने आदेश में क्या कहा 
प्रमुख सचिव के आदेश में कहा गया था कि दोनों भूखंड एक ही रियल्टर को गैर-प्रतिस्पर्धी दरों पर आवंटित किए गए थे। आदेश में कहा गया है, "दोनों मामलों में, बोली आरक्षित मूल्य (सेक्टर 94 में 827.35 करोड़ रुपये और सेक्टर 72 में 176.48 करोड़ रुपये) से केवल 5 लाख रुपये बढ़ाए गए थे।"

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