निठारी कांड का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा : हाईकोर्ट ने मुख्य आरोपी को कर दिया था बरी, सीबीआई ने दाखिल की याचिका

UPT | निठारी कांड का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा

Aug 14, 2024 16:29

नोएडा का कुख्यात निठारी कांड एक बार फिर सुर्खियों में है। हाल ही में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा सुरेंद्र कोली को बरी किए जाने के बाद, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की स्थिति की आलोचना हो रही है। इस फैसले के खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।

Short Highlights
  • निठारी कांड का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती
  • 2006 में घटित हुआ था निठारी कांड
Noida News : नोएडा का कुख्यात निठारी कांड एक बार फिर सुर्खियों में है। हाल ही में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा सुरेंद्र कोली को बरी किए जाने के बाद, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की स्थिति की आलोचना हो रही है। इस फैसले के खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की याचिका पर विचार करने की सहमति जताई है और 16 अक्टूबर 2024 को जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ द्वारा मामले की समीक्षा की जाएगी। यह सुनवाई निठारी कांड से जुड़ी अन्य याचिकाओं के साथ की जाएगी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती
19 जुलाई 2024 को, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई की स्वीकृति दी थी। इन याचिकाओं में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें सुरेंद्र कोली को बरी किया गया था। कोर्ट ने इस फैसले के खिलाफ कोली को नोटिस जारी कर उसका जवाब मांगा था। इससे पहले, मई में एक पीड़ित के पिता ने भी इस मामले में याचिका दायर की थी।

2006 में घटित हुआ था निठारी कांड
निठारी कांड दिसंबर 2006 में नोएडा के निठारी इलाके में घटित हुआ था, जब मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पास कंकाल के अवशेष मिले थे। इस घटना ने व्यापक आक्रोश पैदा किया और गहन जांच शुरू हुई। पंढेर और उनके घरेलू सहायक सुरेंद्र कोली पर बलात्कार, हत्या, और संभवतः नरभक्षी कृत्यों का आरोप लगाया गया था। इस कांड ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियां बटोरीं और इसे एक जघन्य अपराध के रूप में देखा गया।

सत्र न्यायालय ने एक आरोपी को किया था बरी
2010 में, सत्र न्यायालय ने सुरेंद्र कोली को मौत की सजा सुनाई और मोनिंदर सिंह पंढेर को बरी कर दिया था। हालांकि, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2023 में इस निर्णय को पलटते हुए दोनों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष उचित संदेह से परे अपराध साबित करने में विफल रहा और जांच की आलोचना की। इस निर्णय के बाद, सीबीआई और पीड़ितों के परिवार ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी, जो अब सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

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