सुपरटेक और एनबीसीसी के बीच विवाद : घर खरीदारों की खतरे में उम्मीद, बिल्डर ने प्रस्ताव को ठुकराया 

UPT | सुपरटेक और एनबीसीसी के बीच विवाद

Sep 30, 2024 22:59

सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा ने कहा है कि वे एनबीसीसी के प्रस्ताव पर आपत्ति जताएंगे। उनका कहना है कि एनबीसीसी की योजना से परियोजनाओं में और अधिक देरी होगी....

Noida News : नोएडा में रियल एस्टेट के क्षेत्र में नया विवाद उत्पन्न हुआ है। सुपरटेक लिमिटेड ने नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनबीसीसी) के प्रस्ताव का विरोध करने का निर्णय लिया है। एनबीसीसी ने सुपरटेक की 11 अधूरी परियोजनाओं को अपने नियंत्रण में लेने का प्रस्ताव रखा था, जिससे उन हजारों घर खरीदारों में चिंता बढ़ गई है, जो अपने घरों के लिए लम्बे समय से इंतजार कर रहे हैं। यह मामला वर्तमान में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) में चल रहा है। एनबीसीसी ने 19 सितंबर को एनसीएलएटी को अपनी विस्तृत योजना सौंपी, जिसके बाद एनसीएलएटी ने सभी हितधारकों, जैसे घर खरीदारों और बैंकों, से प्रतिक्रिया मांगी।

आरके अरोड़ा का बयान
सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा ने कहा है कि वे एनबीसीसी के प्रस्ताव पर आपत्ति जताएंगे। उनका कहना है कि एनबीसीसी की योजना से परियोजनाओं में और अधिक देरी होगी। अरोड़ा ने स्पष्ट किया कि एनबीसीसी को काम शुरू करने से पहले कम से कम एक साल तक जांच करनी होगी, जिससे परियोजनाएं और पीछे चलेंगी। उन्होंने कहा कि सुपरटेक स्वयं इन परियोजनाओं को तेजी से पूरा कर सकती है और निवेशकों या सह-डेवलपर्स की मदद ले सकती है।



परियोजनाओं का वित्तीय आकलन
इन 11 परियोजनाओं में नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम और बेंगलुरु शामिल हैं। सुपरटेक का अनुमान है कि इन्हें पूरा करने में 5,192 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी, जबकि एनबीसीसी का अनुमान इससे काफी अधिक है—10,378 करोड़ रुपये। अरोड़ा ने बताया कि एनबीसीसी की योजना से कुल खर्च बढ़ेगा, जिससे बैंकों और अन्य लेनदारों को मिलने वाली राशि प्रभावित होगी। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि एनबीसीसी ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह बैंकों और ज़मीन के मालिकों को कब तक धन लौटाएगी।

बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ समझौता
सुपरटेक ने यह भी बताया कि उसे कई बड़ी कंपनियों से प्रस्ताव मिले हैं, जिन्होंने परियोजनाओं की समीक्षा की है। उनके रिपोर्ट के आधार पर अंतरिम समाधान पेशेवर (IRP) ने योजनाएं तैयार की हैं। अरोड़ा ने यह भी स्पष्ट किया कि परियोजनाओं में देरी तकनीकी कारणों से नहीं, बल्कि धन की कमी के कारण हुई है। उन्होंने उल्लेख किया कि हाल ही में बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ एक समझौता हुआ है, जिससे दून स्क्वायर परियोजना के लिए आवश्यक फंड मिल गए हैं, और अन्य बैंक भी प्रत्येक परियोजना के लिए अलग-अलग बातचीत के लिए तैयार हैं।

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