ईडी खोल रही हैसिंडा प्रोजेक्ट के गबन की परतें : नोएडा से लखनऊ तक फैले हैं तार, पूर्व IAS से भी जुड़ा कनेक्शन

UPT | ईडी खोल रही हैसिंडा प्रोजेक्ट के गबन की परतें

Sep 20, 2024 17:19

हैसिंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड में गबन की परतें एक के बाद एक खुलने लगी हैं। शारदा ग्रुप के मेरठ स्थित ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई के बाद नोएडा से लेकर लखनऊ तक फैले तारों की जानकारी सामने आई है।

Short Highlights
  • खुल रही हैसिंडा प्रोजेक्ट के गबन की परतें
  • ईडी की छापेमारी में खुली पोल
  • पूर्व आईएएस के रसूख के आगे सब फेल
Noida News : हैसिंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड में गबन की परतें एक के बाद एक खुलने लगी हैं। शारदा ग्रुप के मेरठ स्थित ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई के बाद नोएडा से लेकर लखनऊ तक फैले तारों की जानकारी सामने आई है। बताया जा रहा है कि प्रमोटरों को बिना किसी निवेश के ही जमीनों का आवंटन कर दिया गया। ये सब कुछ हुआ पूर्व आईएएस मोहिंदर सिंह की शह में।

लोटस प्रोजेक्ट में भयंकर घोटाला
हैसिंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड को लोटस 300 प्रोजेक्ट के तहत 300 फ्लैट बनाने थे। इसके लिए निवेशकों से 363 करोड़ रुपये जुटाए गए थे। लेकिन फ्लैट देना तो दूर, कंपनी ने प्रोजेक्ट की सात एकड़ की जमीन दूसरे बिल्डर को बेच दी। इसके बाद कंपनी के खिलाफ दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा में केस दर्ज कराया गया। मामला कोर्ट में जाने के बाद ईडी को जांच के आदेश दिए गए।



ईडी की छापेमारी में खुली पोल
इसी क्रम में ईडी ने शारदा ग्रुप के मालिकों आदित्य और आशीष गुप्ता के मेरठ स्थित बंगले पर छापेमारी की। शारदा ग्रुप से जुड़ी एक कंपनी ने ही 91 करोड़ की जमीन खरीदी थी, जिसे हैसिंडा ने बेच दिया था। रिठानी में स्थित गुप्ता ब्रदर्स के दफ्तर और गगोल रोड की फैक्ट्री की भी जांच की गई थी। ईडी को यहां 5 करोड़ के हीरे मिले। इसी कड़ी में मेरठ के पूर्व कमिश्नर मोहिंदर सिंह का नाम भी सामने आया। मोहिंदर सिंह नोएडा के चेयरमैन और सीईओ रह चुके हैं।

पूर्व आईएएस के रसूख के आगे सब फेल
कहते हैं कि मोहिंदर सिंह की बसपा के कार्यकाल में तूती बोलती थी। मोहिंदर सिंह 2007 से लेकर 2012 तक नोएडा में अहम पदों पर रहे। इस दौरान जिस जमीन पर बिल्डरों ने हाथ रख दिया, वह उनकी हो गई। मोहिंदर सिंह को अपनी 'कट' मिलता रहा। मोहिंदर का रसूख ऐसा था कि उनका फैसला पत्थर की लकीर हो जाता था। उनकी चलाई कलम पर शासन तक को कोई आपत्ति नहीं होती थी। इस दौर में बिल्डरों और अधिकारियों के गठजोड़ ने खूब मलाई खाई थी।

मलाई खाने में कोई पीछे नहीं
आप बस कल्पना कीजिए कि नोएडा में स्थित दलित प्रेरणा स्थल के निर्माण के दौरान एमओयू 84 करोड़ का साइन हुआ था, लेकिन इसके निर्माण में 1000 से 1400 करोड़ रुपये तक खर्च हुए। तब नोएडा प्राधिकरण के सर्वेसर्वा मोहिंदर सिंह ही थे। ऑडिट रिपोर्ट पर सवाल उठे, लेकिन नतीजा निल बटे सन्नाटा। जांच चल रही है, लेकिन आगे क्या होगा, सबको पता है। मोहिंदर सिंह जब मेरठ में कमिश्नर थे, तब उनकी गुप्ता बंधुओं से 'दोस्ती' शुरू हुई थी। दिल्ली-देहरादून हाईवे पर कई सौ बीघा जमीन खरीद से लेकर मेरठ में विभिन्न सुविधाओं से युक्त कॉलोनी बसाने के दावे भी सामने आए हैं।

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