दुर्गा पूजा : ग्रेटर नोएडा में दुर्गा पूजा के उपलक्ष्य पर सांस्कृतिक उत्सव ‘बोधोन’ का आयोजन

UPT | सांस्कृतिक उत्सव ‘बोधोन’ का आयोजन

Oct 07, 2024 18:55

 दुर्गा पूजा, भारत के सबसे प्रतिष्ठित त्योहारों में से एक, की तैयारियां जोरों पर हैं। यह त्योहार 8 अक्टूबर से 13 अक्टूबर, 2024 तक मनाया जाएगा...

Short Highlights
  • 8 अक्टूबर से 13 अक्टूबर, 2024 तक मनाया जाएगा त्योहार
  • बंगाल में पूजा-पूर्व सांस्कृतिक उत्सव बहुत प्रचलित हैं : अभिषेक रॉय
Greater Noida News : दुर्गा पूजा, भारत के सबसे प्रतिष्ठित त्योहारों में से एक, की तैयारियां जोरों पर हैं। यह त्योहार 8 अक्टूबर से 13 अक्टूबर, 2024 तक मनाया जाएगा। इस छह दिवसीय महोत्सव में अच्छाई पर बुराई की विजय का जश्न मनाया जाता है। इस पावन अवसर पर भक्त देवी दुर्गा, शक्ति और साहस की प्रतीक की पूजा करते हैं।



शनिवार की शाम को ग्रेटर नोएडा के एसकेए मेट्रोविले के सामुदायिक केंद्र में संध्यांगन डांस अकादमी द्वारा दुर्गा पूजा की शुरुआत के उपलक्ष्य में एक सांस्कृतिक संध्या ‘बोधोन’ का आयोजन किया गया। यह सांस्कृतिक कार्यक्रम बंगाल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इसकी अनूठी परंपराओं को प्रदर्शित करने वाला था। कार्यक्रम के आयोजक अभिषेक रॉय ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “बंगाल में पूजा-पूर्व सांस्कृतिक उत्सव बहुत प्रचलित हैं। हम इस परंपरा को ग्रेटर नोएडा में लाना चाहते थे, और यह पहला प्रयास काफी सफल रहा। आने वाले वर्षों में हम इसे और बड़े पैमाने पर आयोजित करना चाहते हैं।”

‘चंडी पाठ’ से हुई कार्यक्रम की शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत मोनोजीत चक्रवर्ती, मौसमी चक्रवर्ती, श्रुति चक्रवर्ती, निवान मुखर्जी और साग्निक चक्रवर्ती द्वारा किए गए ‘चंडी पाठ’ से हुई, जिसने दर्शकों को आध्यात्मिक अनुभूति दी। इसके बाद, गुरुकुल म्यूजिकोलॉजी फाउंडेशन के अध्यक्ष आनंद मिश्रा और उनके समूह ने देवी दुर्गा की स्तुति प्रस्तुत की, जिससे आयोजन को भक्तिमय माहौल मिला। सांस्कृतिक संध्या में प्रस्तुत किए गए विभिन्न कार्यक्रमों ने दर्शकों का दिल जीत लिया। आलेख्य, अभ्रनील, देबदीप्तिओ, रायर्थ और अपरूपा ने मां दुर्गा की यात्रा योजना पर आधारित एक हास्य कविता प्रस्तुत की। इसके अलावा, अयान, सौरिश और अरण्या ने वाद्य यंत्रों पर पुराने बंगाली गानों की धुनें छेड़ीं, जिससे समारोह का माहौल और भी समृद्ध हो गया।

दर्शकों को भावविभोर कर दिया
भक्ति कविताओं की प्रस्तुति पौशाली, देबर्षि और ऋषि मुखर्जी द्वारा की गई, जिन्होंने अपनी कविता से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। शुभोश्री रॉय, शतरूपा शोभाकोर और सम्मिता चटर्जी ने नृत्य, कविता और संगीत का अद्भुत मिश्रण ‘उन्मेष’ प्रस्तुत किया। वहीं गालिब पर आधारित एक नाटक सानोई घोष, अयोनिका रॉय और पिनाकी कंसबानिक द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। संध्यांगन डांस अकादमी की छात्राओं ने अपने उत्कृष्ट नृत्य प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया। इस नृत्य नाटिका ‘सरत, रवींद्रनाथ, एबोंग’ का निर्देशन प्रियंका रॉय ने किया, और बिदिशा दत्ता की गायकी ने कार्यक्रम को चार चांद लगा दिए।

बड़े स्तर पर ले जाने की योजना 
कार्यक्रम का समापन सुभाशीष घोष और स्नेहा मजूमदार की प्रस्तुतियों के साथ हुआ। बंगाल के लोक गीतों और बंगाली रॉक गीतों ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस पूरे कार्यक्रम का आयोजन सिनेसंस्कृति और मेटाफ़ोर द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था। सिनेसंस्कृति के पिनाकी कंसबानिक ने कहा, “कार्यक्रम को मिली ज़बरदस्त प्रतिक्रिया से हम रोमांचित हैं। भविष्य में इस उत्सव को और भी बड़े स्तर पर ले जाने की हमारी योजना है।” संध्यांगन डांस अकादमी की निदेशक प्रियंका रॉय ने कहा, “हमारे उद्देश्य बंगाल की सांस्कृतिक धरोहर को यहां के निवासियों के बीच लाना है। स्थानीय बच्चों में बहुत प्रतिभा है, और ऐसे कार्यक्रमों के जरिए हम उन्हें प्रोत्साहित करना चाहते हैं।”

बंगाल की संस्कृति और व्यंजनों के बारे में...
दर्शकों में मौजूद एसडीआरवी कॉन्वेंट स्कूल की प्रिंसिपल गार्गी घोष कंसबानिक ने कहा, "हमें इस तरह के कार्यक्रमों की और भी ज़रूरत है। यह स्थानीय लोगों के लिए बंगाल की संस्कृति और व्यंजनों के बारे में जानने का एक शानदार अवसर है। युवा लड़के और लड़कियों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए एक मंच मिलता है। "यह विविधता में एकता के विचार को बढ़ावा देता है।" कार्यक्रम का संचालन कुशलता से संचाली मुखर्जी ने किया, और समापन पर उपस्थित सभी लोगों के लिए स्वादिष्ट बंगाली व्यंजनों का रात्रिभोज आयोजित किया गया।

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