बड़ा खुलासा : एनसीआर में  25-30 लाख रुपये में चल रहा किडनी ट्रांसप्लांट का धंधा, निशाने पर रहते हैं बांग्लादेशी 

UPT | Symbolic Photo

Jul 09, 2024 19:48

दिल्ली पुलिस ने पिछले सप्ताह दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल की एक वरिष्ठ महिला डॉक्टर को गिरफ्तार किया था। पकड़ी गई महिला डॉक्टर बांग्लादेश और भारत में अंग प्रत्यारोपण रैकेट से जुड़ी बताई जा रही है। पुलिस ने बताया कि 50 वर्षीय डॉ...

Noida News : दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम के किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट के खुलासे के बाद एक नामी अस्पतालों पर सवाल उठने लगे हैं। इस मामले में दिल्ली के नामी इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल की महिला डॉक्टर के अलावा नोएडा के यथार्थ अस्पताल का भी नाम सामने आया है। इससे पहले गुरुग्राम पुलिस ने मई 2024 में अवैध किडनी ट्रांसप्लांट के मामले में फोर्टिस अस्पताल के दो सर्जन डॉक्टरों को गिरफ्तार किया था। चौंकाने वाली बात है कि इस मामले में भी किडनी दान करने वाले लोग बांग्लादेश के नागरिक थे। 

2021-23 में 15-16 ट्रांसप्लांट
दिल्ली पुलिस ने पिछले सप्ताह दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल की एक वरिष्ठ महिला डॉक्टर को गिरफ्तार किया था। पकड़ी गई महिला डॉक्टर बांग्लादेश और भारत में अंग प्रत्यारोपण रैकेट से जुड़ी बताई जा रही है। पुलिस ने बताया कि 50 वर्षीय डॉ. विजया कुमारी, जो अब निलंबित हैं, गिरोह के साथ काम करने वाली एकमात्र डॉक्टर थीं और उन्होंने 2021-23 के दौरान नोएडा के यथार्थ अस्पताल में करीब 15-16 ट्रांसप्लांट किए थे। सूत्रों के मुताबिक, वरिष्ठ कंसल्टेंट और किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. विजया कुमारी करीब 15 साल पहले अपोलो अस्पताल में जूनियर डॉक्टर के तौर पर शामिल हुई थीं। उन्हें अस्पताल के पेरोल पर नहीं बल्कि फीस-फॉर-सर्विस के आधार पर नियुक्त किया गया था।

एनसीआर के नामी अस्पताल शामिल 


पुलिस के मुताबिक यह रैकेट में बांग्लादेश के मरीजों को बिचौलियों के एक नेटवर्क, डॉ. विजया कुमारी और उनके सहयोगियों द्वारा एनसीआर के नामी अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए लालच दिया जाता था। जिसके बाद से इन नामी अस्पतालों की भी जांच की जा रही है। दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम इन अस्पतालों की बारी-बारी से जांच कर रही है। सूत्रों के मुताबिक कुछ अस्पतालों से इस रैकेट का लिंक मिलने का सुराग मिला है। लेकिन पुलिस पुख्ता सुबूत हाथ लगने के बाद ही इन अस्पतालों पर हाथ डालेगी। 

बांग्लादेश उच्चायोग के नाम पर फर्जीवाड़ा 
वहीं, डॉ. विजया कुमारी के अलावा पिछले महीने तीन बांग्लादेशी नागरिकों को भी गिरफ्तार किया गया था। कथित तौर पर नई दिल्ली में बांग्लादेश उच्चायोग के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए थे ताकि यह दावा किया जा सके कि दाता और प्राप्तकर्ता (दोनों बांग्लादेशी) के बीच संबंध थे - जो कि भारतीय कानून के अनुसार आवश्यक है। सूत्रों ने बताया कि ये जाली दस्तावेज भी जब्त कर लिए गए हैं। 

त्रिपुरा के इफ्ति फरार, बाकी सब गिरफ्तार 
सूत्रों ने बताया कि मौजूदा मामले में, 29 वर्षीय बांग्लादेशी रसेल अपने साथियों मोहम्मद सुमन मियां और त्रिपुरा के इफ्ति और रतीश पाल के साथ बांग्लादेश से संभावित दानदाताओं को दिल्ली बुलाता था। एक सूत्र ने बताया कि वे 4-5 लाख रुपये में किडनी दान करते थे और प्राप्तकर्ता से 25-30 लाख रुपये लिए जाते थे। इफ्ति को छोड़कर बाकी सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। 

राजस्थान में मिला था लिंक
पुलिस सूत्रों के मुताबिक राजस्थान में किडनी रैकेट का भंडाफोड़ होने के बाद जानकारी मिली और पुलिस ने करीब तीन महीने पहले इस पर काम करना शुरू किया। सभी आरोपी पहली बार किडनी ट्रांसप्लांट करवा रहे थे और वे हर ट्रांसप्लांट के लिए डॉक्टर को 2-3 लाख रुपये दे रहे थे। जिसके बाद पुलिस ने जांच की और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

Also Read