मंकीपॉक्स वायरस ने भारत में दी दस्तक : डॉक्टर बोले- कोरोना से कम खतरनाक, पर सावधानी जरूरी

UPT | प्रतीकात्मक फोटो

Aug 23, 2024 19:50

दुनिया के कई देशों में फैले मंकीपॉक्स वायरस ने भारत में दस्तक दे दी है, जिससे टेंशन बढ़ गई है। फेलिक्स हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉक्टर डी.के गुप्ता का कहना है कि मंकीपॉक्स एक जूनोटिक बीमारी है, जो एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में फैलती है।

Short Highlights
  • मंकीपॉक्स एक जूनोटिक बीमारी है
  • वैक्सीन लगवाना जरूरी
Noida News : दुनिया के कई देशों में फैले मंकीपॉक्स वायरस ने भारत में दस्तक दे दी है, जिससे टेंशन बढ़ गई है। फेलिक्स हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉक्टर डी.के गुप्ता का कहना है कि मंकीपॉक्स एक जूनोटिक बीमारी है, जो एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में फैलती है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां हैं, लेकिन यह कोरोना वायरस से खतरनाक नहीं है। डॉक्टर गुप्ता ने सावधानी बरतने की सलाह दी है।

वायरस से संक्रमण के कारण होती है बीमारी 
मंकीपॉक्स, वायरस से संक्रमण के कारण होती है, जो पॉक्सविरिडाइ फैमिली के ऑर्थोपॉक्स वायरस जीनस से आता है। ऑर्थोपॉक्स वायरस जीनस में चेचक (स्मालपॉक्स) और काउपॉक्स बीमारी फैलाने वाले वायरस भी आते हैं। मंकीपॉक्स से संक्रमित किसी जानवर या इंसान के संपर्क में आने पर कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है। ये वायरस त्वचा में घाव, सांस और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। छींक या खांसी के दौरान निकलने वाली बड़ी श्वसन बूंदों से इसका प्रसार होता है।

चेचक जैसे ही हैं मंकीपॉक्स के लक्षण 
इंसानों में मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक जैसे होते हैं। शुरुआत में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और पीठ में दर्द, थकावट होती है और तीन दिन में शरीर पर दाने निकलने लग जाते हैं। मंकीपॉक्स के लक्षण आमतौर पर फ्लू जैसी बीमारी और लिम्फ नोड्स की सूजन से शुरू होती हैं, फिर चेहरे और शरीर पर दाने होने लगतें हैं। अधिकांश संक्रमण 2-4 सप्ताह तक रहता है। मंकीपॉक्स संक्रमण के लिए कोई स्पेशल इलाज नहीं है।

वैक्सीन लगवाना जरूरी
चेचक, खसरा, बैक्टीरियल स्किन इंफेक्शन, खुजली, और दवाओं से होने वाली एलर्जी मंकीपॉक्स से अलग होती है। केंद्र सरकार ने गाइडलाइन जारी कर डिस्ट्रिक्ट सर्विलांस यूनिट्स को इस तरह के मामलों को गंभीरता से लेने और इसके इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम के तहत जांच शुरू करने के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने गाइडलाइन में कहा है कि मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति की 21 दिनों तक निगरानी की जाएगी। अगर किसी में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखते हैं तो टेस्टिंग के बाद ही इसे कंफर्म माना जाएगा। बीमारी का अबतक कोई इलाज नहीं है लेकिन अगर आप इससे बचना चाहते हैं तो इसके लिए आप इसकी वैक्सीन जरूर लगवा लें। तभी आप इससे बच सकते हैं। इसके अलावा इसका कोई इलाज नहीं है। यह वायरस , कोरोना से ज्यादा गंभीर वायरस नहीं है। इसका असर लोगों की जान नहीं ले रहा है।

मंकीपॉक्स के लक्षणों को कभी नजरंदाज न करें 
इसके लक्षण कुछ तरह से होते हैं। तेज बुखार आना, शरीर टूटना, सिर में तेज दर्द होना, हर समय चिड़चिड़ा पन रहेगा, शरीर के किसी भी हिस्से में सूजन, त्वचा पर लाल चकत्ते और फफोले पड़ते हुए दिखाई देना, लगातार बॉडी में एनर्जी की कमी होना, लाल चकत्ते घाव के रूप में बदलना, दानों में असहनीय दर्द का होना, जोड़ों में सूजन मुख्य लक्षण हैं।  यदि आपको कुछ ऐसे लक्षण दिखाई दे तो तुरंत अपने नजदीकी अस्पताल में जाकर डॉक्टर को दिखाएं।

जानलेवा नहीं, लेकिन खतरनाक है मंकीपॉक्स 
यह बीमारी जानलेवा नहीं हैं किन्तु यह हमारे शरीर के लिए खतरनाक हो सकती है। इसलिए इससे बचने के लिए कुछ सावधानियाँ बरतनी चाहिए। उन जानवरों के संपर्क में आने से बचें जो वायरस को शरण दे सकते हैं। संक्रमित रोगियों को अन्य लोगों से अलग करें जिन्हें संक्रमण का खतरा हो सकता है। संक्रमित जानवरों या मनुष्यों के संपर्क में आने के बाद हाथ की अच्छी तरह से धोएं। मरीजों की देखभाल करते समय व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए पीपीई किट का प्रयोग करें।

Also Read