Noida News : हाथियों की जान जाने का सिलसिला कब रुकेगा, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने दिया ये जवाब

UPT | प्रतीकात्मक फोटो

Apr 15, 2024 19:46

नोएडा के सोशल एक्टिविस्ट रंजन तोमर ने एक आरटीआई के जरिए सरकार के सामने एक चौंकाने वाला सच्चाई रखी है। उनके अनुसार, पिछले पांच वर्षों में हाथियों की मौत के आंकड़ों में...

Short Highlights
  • 2022-23 में बढ़कर 100 हो गई हाथियों की संख्या
  • सबसे ज्यादा हाथी ओडिशा, असम, तमिलनाडु और कर्नाटक में मारे गए
Noida News : नोएडा के सोशल एक्टिविस्ट रंजन तोमर ने एक आरटीआई के जरिए सरकार के सामने एक चौंकाने वाला सच्चाई रखी है। उनके अनुसार, पिछले पांच वर्षों में हाथियों की मौत के आंकड़ों में उतार-चढ़ाव तो आया है, लेकिन कोई उल्लेखनीय कमी नहीं आई। साल 2019-20 में करंट लगने से 76 हाथी मारे गए। अगले साल यह संख्या 65 तक घट गई। लेकिन 2021-22 में फिर से घटकर 57 हो गई। इसके बाद 2022-23 में यह बढ़कर चौंका देने वाले 100 हो गई। उल्लेखनीय है कि इन मौतों में सबसे ज्यादा हाथी ओडिशा, असम, तमिलनाडु और कर्नाटक में मारे गए।

ट्रेन हादसों में भी नहीं आई कोई खास बदलाव
ट्रेन हादसों में हाथियों की मौत के मामले में भी कोई बड़ा बदलाव नहीं आया। साल 2018-19 में 19 हाथी मारे गए, जो 2019-20 में घटकर 14 हो गए। 2020-21 में यह 12 तक पहुंच गए, लेकिन फिर बढ़कर 2021-22 और 2022-23 में 15-15 हो गए।  

सरकार द्वारा किए गए प्रयास
इस मुद्दे पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने कई प्रयासों का जिक्र किया है। इनमें राज्य सरकारों को प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट एलीफैंट के तहत आर्थिक मदद देना, राज्यों और बिजली कंपनियों को करंट से बचाव के उपाय बताना, पर्यावरण मंत्रालय द्वारा ऊर्जा मंत्रालय के साथ मीटिंग करना और अन्य मंत्रालयों द्वारा हाथियों के संरक्षण पर पुस्तिका प्रकाशित करना शामिल हैं।

अपनी भूमिका को और मजबूत करें सरकार
सोशल एक्टिविस्ट रंजन तोमर का कहना है कि अब तक किए गए इन प्रयासों के बावजूद हाथियों की मृत्यु दर में कोई उल्लेखनीय कमी नहीं आई है। इसलिए सरकार को इस दिशा में और अधिक प्रयास करने की जरूरत है। साथ ही, राज्य सरकारों को भी अपनी भूमिका को और मजबूत करनी होगी।

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