नोएडा में करोड़ों का घोटाला : यूपी राज्य निर्माण निगम के अधिकारी और पत्नी जांच के घेरे में, कंपनियों में निवेश और काली कमाई की आशंका

UPT | नोएडा में करोड़ों का घोटाला

Oct 25, 2024 16:54

उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण निगम के अपर परियोजना प्रबंधक राजवीर सिंह करोड़ों के घोटाले में फंस गए हैं। स्मारक निर्माण में अनियमितताओं के आरोपों के चलते उनके खिलाफ चल रही जांच में नए खुलासे हुए हैं...

Noida News : उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण निगम के अपर परियोजना प्रबंधक राजवीर सिंह करोड़ों के घोटाले में फंस गए हैं। स्मारक निर्माण में अनियमितताओं के आरोपों के चलते उनके खिलाफ चल रही जांच में नए खुलासे हुए हैं, जिसमें उनके कई कंपनियों में निवेश और अवैध कमाई को वैध बनाने की कोशिशों का संदेह जताया जा रहा है। विजिलेंस विभाग की छापेमारी के दौरान राजवीर के घर से मिले दस्तावेजों ने जांच को एक नई दिशा दे दी है, जो न केवल उनकी संपत्तियों पर बल्कि उनके व्यवसायिक संबंधों पर भी सवाल खड़ा कर रही है।

तीन कंपनियों के दस्तावेज बरामद, पत्नी का नाम भी जुड़ा
विजिलेंस की छानबीन में राजवीर सिंह के ठिकानों से तीन कंपनियों के दस्तावेज मिले हैं, जिनमें "आरिज वेलटेक" नाम की कंपनी का जीएसटी पंजीकरण राजवीर के नाम पर पाया गया है। इसके अतिरिक्त, दो अन्य कंपनियाँ - "नोएडा टेस्ट हाउस" और "एआर इंटरप्राइजेज" उनकी पत्नी के नाम पर पंजीकृत मिली हैं। विजिलेंस अब इन कंपनियों की गतिविधियों और लेनदेन की गहन जांच कर रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि राजवीर ने सरकारी सेवा में रहते हुए कैसे कंपनियों की स्थापना की और क्या इन कंपनियों को अपने विभाग से जुड़े किसी प्रकार के ठेके दिए गए थे।

अवैध कमाई को वैध बनाने का संदेह
विजिलेंस अधिकारियों को संदेह है कि इन कंपनियों का उपयोग अवैध कमाई को वैध बनाने के लिए किया गया है। छापेमारी के दौरान नोएडा टेस्ट हाउस से सॉइल टेस्टिंग से जुड़े लाखों की कीमत के उपकरण बरामद किए गए हैं, जिससे संकेत मिलता है कि इस कंपनी में बड़े स्तर पर निवेश किया गया था। इसके अतिरिक्त, कुछ गोपनीय मोबाइल नंबर भी मिले हैं, जिनके बारे में माना जा रहा है कि उनका उपयोग व्यवसायिक लेनदेन में किया गया है। इन नंबरों का रिकॉर्ड खंगालकर यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि कौन-कौन इन लेनदेन में शामिल था।



आय से अधिक संपत्ति का खुलासा
जांच के दौरान यह भी पाया गया कि राजवीर सिंह ने अपनी आय से अधिक संपत्तियों की जानकारी को छिपाया हुआ था। उनके नाम कई प्लॉट्स और कीमती संपत्तियाँ पाई गईं हैं, जिनका उपयोग पीजी और हॉस्टल संचालन में किया जा रहा था। इन संपत्तियों की जानकारी राजवीर ने अपने आयकर दस्तावेजों में नहीं दी थी, जो अब विजिलेंस के लिए जांच का विषय बन गई हैं। विजिलेंस राजवीर और उनकी पत्नी को पूछताछ के लिए जल्द ही बुलाने की योजना बना रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इन संपत्तियों को हासिल करने में किन तरीकों का उपयोग किया गया।

सॉइल टेस्टिंग व्यवसाय में निवेश और ठेके हासिल करने का आरोप
सूत्रों के अनुसार, राजवीर सिंह ने विजिलेंस को यह स्वीकार किया है कि उन्होंने अपने कुछ करीबियों के साथ मिलकर व्यवसायिक लाभ के लिए कंपनियाँ बनाई थीं। नोएडा टेस्ट हाउस सॉइल टेस्टिंग से जुड़े कार्यों में संलग्न थी, और इसके माध्यम से ठेके हासिल किए जाने की भी संभावना जताई जा रही है। यह भी अंदेशा है कि ठेकों के माध्यम से राजवीर सिंह ने अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा इस कंपनी में लगाया हो।

विस्तृत जांच और नए खुलासों की उम्मीद
विजिलेंस विभाग इस मामले में सभी दस्तावेजों की बारीकी से जांच कर रहा है। अधिकारियों का मानना है कि राजवीर सिंह के खिलाफ चल रही इस जांच से और भी बड़े घोटाले का पर्दाफाश हो सकता है। अधिकारियों ने इस मामले की तह में जाने के लिए गहन पड़ताल शुरू कर दी है और आने वाले समय में और भी महत्वपूर्ण जानकारियाँ सामने आने की संभावना है। राजवीर सिंह के घोटाले का दायरा बढ़ता जा रहा है, जिससे यह साफ हो रहा है कि इस मामले में कई और नाम जुड़ सकते हैं।

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