Lok Sabha Election 2024 : अंतराष्ट्रीय महिला दिवस : आजादी के बाद 17 आम चुनाव में गाजियाबाद से सिर्फ एक महिला सांसद

UPT | International Womens Day

Mar 08, 2024 12:00

इसके बाद 14 चुनाव और हो चुके हैं। इनमें प्रमुख दलों ने महिला उम्मीदवार भी बहुत कम उतारी हैं। यह हाल तब है जबकि पिछले कई चुनाव में हर बार महिला आरक्षण का मुद्दा जोर-शोर से उठता है। सिर्फ लोकसभा चुनाव ही नहीं, विधान सभा चुनाव में भी कमोबेश......

Short Highlights
  • 62 साल पहले 1962 में पहली बार कमला चौधरी बनीं सांसद 
  • लोकसभा ही नहीं विधानसभा चुनाव में भी कमोवेश यहीं है स्थिति
  • कांग्रेस और आप को छोड़ किसी दल ने नहीं दिया महिला को टिकट 
     
Ghaziabad / Meerut : महिला दिवस पर महिलाओं के लिए बातें तो बड़ी-बड़ी की जाती हैं। सत्तारूढ़ दल भाजपा भी महिला सशक्तीकरण की बातें करती हैं। लेकिन जब चुनाव में टिकट देने की बारी आती हैं तो महिलाओं को टिकट देने के नाम पर सभी दल बगले झांकने लगते हैं। 
देश की आजादी के बाद हुए 17 लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद से सिर्फ एक महिला सांसद चुनी गई है। वह भी आज से 62 साल पहले 1962 में। इसके बाद 14 चुनाव और हो चुके हैं। इनमें प्रमुख दलों ने महिला उम्मीदवार भी बहुत कम उतारी हैं। यह हाल तब है जबकि पिछले कई चुनाव में हर बार महिला आरक्षण का मुद्दा जोर-शोर से उठता है। सिर्फ लोकसभा चुनाव ही नहीं, विधान सभा चुनाव में भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति है।

सीट पर पहले कांग्रेस और फिर भाजपा का दबदबा 
गाजियाबाद में मतदाताओं की संख्या 29,38,845 है। इनमें 16,22,869 पुरुष और 13,15,782 महिला मतदाता हैं। पुरुषों के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या थोड़ी सी ही कम है लेकिन टिकट देने के मामले में यह अंतर बहुत बड़ा है। इस सीट पर पहले कांग्रेस और फिर भाजपा का दबदबा रहा है। भाजपा से कभी कोई महिला उम्मीदवार नहीं उतारी गई। कांग्रेस से मौके मिले, लेकिन जीत सिर्फ एक को ही मिली।

कांग्रेस की कमला चौधरी ने निर्दलीय नसीम मौहम्मद को हराया 
यह चुनाव 1962 का था। तब गाजियाबाद सीट हापुड़-गाजियाबाद नाम से थी। कांग्रेस की कमला चौधरी ने निर्दलीय नसीम मौहम्मद को हराया था। कमला चौधरी को 81,999 वोट मिले थे जबकि नसीम को 53,366। अगले चुनाव में कमला चौधरी को हार का मुंह देखना पड़ा था। इसके बाद 1971 में किसी भी दल ने महिला उम्मीदवार नहीं उतारी। 1977 में भी चुनाव मैदान में कोई महिला उम्मीदवार नहीं थी। 1980 के चुनाव में 31 उम्मीदवार मैदान में थे, लेकिन उनमें महिला एक भी नहीं थी। इसके बाद भी लगभग ऐसी ही स्थिति रही। आधे से ज्यादा चुनाव में प्रमुख दलों ने महिला को टिकट नहीं दिया।

रीता चौधरी को टिकट मिला पर जीत नहीं
1996 में कांग्रेस से रीता चौधरी चुनाव मैदान में उतरीं। उन्होंने बहुत जोर-शोर से चुनाव प्रचार किया लेकिन जीत नसीब नहीं हुई। उस चुनाव में भाजपा के डाॅ. रमेश चंद तोमर जीते। रीता चौधरी 1,24,948 वोट लेकर चौथे स्थान पर रहीं। कुल उम्मीदवारों की संख्या 41 थी, जिनमें से महिलाओं की संख्या तीन थी। 1998, 1999 और 2004 में प्रमुख दलों से कोई महिला उम्मीदवार नहीं रही।

शाजिया और डाॅली को मिली हार
2009 में गाजियाबाद नाम से ही सीट बन गई। इन तीन चुनाव में भी महिलाओं की स्थिति नहीं बदली। इन तीन चुनाव में शाजिया इल्मी और डाॅली शर्मा जोर शोर से चुनाव लड़ीं लेकिन जीत की मंजिल तक नहीं पहुंच सकीं। 2019 के चुनाव में डाॅली शर्मा 1,11,948 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहीं। 2014 में आम आदमी पार्टी से शाजिया इल्मी 89,147 वोट लेकर छठे स्थान पर रहीं। 2009 में 16 उम्मीदवार थे लेकिन उनमें महिला एक भी नहीं थी।

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