करीब 15 साल अब जलभराव से निजात मिलेगी। करीब दस करोड़ की लागत से कड़कड़ मॉडल गांव में सीवर लाइन डाली जाएगी।
Short Highlights
15 साल से खुले में सीवर का पानी बह रहा
डीपीआर हुई तैयार, निगम शुरू करेगा जल्द काम
लोगों को नालियों के ओवरफ्लो और जलभराव से मिलेगी निजात
Ghaziabad News : दिल्ली के सटा साहिबाबाद क्षेत्र का गांव कड़कड़ मॉडल के ग्रामीणों को करीब 15 साल अब जलभराव से निजात मिलेगी। करीब दस करोड़ की लागत से कड़कड़ मॉडल गांव में सीवर लाइन डाली जाएगी। एनजीटी में सुनवाई के दौरान जल निगम ने कड़कड़ मॉडल गांव में सीवर लाइन बिछाए जाने के लिए डीपीआर तैयार होने और जनवरी 2025 से काम शुरू किए जाने की बात कही है।
कड़कड़ मॉडल गांव में साल 2002 में सीवर पंपिंग स्टेशन बना
कड़कड़ मॉडल गांव में साल 2002 में सीवर पंपिंग स्टेशन बना और 2009 में सीवर की लाइन डाली थी। लेकिन सीवर लाइन का कनेक्शन घरों में नहीं दिया गया था। नालियां ओवरफ्लो होने पर लोगों ने पाइप डालकर नालियों का बहाव सीवर लाइन में कर दिया। मगर पंपिंग स्टेशन न चलने से यह चोक होने लगी। इस कारण गांव में गंदगी पसरी रहती है और सीवर की गंदगी सीधे नाले में जा रही है।
2021 में एनजीटी में याचिका
स्थानीय निवासी सुशील राघव ने इस संबंध में 2021 में एनजीटी में याचिका डाली थी। इस संबंध में पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान भी एनजीटी ने नगर निगम जल को सीवर लाइन डाले जाने को कहा था। याचिकाकर्ता सुशील राघव ने बताया कि 16 दिसंबर को हुई सुनवाई के दौरान जल निगम ने रिपोर्ट पेश की जिसमें सीवर लाइन के लिए 9.82 करोड़ का डीपीआर तैयार हो जाने की बात कही गई है। जल निगम ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जनवरी के पहले सप्ताह से काम शुरू कर दिया जाएगा। इस पर एनजीटी ने कहा कि पहले ही बहुत देर हो चुकी है अब जल्द कार्य शुरू कराएं और 30 जून 2025 को रिपोर्ट पेश करें। 9 किमी के दायरे में बिछेगी लाइन
जल निगम आठ किमी के दायरे में पाइपलाइन बिछाएगा। गांव के 1955 मकानों को कनेक्शन देगा। साथ ही सीवर पंपिंग स्टेशन में पंप लगाकर इसे इंदिरापुरम स्थित 56 एमएलडी के एसटीपी की मेन लाइन से जोड़ा जाएगा। इससे लोगों को बड़ी राहत मिलेगी और गंदगी से निजात मिलेगी।
वसूला जाएगा 2.45 करोड़ का जुर्माना
सुशील राघव के मुताबिक कड़कड़ मॉडल गांव में सीवर व्यवस्था की बदहाली को लेकर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एनजीटी में बताया कि नगर निगम पर 2.45 करोड़ रुपये की पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति लगाकर नोटिस भेजा था। इसका जवाब नहीं मिला है। बोर्ड के सदस्य सचिव को रिपोर्ट भेज दी थी। सदस्य सचिव ने एनजीटी में कहा कि चार सप्ताह में क्षतिपूर्ति की वसूली कर ली जाएगी।