कांवड़ यात्रा : कांवड़ियों को बताए जाएंगे कांवड़ यात्रा संबंधी नियम, भगवा लेकर चलने की अपील

UPT | कांवड़ यात्रा संबंधी नियमों के बारे में जानकारी देते अधीर कौशिक और यति नरसिंहानंद गिरी।

Jul 10, 2024 13:31

भक्तगणों से तिरंगा न लेकर चलने का अनुरोध किया गया है। नियमों में कहा गया है कि भगवा हमारे सनातन गौरव का प्रतीक है और प्रत्येक धार्मिक कार्य भगवा ध्वज के साथ ही किया जाना चाहिए...

Short Highlights
  • महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने किया कांवड़ यात्रा संबंधी नियमों का समर्थन 
  • श्रीपरशुराम अखाड़े के अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने की कांवड़ यात्रा को नियमबद्ध करने की पहल 
  • शिवशक्ति धाम डासना पीठ में श्रीपरशुराम अखाड़ा के अध्यक्ष ने की मुलाकात
Kanwar Yatra 2024 : आज हरिद्वार से श्रीपरशुराम अखाड़े के अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक जी शिवशक्ति धाम डासना पहुंचे। जहां उन्होंने जगदम्बा महाकाली डासना वाली और महादेव के दर्शन करके उनसे सनातन धर्म की रक्षा और सनातन धर्म के शत्रुओं के विनाश की प्रार्थना की।

कांवड़ यात्रा को नियमबद्ध करने पर विस्तृत चर्चा
विधिवत पूजा अर्चना के बाद उन्होंने शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर व श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी से कांवड़ यात्रा को नियमबद्ध करने पर विस्तृत चर्चा की। पंडित अधीर कौशिक ने महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज को बताया कि करोड़ों दिशाहीन कांवड़ यात्रियों की भीड़ अपनी अज्ञानता वश कई भूल करती है जो सनातन धर्म को हानि करती हैं।

तिरंगा न लेकर चलने का अनुरोध
यदि कांवड़ यात्री कुछ मूलभूत नियमों का पालन करके इस हानि को रोक सकते हैं। इसके लिए श्रीपरशुराम अखाड़े ने 14 नियम तय किए हैं। जिनमें सबसे प्रमुख नियम कांवड़ यात्रा में किसी भी गैर हिन्दू के द्वारा बनाई गई किसी भी वस्तु का प्रयोग निषेध किया गया है। भक्तगणों से तिरंगा न लेकर चलने का अनुरोध किया गया है। नियमों में कहा गया है कि भगवा हमारे सनातन गौरव का प्रतीक है और प्रत्येक धार्मिक कार्य भगवा ध्वज के साथ ही किया जाना चाहिए।

सभी 14 नियमों को पढ़ कर भी सुनाया
महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने इस पहल के लिए पंडित अधीर कौशिक जी व श्रीपरशुराम अखाड़े को बहुत बहुत साधुवाद दिया और उनके समर्थन में वीडियो भी जारी किया। जिसमें सभी 14 नियमों को पढ़ कर भी सुनाया। महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने पंडित अधीर कौशिक को यह भी आश्वासन दिया कि वो यथासंभव इसका प्रचार की करेगे।

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