Kaleem Siddiqui : सीपीएमटी में 57 वीं रैक, मेरठ कॉलेज से की बीएससी, एमबीबीएस छोड़कर धर्मांतरण कराने को बना मौलाना

UPT | फुलत मदरसा के मौलाना कलीम सिद्दीकी

Sep 13, 2024 20:58

1998 के बाद राजनीति परिदृश्य बदला तो सपा और बसपा की सरकारें आती जाती रही। सपा और बसपा की सरकारों में मौलाना कलीम की जड़ें मजबूत होती गई। सपा सरकार में मौलाना कलीम पश्चिम यूपी में एक मजबूत ताकत बनकर उभरे।

Short Highlights
  • मेडिकल की पढ़ाई बीच में छोड़कर देने लगा था दीनी तालीम
  • एमबीबीएस डाक्टर बनने के लिए सीपीएमटी में पाई थी 57वीं रैंक 
  • कलीम को खाड़ी देशों से होती थी हवाला के जरिए फंडिंग
Kaleem Siddiqui Phulat Madrasa : पश्चिम यूपी के सबसे बड़े फुलत मदरसा के मौलाना कलीम सिद्दीकी ने 1998 में जामिया इमाम शाह वलीउल्लाह इस्लामिया की नींव रखी तो इसके बाद मौलाना कलीम ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। मौलाना कलाम पर धर्मांतरण के आरोप लगते रहे। लेकिन किसी की सरकार हिम्मत मौलाना कलीम को हाथ लगाने की नहीं हुई। मौलाना कलीम मुजफ्फरनगर के फुलत मदरसे में मजलिस और बड़े जलसे करवाते रहे। जिससे उनका दबदबा सभी सरकारों में बनता चला गया। 1998 के बाद यूपी में जितनी भी सरकारें बनी उनमें मौलाना कलीम का जलवा कायम रहा।

मौलाना कलीम पश्चिम यूपी में एक मजबूत ताकत बनकर उभरे
उत्तर प्रदेश में 1998 के बाद राजनीति परिदृश्य बदला तो सपा और बसपा की सरकारें आती जाती रही। सपा और बसपा की सरकारों में मौलाना कलीम की जड़ें मजबूत होती गई। सपा सरकार में मौलाना कलीम पश्चिम यूपी में एक मजबूत ताकत बनकर उभरे। जिसके बाद मुजफ्फरनगर के फुलत मदरसा की अंतराष्ट्रीय पहचान बन गई। लेकिन मौलाना कलीम सितंबर 2021 में गिरफ्तार किए गए। 

फूलत में बनाया मदरसा और खाड़ी से फंडिग
मेरठ कालेज से बीएससी करने वाले मौलाना कलीम ने एमबीबीएस डॉक्टर बनने के लिए सीपीएमटी में 57वीं रैंक हासिल की थी। लेकिन मौलाना ने डॉक्टर की बजाय दीनी तालीम देने के लिए अपना मदरसा बनाया। इसके बाद उसके मदरसे के ट्रस्ट को खाड़ी देशों से तीन करोड़ रुपये की फंडिंग के साथ हवाला के जरिए धन मिला। मौलाना ने प्रदेश में आई सपा और बसपा सरकारों के दौर में करीब 20 साल तक फुलत मदरसे का नाम के नाम पर खूब फंडिग की और उसका नाम विदेशों तक चमकाया।

किसान का बेटा कलीम पढ़ाई और दिमाग में था तेज  
किसान अमीन सिद्दीकी का बेटा कलीम शुरू से ही दिमाग में तेज था। यहीं कारण रहा कि वो पढ़ाई में तेज तर्रार निकला। कलीम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा फुलत गांव के ही एक मदरसे की थी। इसके बाद उसने खतौली के इंटर कॉलेज से विज्ञान वर्ग में इंटर प्रथम श्रेणी में पास ​किया। इसके बाद मेरठ कॉलेज मेरठ से बीएससी और सीपीएमटी की परीक्षा पास की। लेकिन कलीम ने एमबीबीएस डॉक्टर बनने की बजाय लखनऊ के एक मदरसे में दीनी तालीम हासिल की।

लखनऊ के नदवतुल उलमा में ली दीनी तालीम 
मौलाना कलीम ने सीपीएमटी परीक्षा पास कर मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने के बजाय लखनऊ के इस्लामी संस्थान दारुल उलूम नदवतुल उलमा दीनी तालीम हासिल की। इसके बाद वो अपने गांव फुलत अपने पुराने मदरसे फैजुल इस्लाम में लौट गया। जहां पर कलीम दीनी तालीम देने के लिए मौलाना बन गया। 

जन्नत और जहन्नुम में उलझाता गया कलीम
यूपी एटीएस की जांच में सामने आया कि मौलाना कलीम सिद्दीकी शैक्षणिक, सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं की आड़ में अवैध धर्मांतरण का कार्य करता रहा। कलीम सिद्दीकी अपने मदरसों की आड़ में जन्नत और जहन्नुम जैसी बातों में लोगों को उलझाता था। दूसरे शहरों से धर्मांतरण के बाद फुलत मदरसा में लाए जाने वाले लोगों को वो मजहबी तौर तरीके और नमाज अदा करने के तौर तरीके सिखाए सिखाता था। 

Also Read