17 करोड़ की एक खुराक : डीएमडी से जूझ रहा 8 साल का हमदान, इलाज के लिए चाहिए विदेशी दवा

UPT | हमदान

Sep 16, 2024 16:05

हमदान को ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमडी) से पीड़ित होने के कारण 17 करोड़ रुपये की अत्यंत महंगी दवा की जरूरत है। इस दुर्लभ बीमारी की दवा अमेरिका से मंगवाई जाती है ...

Short Highlights
  • बिजनोर में आठ साल के बच्चे को डीएमडी की बीमारी
  • 17 करोड़ की विदेशी दवा से होगा इलाज
  • हमदान को बीमारी के कारण छोड़नी पड़ी पढ़ाई
Bijnor News : बिजनौर जिले के कस्बा शेरकोट में 8 साल के बच्चे हमदान को ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमडी) से पीड़ित होने के कारण 17 करोड़ रुपये की अत्यंत महंगी दवा की जरूरत है। इस दुर्लभ बीमारी की दवा अमेरिका से मंगवाई जाती है और इसकी एक खुराक बीमारी को ठीक कर सकती है। जोल्गेन्स्मा नामक यह जीन थेरेपी दवा डीएमडी के इलाज में सक्षम है, लेकिन इसकी ऊंची लागत परिवार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है।

टाइप 1 डीएमडी से ग्रसित है हमदान
हमदान के माता-पिता, शमशाद अहमद और फरहाना, ने बताया कि उनके बेटे को जन्म के पांच साल बाद से चलने-फिरने में समस्या होने लगी। इस स्थिति को लेकर उन्हें ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेस, ऋषिकेश में ले जाया गया, जहां डॉक्टर्स ने उसे डीएमडी से ग्रसित बताया। बाद में मेरठ और दिल्ली में भी परीक्षण कराए गए, जिन्होंने इस बीमारी की पुष्टि की कि हमदान टाइप 1 डीएमडी से ग्रस्त है।



बीमारी के कारण छोड़नी पड़ी पढ़ाई
हमदान की मां फरहाना ने बताया कि बच्चे को चलने, उठने, बैठने में दिक्कत हो रही है और खाने में भी परेशानी हो रही है। परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए, शमशाद अहमद, जो दुबई में कारपेंटर का काम करते हैं, अपनी मामूली सैलरी से घर खर्च ही पूरा कर पाते हैं। इसके अलावा, हमदान के मामा सलमान ने बताया कि बच्चा कक्षा नर्सरी में पढ़ता था, लेकिन उसकी बीमारी के कारण उसकी पढ़ाई छूट गई है। परिवार को 17 करोड़ रुपये की व्यवस्था करने में कठिनाई हो रही है और फिलहाल हमदान का इलाज नजीबाबाद के होम्योपैथिक चिकित्सक के पास चल रहा है।

क्या है डीएमडी?
दरअसल, ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमडी) एक वंशानुगत बीमारी है जिसमें मांसपेशियां धीरे-धीरे कमजोर होती जाती हैं। इस बीमारी के कारण पैरों और कूल्हों की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और समय के साथ पूरी शरीर प्रभावित होता है। डॉ. सुरेंद्र सिंह, बाल रोग विशेषज्ञ, ने बताया कि यह बीमारी काफी दुर्लभ है और आमतौर पर माता-पिता से संतान में आती है। इस बीमारी में बच्चे की मांसपेशियों में पूरी तरह विकसित नहीं हो पाती है। इसके शुरुआती लक्षण 2 से 5 साल की उम्र में देखे जाते हैं, जिसमें बच्चे के चलने और उठने में कठिनाई होती है और मांसपेशियां पतली होने लगती हैं।

काफी महंगा है डीएमडी का इलाज
डॉक्टर ने बताया कि विदेश में इस बीमारी का इलाज संभव है, लेकिन इसकी लागत बहुत अधिक है। एडेनो वायरस वेक्टर से संबंधित जीन थेरेपी (जोल्गेन्स्मा) के जरिए इसका इलाज किया जा सकता है, जिसकी लागत 15 से 25 लाख डॉलर तक होती है। इस उपचार की ऊंची लागत के कारण, हमदान के परिवार को अत्यधिक वित्तीय सहायता की आवश्यकता है।

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