जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर : चंदौसी कोर्ट में दिलचस्प मोड़ पर पहुंचा मामला, अगली सुनवाई 5 मार्च को

UPT | संभल की शाही जामा मस्जिद

Jan 08, 2025 14:19

जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर के बीच चल रहे विवाद ने चंदौसी कोर्ट में एक नया मोड़ लिया है। इस मामले की सुनवाई के दौरान, मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी पेश की, जिसके बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 5 मार्च निर्धारित की।

Sambhal News : संभल में स्थित शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर के बीच चल रहे विवाद को लेकर चंदौसी अदालत में बुधवार को सुनवाई हुई। मुस्लिम पक्ष द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश की एक प्रति अदालत में पेश की गई, जिसके आधार पर यह तर्क दिया गया कि इस मामले में फिलहाल कोई सुनवाई नहीं की जा सकती। इसके बाद, अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 5 मार्च की तारीख निर्धारित की। 

 मुस्लिम पक्ष ने पेश की सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी
चंदौसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान जामा मस्जिद के वकील शकील वारसी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी अदालत में प्रस्तुत की। मुस्लिम पक्ष के वकील का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कोई विशेष निर्देश दिए हैं, जिनके तहत अब तक इस मामले पर सुनवाई नहीं की जा सकती। इस पर अदालत ने केस की अगली सुनवाई 5 मार्च तक स्थगित कर दी। अदालत में इस मामले के सुनवाई के दौरान सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई थी और जिला न्यायालय के आसपास पुलिस और पीएसी के जवान तैनात थे ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति से बचा जा सके।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विवाद और कानूनी तर्क 
इस दौरान एसआईटी के वकील विष्णु शर्मा और श्रीगोपाल शर्मा ने यह तर्क दिया कि अदालत में जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी दाखिल की गई है, वह न तो प्रमाणित है और न ही इसमें शपथ पत्र शामिल किया गया है। राज्य सरकार और डीएम के वकील प्रिंस शर्मा ने भी इस आदेश पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में यह स्पष्ट रूप से कहा गया था कि कोई नया सर्वे या दायरे का निर्धारण नहीं किया जा सकता।

जामा मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट और कोर्ट में पेश किए गए तथ्य
इससे पहले, 2 जनवरी को, संभल जामा मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट  कोर्ट कमिश्नर द्वारा अदालत में पेश की गई थी। यह रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में प्रस्तुत की गई थी और इसमें जामा मस्जिद में किए गए सर्वे से जुड़ी 43 पन्नों की जानकारी थी। इसके साथ ही, रिपोर्ट में पाए गए तथ्यों के समर्थन में लगभग 60 तस्वीरें भी पेश की गई थीं। अदालत में पेश की गई रिपोर्ट के साथ एक प्रार्थनापत्र भी दिया गया था, जिसमें सर्वे की तारीखों का उल्लेख करते हुए, रिपोर्ट में देर होने का कारण स्वास्थ्य कारणों को बताया गया था। साथ ही, रिपोर्ट को अदालत की पत्रावली में शामिल करने की अनुमति भी मांगी गई थी। 

सर्वे विवाद और सुरक्षा संबंधी घटनाएं 
इस मामले की शुरुआत 19 नवंबर को हुई थी, जब हरिहर मंदिर के पक्षकारों ने जामा मस्जिद को लेकर अदालत में मुकदमा दायर किया था। इस मुकदमे में  कैला देवी मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी और हरिशंकर जैन समेत कुल आठ वादकारियों ने पक्ष रखा था। अदालत ने उसी दिन अधिवक्ता रमेश सिंह राघव को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर सर्वे करने का आदेश दिया था। हालांकि, सर्वे के दौरान 24 नवंबर को एक अप्रत्याशित बवाल हो गया,  जिसके परिणामस्वरूप पांच लोगों की मौत हो गई। इसके बाद 29 नवंबर को अदालत में सर्वे रिपोर्ट पेश किए जाने का आदेश था, लेकिन कोर्ट कमिश्नर ने समय की मांग की और रिपोर्ट में देरी के कारणों के रूप में स्वास्थ्य समस्या का हवाला दिया।

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अदालत ने उन्हें रिपोर्ट पेश करने के लिए और दस दिनों का समय दिया, जिसके बाद 9 दिसंबर को सील बंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश की गई। फिर से रिपोर्ट में देरी होने के कारण, शकील अहमद वारसी ने इस देरी को लेकर आपत्ति दर्ज कराई और यह कहा कि कोर्ट कमिश्नर ने रिपोर्ट तैयार करने में जानबूझकर विलंब किया है।

अगली सुनवाई की तारीख और भविष्य की प्रक्रिया
चंदौसी की अदालत में मामले की अगली सुनवाई 5 मार्च को तय की गई है। इस दौरान अदालत को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के संदर्भ में अधिक विचार-विमर्श करना होगा और यह स्पष्ट करना होगा कि इस विवाद में आगे की कानूनी प्रक्रिया क्या होगी। 
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