सबसे ज्यादा जीने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं रहे : यूपी से सटे इस राज्य में जिमी कार्टर के नाम पर है गांव, ये रहा कनेक्शन....

UPT | जिमी कार्टर

Dec 30, 2024 12:46

उत्तर प्रदेश से सटे हरियाणा में एक गांव है, इस गांव का नाम उनके सम्मान में कार्टरपुरी रखा गया था। जिमी कार्टर भारत का दौरा करने वाले तीसरे अमेरिकी राष्ट्रपति थे। वह अमेरिका के सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले राष्ट्रपति रहे।

New Delhi News : अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने जॉर्जिया के प्लेन्स स्थित अपने घर में अंतिम सांस ली है। आपको जानकर हैरानी होगी कि अमेरिका के राष्ट्रपति रहे जिमी कार्टर के नाम पर उत्तर प्रदेश से सटे हरियाणा में एक गांव है, इस गांव का नाम उनके सम्मान में कार्टरपुरी रखा गया था। जिमी कार्टर भारत का दौरा करने वाले तीसरे अमेरिकी राष्ट्रपति थे। वह अमेरिका के सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले राष्ट्रपति रहे।

क्यों बदला था गांव का नाम
इसके अलावा जब वर्ष 1977 में जनता पार्टी ने जीत हासिल की थी तो उसके बाद सबसे पहले अमेरिकी नेता वही थे, जो यहां पर आए थे। राष्ट्रपति जिमी कार्टर का यूपी से सटे दिल्ली के पास स्थित दौलतपुर नसीराबाद गांव से भी गहरा नाता है। वह अपनी पत्नी के साथ इस गांव में आए थे। उस दौरान ग्रामीणों ने जिमी कार्टर और उनकी पत्नी रोजलिन का स्वागत किया था। उसी के बाद दौलतपुर नसीराबाद गांव का नाम बदलकर "कार्टरपुरी" रखा गया था।


जिमी कार्टर के 25 पोते-परपोते
जिमी कार्टर का 100 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उनके निधन पर अमेरिका के राष्ट्रपति ने शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है, "आज अमेरिका और दुनिया के असाधारण राजनेता हमारे बीच नहीं रहे।" जिमी कार्टर का परिवार काफी ज्यादा बड़ा है। उनकी पत्नी की पहले ही मौत हो चुकी है, लेकिन फिलहाल में उनके 25 पोते और परपोते हैं।

अमेरिका के ऐसे एकलौते राष्ट्रपति
जिमी एक अच्छे राजनेता बनने से पहले किसान थे। उन्होंने लंबे समय तक मूंगफली की खेती की थी। उसके बाद वह अमेरिकी नौसेना के एक बड़े अधिकारी रहे। उसके बाद वर्ष 1970 से 1981 तक संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति रहे। वह अमेरिका के एकलौते राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने 100 साल तक सांस ली है।

'कार्टर सेंटर' चैरिटी संगठन की स्थापना
राष्ट्रपति का पद छोड़ने के एक साल बाद जिमी कार्टर ने 'कार्टर सेंटर' नामक एक चैरिटी संगठन की स्थापना की। इस केंद्र ने वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को सुदृढ़ करने, मानवाधिकारों की रक्षा करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाई। विशेष रूप से कार्टर सेंटर ने गिनी वर्म (एक परजीवी रोग) के उन्मूलन में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की। जिसके परिणामस्वरूप इस बीमारी के मामलों में भारी कमी आई।

वर्ष 2002 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला
जिमी कार्टर ने 90 वर्ष की आयु में भी परोपकारी कार्यों से जुड़कर अपनी सक्रियता बनाए रखी। वे 'हैबिटेट फॉर ह्यूमैनिटी' नामक संगठन से जुड़े रहे, जो जरूरतमंद लोगों के लिए किफायती घर बनाने का कार्य करता है। उनके प्रयासों और योगदान के लिए उन्हें वर्ष 2002 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह सम्मान शांति वार्ताओं, मानवाधिकारों के लिए उनके अभियान और समाज सेवा में उनके योगदान को मान्यता देने के लिए दिया गया।

वर्ष 1982 में 'कार्टर प्रेसिडेंशियल सेंटर' की स्थापना
वर्ष 1982 में कार्टर ने अटलांटा जॉर्जिया में एमोरी विश्वविद्यालय के सहयोग से 'कार्टर प्रेसिडेंशियल सेंटर' की स्थापना की। यह केंद्र लोकतंत्र को बढ़ावा देने और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए समर्पित है। राष्ट्रपति पद के बाद भी जिमी कार्टर ने मानव कल्याण और परोपकारी कार्यों में अपना जीवन समर्पित कर एक प्रेरणा स्थापित की।

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