Weather Updates : दुनिया के टॉप 100 प्रदूषित शहरों में बरेली 71 वें स्थान पर, जानें अपने जिले का AQI...

Uttar Pradesh Times | बरेली में प्रदूषण का हाल

Jan 23, 2024 13:00

उत्तर प्रदेश के बरेली की हवा में सांस लेना मुश्किल हो गया है। यहां की हवा को खुद ऑक्सीजन की जरूरत है। पिछले 36 घंटे में हवा में प्रदूषण और बढ़ा है...

Bareilly News : उत्तर प्रदेश के बरेली की हवा में सांस लेना मुश्किल हो गया है। यहां की हवा को खुद ऑक्सीजन की जरूरत है। पिछले 36 घंटे में हवा में प्रदूषण और बढ़ा है। दुनिया के टॉप 100 प्रदूषित शहरों में बरेली मंगलवार को 71 वें स्थान पर आ गया। प्रदूषण के मामले में बरेली दिल्ली और नोएडा के करीब आ गया है। यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) मंगलवार 23 जनवरी की सुबह 331 था, वायु गुणवत्ता सूचकांक 331 बेहद खराब स्थिति में है। शहर के सिविल लाइंस की हवा सबसे अधिक खराब है। यहां का AQI 214, सुभाष नगर का 206, और राजेंद्र नगर का 208 है। हालांकि,दुनिया के टॉप 100 शहरों में पहले स्थान पर मंगोलिया का डाजूनमोड सिटी है। यहां का AQI 611 है। मगर, 8 वें स्थान पर इंडिया के त्रिपुरा की राजधानी अगरतला का  AQI 371 है। 12 वें स्थान पर कोलकाता का 369, हावड़ा का 368, गुजरात का मेहसाणा का AQI 253, यूपी का हापुड़ 46 वें स्थान पर है। इसका AQI 350, 51 वें स्थान पर नोएडा का AQI 344, 58 वें स्थान पर गाजियाबाद का AQI 337, देश की राजधानी दिल्ली का AQI 335 है। जिसके चलते 62 वें स्थान पर है। यूपी के संभल का AQI 332 है.यह 67 वें स्थान पर, बरेली मंडल के पीलीभीत, बदायूं और शाहजहांपुर का भी AQI खराब स्थिति में है। इन तीनों जिलों का AQI 328 है। दुनिया के 100 प्रदूषित शहरों में सबसे अधिक यूपी के हैं, जो काफी चिंतनीय है। यूपी के सभी जिलों की हवा में ऑक्सीजन की कमी है।

कुतुबखाना पुल और टूटी सड़कों ने बढ़ाया प्रदूषण
बरेली का एक्यूआई काफी चिंतनीय है। सोमवार आधी रात को बरेली का AQI 200 के पार तक था, जो काफी खराब है। बरेली में निर्माणाधीन कुतुबखाना ओवरब्रिज, और टूटी सड़कों की धूल, और धुएं से AQI बढ़ा है। शहर के कुतुबखाना में काफी समय से ओवरब्रिज का निर्माण चल रहा है।

249 साल पहले ऑक्सीजन की हुई खोज 
1772 में स्वीडन के वैज्ञानिक कार्ल विल्हेम शील एक एक्सपेरिमेंट कर रहे थे। उन्होंने मैग्नीज ऑक्साइड, पोटेशियम नाइट्रेट और कई एलिमेंट को मिलाकर गर्म किया। इन्हें गर्म करने पर एक गैस निकली। शील ने देखा कि इस गैस में चीजें ज्यादा तेजी से जलती हैं। इसके साथ ही जीव-जन्तु भी इस गैस में ज्यादा देर तक जिंदा रह पाते हैं। शील ने ऑक्सीजन की खोज कर ली थी, लेकिन उन्होंने इसे ‘फायर एयर’ नाम दिया।

जानें कितनी होनी चाहिए ऑक्सीजन
हर इंसान को ऑक्सीजन की जरूरत होती है। इसकी कमी से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है। सांस लेने वाली हवा का ऑक्सीजन स्तर 19.5 प्रतिशत ऑक्सीजन होना चाहिए। इसके नीचे ऑक्सीजन जाने से नुकसान होता है।

घर से मास्क लगाकर निकलें
एक्यूआई बढ़ने से बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर काफी असर पड़ रहा है। ऐसे में घरों से निकलने में एहतियात बरतने की जरूरत है। लोगों में स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो सकती है। डॉक्टर एन-95 मास्क लगाकर घर से निकलने की सलाह दे रहे हैं। क्योंकि, बरेली में सांस के मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है।

यह होना चाहिए एक्यूआई 
0 से 50 AQI है, तो यह बहुत अच्छी बात है। इससे सेहत पर कम असर होता है । 51-100 AQI भी ठीक है, लेकिन संवेदनशील लोगों को सांस की हल्की दिक्कत हो सकती है। 101 के बाद ठीक नहीं है। 101 से 200 AQI से फेफड़ा, दिल और अस्थमा मरीजों को सांस में दिक्कत होती है। 201-300 AQI काफी खराब है। लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर किसी को भी सांस में दिक्कत होना तय है। 301-400 AQI बहुत खराब है. लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर सांस की बीमारी का खतरा होता है।401-500 AQI सबसे अधिक खतरनाक है। इंसान की सेहत पर सबसे अधिक खराब होती है।

वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियां 
वायु प्रदूषण का सबसे अधिक असर हमारे फेफड़ों पर होता है। दरअसल, प्रदूषित कणों से इंसान के फेफड़ों में जाने वाली नली को नुकसान पहुंचता है। जिसके चलते नली पतली होती चली जाती है,और इसका असर फेफड़े और इसके आस-पास की मांसपेशियों पर पड़ता है.वायु प्रदूषण से स्वस्थ व्यक्तियों में अस्थमा जैसी बीमारियां घर कर सकती है। इसके अलावा निमोनिया, दमा और लंग कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां भी वायु प्रदूषण से होती है।वायु प्रदूषण के कारण नेफ्रोपैथी नामक बीमारी भी घर कर सकती है। इसका सीधा संबंध किडनी से होता। इसके अलावा प्रदूषित वायु में पाए जाने वाले कार्बन से किडनी डैमेज का भी खतरा बन जाता है। स्वस्थ व्यक्तियों के लिए सबसे जरूरी ऑर्गन हार्ट होता है,और वायु प्रदूषण फेफड़ों और किडनी के अलावा दिल पर भी वार करता है। प्रदूषित हवा का असर हमारे दिमाग पर भी पड़ता है।डॉक्टरों के मुताबिक उम्रदराज लोगों, और बुजुर्गों के मस्तिष्क पर प्रदूषित के कण हमला करते है। इससे उन्हें बोलने के लिए संघर्ष करना पड़ता है,और आसान गणित के सवालों को सुलझाने में भी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दूषित हवा और प्रदूषण गर्भवती महिलाओं को भी अपने निशाने पर लेता है।जहरीली सांस लेने का असर गर्भ पर भी होता है। इससे प्रीमेच्योर डिलीवरी का खतरा बन जाता है। इसके अलावा जन्म के समय बच्चे का वजन कम रह सकता है, जिससे कुपोषण जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती है। इंसान की त्वचा में रूखापन, जलन, रेडनेस और एक्जिमा जैसी तकलीफें आपको हो रही हैं, तो समझ जाए कि वायु प्रदूषण आपकी त्वचा पर वार कर रहा है। प्रदूषित हवा में मौजूद कणों की वजह से त्वचा काफी प्रभावित हो सकती है। वायु प्रदूषण, सेकेंड हैंड स्मोक, रेडान, अल्ट्रावायलेट रेडिएशन, एस्बेस्टस के अलावा, कुछ केमिकल समेत अन्य प्रदूषक तत्वों के संपर्क में आने से कैंसर का भी खतरा हो सकता है। यह कैंसर जानलेवा साबित हो सकता है।

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