शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने आरक्षण पर उठाए सवाल : कहा- 78 साल बाद भी मुख्य धारा से जुड़ नहीं सके लोग, 'आंबेडकर फेल या आंबेडकरवादी?'

UPT | शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद

Dec 24, 2024 13:12

ज्योतिष पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने जातिगत आरक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने कभी नहीं चाहा था कि लोग जीवनभर आरक्षण की बैसाखी पर निर्भर रहें।

New Delhi : ज्योतिष पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने जातिगत आरक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने कभी नहीं चाहा था कि लोग जीवनभर आरक्षण की बैसाखी पर निर्भर रहें। उनका उद्देश्य था कि आरक्षण के माध्यम से लोग मुख्यधारा में शामिल हो जाएं। लेकिन 10 साल के लिए लागू किया गया यह आरक्षण 78 साल बाद भी जारी है। इसका मतलब है कि या तो बाबा साहब की सोच फेल हो गई या फिर उनके अनुयायी।

शंकराचार्य ने आरक्षण पर उठाए सवाल
शंकराचार्य ने यह बयान काशी प्रवास के दौरान सोमवार को दिया। वह श्रीविद्यामठ, केदारघाट में मीडिया से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आरक्षण एक अस्थायी व्यवस्था थी, जिसे समाज में समानता लाने और पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा में शामिल करने के उद्देश्य से लागू किया गया था। उन्होंने सवाल किया, "78 साल में उन वर्गों का कितना विकास हुआ, जो इसके लाभार्थी थे? क्या वे मुख्यधारा में शामिल हो सके?"

आंबेडकर या अनुयायी फेल
उन्होंने जोर देकर कहा कि डॉ. आंबेडकर ने आरक्षण को एक स्थायी समाधान के रूप में नहीं देखा था। उनका विचार था कि आरक्षण का लाभ लेकर समाज के सभी वर्ग मुख्यधारा का हिस्सा बनें। शंकराचार्य ने कहा, "आरक्षण इसलिए नहीं था कि इसे हमेशा के लिए जारी रखा जाए। अगर आज भी ये वर्ग अपनी समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो इसका मतलब है कि या तो आंबेडकर की योजना विफल रही या उनके अनुयायी इसे सही दिशा में लागू नहीं कर पाए।"



शिक्षा और स्वास्थ्य पर दिया जोर
शंकराचार्य ने कहा कि लोगों को आरक्षण के मुद्दे पर ही फंसे रहने के बजाय अपनी मूलभूत समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य की मांग को प्राथमिकता देने का सुझाव दिया। उनका कहना था कि समाज में भेदभाव के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और सभी के लिए समानता सुनिश्चित करनी चाहिए।

काशी प्रवास और धार्मिक संदेश
शंकराचार्य ने अपने काशी प्रवास के दौरान कहा कि काशीवास पुण्य कर्मों का फल है। उन्होंने काशीवासियों से धर्म का पालन दृढ़ता से करने का आग्रह किया। इस दौरान उन्होंने अधिवक्ताओं के एक कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया और कई धार्मिक स्थलों का भ्रमण किया। उनका काशी प्रवास 25 दिसंबर तक रहेगा।

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