दक्षिण भारत का 'अमूल' : जानिए क्या है 'नंदिनी' की सफलता की कहानी, जिससे बनाया जाएगा तिरुपति मंदिर का प्रसाद

UPT | Nandini Ghee

Sep 24, 2024 18:43

पुरानी कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की प्रक्रिया भी शुरू की जा रही है। अब तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) लड्डुओं के लिए 'नंदिनी' ब्रांड का घी इस्तेमाल करेगा और कंपनी को सप्लाई का ऑर्डर भी दे दिया गया है...

Short Highlights
  • तिरुपति मंदिर के प्रसाद में इस्तेमाल होगा नंदिनी घी
  • मंदिर के प्रसाद में मिलावट के बाद लिया गया फैसला
  • दक्षिण भारत में मशहूर है नंदिनी ब्रांड
New Delhi News : तिरुपति मंदिर के लड्डुओं में जानवर की चर्बी और अन्य मिलावट को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। आंध्र प्रदेश की चंद्रबाबू नायडू सरकार ने एक लैब रिपोर्ट जारी की, जिसमें तिरुपति के लड्डुओं में मिलावट की पुष्टि की गई। इसके बाद सरकार ने लड्डुओं के लिए घी सप्लाई करने वाली कंपनी को बदलने का फैसला लिया है। पुरानी कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की प्रक्रिया भी शुरू की जा रही है। अब तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) लड्डुओं के लिए 'नंदिनी' ब्रांड का घी इस्तेमाल करेगा और कंपनी को सप्लाई का ऑर्डर भी दे दिया गया है।

मंदिर के प्रसाद में मिलावट का मामला
दरअसल,आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू प्रसाद को लेकर एक विवादित रिपोर्ट सामने आई। जानकारी के अनुसार, लैब परीक्षणों में यह दावा किया गया है कि प्रसाद में जानवरों की चर्बी और मछली का तेल पाए गए हैं। इस सूचना के बाद देशभर में सियासी हलचल तेज हो गई है और साधु-संतों में भी नाराजगी की लहर देखी जा रही है।



ऐसे में श्रद्धालुओं और भक्तों के बीच इस बात को लेकर चिंता व्याप्त हो गई है कि क्या यह प्रसाद वास्तव में शुद्ध है? तिरुपति बालाजी मंदिर का लड्डू देशभर में प्रसिद्ध है और इसे श्रद्धालुओं द्वारा श्रद्धा भाव से ग्रहण किया जाता है। यही कारण है कि अब तिरुपति मंदिर के प्रसाद में बनने वाले लड्डुओं को 'नंदिनी' ब्रांड के घी से बनाया जाएगा। आइए जानते हैं दक्षिण भारत के मशहूर दुग्ध उत्पाद ‘नंदिनी’ के बारे में।

उत्तर में अमूल, दक्षिण में नंदिनी
उत्तर भारत में अमूल और मदर डेयरी की तरह, दक्षिण भारत में 'नंदिनी' का भी खास स्थान है। यह कर्नाटक का प्रमुख मिल्क ब्रांड है, जिसकी पहचान आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र और गोवा तक फैली हुई है। नंदिनी ब्रांड का स्वामित्व कर्नाटक कोऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स फेडरेशन लिमिटेड (KMF) के पास है, जो कि गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF) के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा डेयरी सहकारी संघ है।

ऐसे हुई केएमएफ की शुरुआत
बता दें कि KMF की स्थापना 1955 में कर्नाटक के कोडगू जिले में हुई थी, जब पैकेट वाला दूध उपलब्ध नहीं था और किसान खुद दूध वितरित करते थे। उस समय दूध की कमी महसूस की जा रही थी, जिसके चलते 70 के दशक में दूध उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया गया। जनवरी 1970 में 'व्हाइट रिवॉल्यूशन' के अंतर्गत दुग्ध क्रांति का आरंभ हुआ, जिससे डेयरी क्षेत्र में सुधार के लिए कई योजनाएं लागू की गईं।

बाजार में 'नंदिनी' ने ऐसे बनाई पहचान
दुग्ध क्रांति के दौरान, 1974 में कर्नाटक सरकार ने वर्ल्ड बैंक के सहयोग से डेयरी प्रोजेक्ट्स को लागू करने के लिए कर्नाटक डेयरी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (KDCC) की स्थापना की। 1984 में इसका नाम बदलकर कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) रख दिया गया। इसी समय, 'नंदिनी' ब्रांड के तहत पैकेट वाला दूध और अन्य उत्पाद बाजार में पेश किए गए और जल्द ही यह कर्नाटक का सबसे लोकप्रिय ब्रांड बन गया, जिसने आस-पास के राज्यों में भी अपनी पहचान बनाई।

24 हजार गांवों पर है पकड़
जानकारी के अनुसार, कर्नाटक मिल्क फेडरेशन, कर्नाटक की 15 डेयरी यूनियनों का नेतृत्व करता है, जिसमें बेंगलुरु, कोलार और मैसूर जैसी यूनियनें शामिल हैं। ये यूनियनें जिला स्तर पर डेयरी कोऑपरेटिव सोसाइटीज़ (DCS) के माध्यम से गांवों से दूध एकत्र करती हैं और फिर इसे KMF तक पहुंचाती हैं। कर्नाटक मिल्क फेडरेशन हर दिन 24,000 गांवों के 26 लाख किसानों से 86 लाख किलो से अधिक दूध की खरीद करता है, जो इसकी व्यापक पहुंच और प्रभावशीलता को दर्शाता है।

छोटे किसानों को रोजाना करते हैं भुगतान
कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) की विशेषता यह है कि वह दूध बेचने वाले अधिकांश छोटे किसानों को प्रतिदिन भुगतान करता है। यह पहल छोटे किसानों और दुग्ध उत्पादकों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि KMF हर दिन लगभग 28 करोड़ रुपये का भुगतान करता है। संघ के पास 15 यूनिट हैं, जहां दूध की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग, मार्केटिंग और बिक्री की जाती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि किसानों को समय पर उनका हक मिले।

148 से अधिक उत्पादों का करते हैं निर्माण
कर्नाटक मिल्क फेडरेशन 'नंदिनी' नाम के तहत 148 से अधिक उत्पादों का निर्माण करता है, जिसमें दूध, दही, मक्खन, पनीर, चीज और आइसक्रीम शामिल हैं। वित्तीय वर्ष 2022-23 में इसका कुल टर्नओवर 19,784 करोड़ रुपये था, जबकि अमूल, जो गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन के तहत आता है, का टर्नओवर लगभग 61,000 करोड़ रुपये था। वर्तमान में KMF के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ एमके जगदीश हैं, जो संगठन की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

अमूल बनाम नंदिनी
गौरतलब है कि अमूल और नंदिनी के बीच प्रतिस्पर्धा काफी तीव्र हो गई है, खासकर जब से अमूल ने कर्नाटक के रिटेल मार्केट में प्रवेश करने का निर्णय लिया। इस कदम को राज्य की राजनीतिक पार्टियों ने उत्तर भारतीय कंपनी की दक्षिण में घुसपैठ के रूप में देखा, जिससे विधानसभा चुनावों के दौरान यह मुद्दा चर्चा का विषय बना। कर्नाटक मिल्क फेडरेशन ने कहा कि सहकारी समितियों के बीच एक अनकही समझ रही है कि वे तब तक एक-दूसरे के बाजार में नहीं प्रवेश करेंगे जब तक कि स्थानीय समितियों की मांग पूरी नहीं हो जाती।

जानें अमूल का तर्क
दूसरी तरफ, अमूल ने तर्क किया कि कर्नाटक, विशेषकर बेंगलुरु, में दूध की मांग इतनी अधिक है कि मौजूदा आपूर्ति इसे पूरा नहीं कर पा रही। इसलिए, उसने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से दूध बेचने का निर्णय लिया। इस पर कांग्रेस ने सहकारिता मंत्री अमित शाह पर आरोप लगाया कि वे नंदिनी को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे दक्षिण की सहकारी समितियों के अस्तित्व को खतरा उत्पन्न हो गया है।

ये भी पढ़ें- आम के शौकीनों के लिए खुशखबरी : जल्द आ रही हैं फलों के राजा की नई प्रजातियां, कृषि निर्यात में उछाल की उम्मीद

Also Read