Ken-Betwa Link Project : क्या है केन-बेतवा लिंक परियोजना, पीएम मोदी ने किया शिलान्यास, यूपी-एमपी के लाखों लोगों को क्या होंगे फायदे?

UPT | पीएम मोदी

Dec 25, 2024 14:22

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर पीएम नरेंद्र मोदी ने देश को केन-बेतवा लिंक परियोजना का बड़ा तोहफा दिया।

Ken-Betwa Link Project : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के अवसर पर एक ऐतिहासिक परियोजना के शिलान्यास की घोषणा की, जिसे देश के किसानों और लाखों लोगों के लिए वरदान माना जा रहा है। यह परियोजना, जिसे केन-बेतवा लिंक परियोजना कहा जाता है, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में जल संकट और सिंचाई की समस्या के समाधान के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इस परियोजना के लिए कुल 44,608 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है, जिसमें 90 प्रतिशत खर्च केंद्र सरकार उठाएगी और शेष 10 प्रतिशत राशि राज्य सरकारें वहन करेंगी। पीएम मोदी ने इस परियोजना का शिलान्यास खजुराहो के मेला ग्राउंड से किया, और इस परियोजना के पूरा होने से दोनों राज्यों के लाखों किसानों को फायदा होगा।
  केन-बेतवा लिंक परियोजना क्या है?
केन-बेतवा लिंक परियोजना का मुख्य उद्देश्य मध्य प्रदेश की केन नदी से पानी को उत्तर प्रदेश की बेतवा नदी में ट्रांसफर करना है, ताकि बुंदेलखंड के सूखाग्रस्त इलाके में सिंचाई की समस्या का समाधान हो सके। केन नदी, जो जबलपुर के पास कैमूर की पहाड़ियों से निकलती है, उत्तर की ओर बहते हुए लगभग 427 किलोमीटर की दूरी तय करती है, और उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के चिल्ला गांव में यमुना नदी से मिलती है। वहीं, बेतवा नदी मध्य प्रदेश के रायसेन जिले से निकलकर उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में यमुना से मिलती है। इन दोनों नदियों को जोड़ने का कार्य इस परियोजना के तहत किया जाएगा।

परियोजना से कौन लाभान्वित होगा?
यह परियोजना मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां लंबे समय से जल संकट और सूखा जैसी समस्याएं चल रही हैं। अटल बिहारी वाजपेयी के समय में इस प्रकार की नदियों को जोड़ने की योजना बनाई गई थी, और केन-बेतवा लिंक परियोजना उसी का हिस्सा है। इस परियोजना के पूरा होने के बाद मध्य प्रदेश के शिवपुरी, निवाड़ी, दतिया, रायसेन, विदिशा, छतरपुर, पन्ना, दमोह, टीकमगढ़, और सागर जिलों के लगभग 1900 गांवों को लाभ मिलेगा, जहां करीब 41 लाख लोगों की आबादी रहती है। इस इलाके की सबसे बड़ी समस्या पानी की है, और इस परियोजना से इन गांवों में सिंचाई और पीने के पानी की समस्या का हल मिलेगा। इसके अलावा, इस परियोजना से उत्तर प्रदेश के महोबा, झांसी, ललितपुर और बांदा जिलों के किसानों को भी लाभ मिलेगा, क्योंकि यहां के कृषि क्षेत्र को सिंचाई के पानी की बेहतर व्यवस्था मिलेगी। इसके साथ ही, इस परियोजना से 103 मेगावॉट की सौर ऊर्जा का उत्पादन भी किया जाएगा, जो इन राज्यों में बिजली संकट को कम करने में सहायक होगा।

दो चरणों में पूरा होगा काम
केन-बेतवा लिंक परियोजना के काम को पूरा करने के लिए कुल 8 साल का समय निर्धारित किया गया है। इस परियोजना के पहले चरण में मध्य प्रदेश के छतरपुर और पन्ना जिलों में केन नदी पर दौधन बांध का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए तीन हजार चार सौ करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। बांध के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य 60 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है। इस बांध से लगभग 10 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जाएगी, जो बुंदेलखंड क्षेत्र की तस्वीर को पूरी तरह बदल देगा। इसके बाद दूसरे चरण में विदिशा जिले में बेतवा नदी पर, सागर जिले के बीना में, और शिवपुरी में उर नदी पर बांधों का निर्माण किया जाएगा।



बिजली उत्पादन में भी होगा योगदान
केन-बेतवा लिंक परियोजना से केवल सिंचाई की समस्या का ही समाधान नहीं होगा, बल्कि बिजली संकट को भी दूर किया जाएगा। इस परियोजना से मध्य प्रदेश में 103 मेगावॉट जल विद्युत और 27 मेगावॉट सौर ऊर्जा का उत्पादन होगा। इसके तहत दो पॉवर प्लांट बनाए जाएंगे, जिनकी कुल क्षमता 60 मेगावॉट और 18 मेगावॉट होगी। दौधन बांध से 60 मेगावॉट और लोवर लेवल टनल से 18 मेगावॉट जल विद्युत का उत्पादन होगा। इसके अलावा, शिवपुरी जिले में ऊर नदी के लोअर ऊर बांध पर 19 मेगावॉट सौर ऊर्जा, सागर में बीना नदी पर बीना परियोजना में 21 मेगावॉट जल विद्युत और विदिशा में बेतवा नदी पर कोठा बैराज में 8 मेगावॉट सौर ऊर्जा का उत्पादन होगा।

सरकार का उद्देश्य
केन-बेतवा लिंक परियोजना का उद्देश्य सिर्फ सिंचाई और जल संकट का समाधान नहीं है, बल्कि यह परियोजना सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के साथ-साथ किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस परियोजना के माध्यम से जल संचयन और जल उपयोग की अधिकतम क्षमता का उपयोग किया जाएगा, जिससे पर्यावरणीय संतुलन भी बना रहेगा। प्रधानमंत्री मोदी के इस ऐतिहासिक कदम से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के किसानों और आम जनता को लंबे समय तक लाभ होगा। यह परियोजना भारतीय नदियों को जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी, जो देश की जलवायु और कृषि नीति को और मजबूत बनाएगी।

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