हाईकोर्ट के सवाल पर कांपे आईओ : जो मौके पर नहीं वह कैसे हो सकता है गैंगरेप का मुख्य आरोपी...

UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट

Aug 03, 2024 10:23

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एटा पुलिस से सवाल किया है कि किस आधार पर सपा के तत्कालीन विधायक रामेश्वर सिंह यादव को सामूहिक दुष्कर्म का मुख्य आरोपी घोषित किया गया। जबकि उस समय वह...

Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एटा पुलिस से सवाल किया है कि किस आधार पर सपा के तत्कालीन विधायक रामेश्वर सिंह यादव को सामूहिक दुष्कर्म का मुख्य आरोपी घोषित किया गया। जबकि उस समय वह विधान सभा में उपस्थित थे। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने सह-आरोपी प्रमोद यादव और एक अन्य आरोपी की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने विवेचक से जवाबी हलफनामा तलब किया है और सह-आरोपी प्रमोद यादव और एक अन्य आरोपी के खिलाफ किसी भी उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है। सह-आरोपी प्रमोद यादव और एक अन्य ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने सामूहिक दुष्कर्म और दलित उत्पीड़न मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की है।

7 साल पुराने केस में हुई कार्यवाई
मामला एटा जिले के थाना कोतवाली नगर क्षेत्र का है। पीड़िता ने 7 नवंबर 2023 को सात साल पुरानी घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोप था कि 2016 में तत्कालीन सपा विधायक रामेश्वर सिंह यादव और उनके भाई जुगेंद्र सिंह यादव ने उसके साथ दुष्कर्म किया, जबकि अन्य पांच आरोपियों ने उसके साथ मारपीट और गाली-गलौज की। घटना के समय पीड़िता नाबालिग थी। पुलिस ने मामले की जांच के बाद 20 दिसंबर 2023 को पूर्व विधायक रामेश्वर और उनके भाई जुगेंद्र के खिलाफ विभिन्न धाराओं में आरोप पत्र दाखिल किया, जबकि अन्य आरोपियों के खिलाफ जांच जारी है।

वकील ने दी ये दलीलें
याचिकाकर्ताओं के वकील मनीष तिवारी ने दलील दी कि घटना का समय 29 जनवरी 2016 की सुबह 9:30 बजे का बताया गया है। इस समय विधायक रामेश्वर सिंह यादव विधान सभा सत्र में मौजूद थे। लखनऊ से एटा की दूरी करीब 370 किलोमीटर है और इस दूरी को देखते हुए विधायक के लिए इस समय सीमा में एटा में मौजूद रहना संभव नहीं था। इसके अतिरिक्त याचिकाकर्ताओं का कहना है कि घटना के समय विधायक की उपस्थिति में दुष्कर्म जैसी गंभीर घटना का अंजाम देना अविश्वसनीय है। 

कोर्ट ने दिया ये आदेश
सुनवाई के दौरान, विधायक की विधान सभा में उपस्थिति से संबंधित साक्ष्य भी प्रस्तुत किए गए। कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए विवेचना अधिकारी से 14 अगस्त तक जवाबी हलफनामा तलब किया है। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि अगर विधायक घटना के समय विधान सभा में मौजूद थे, तो उन्हें मुख्य आरोपी कैसे बनाया गया। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 अगस्त की तारीख तय की है और इस दौरान याचिकाकर्ताओं के खिलाफ किसी भी दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है।

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