इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला : पत्नी का पर्दा करना मानसिक क्रूरता नहीं, तलाक नहीं मिलेगा

UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट

Jan 02, 2025 10:18

बेंच ने यह भी स्पष्ट किया कि बिना अवैध या अनैतिक संबंध के कोई महिला स्वतंत्र रूप से अपने निर्णय लेती है या अकेले यात्रा करती है तो इसे "क्रूरता" के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता।

Prayagraj News : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तलाक के एक विवादास्पद मामले में बड़ा और विचारणीय फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पति द्वारा दायर याचिका में पत्नी पर लगाए गए "पर्दा न करने" और "स्वतंत्र जीवन शैली" को मानसिक क्रूरता का आधार मानने से इनकार कर दिया। यह फैसला जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस दोनादी रमेश की डिवीजन बेंच ने सुनाया।

कोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी का अपनी मर्जी से घर से बाहर जाना, पर्दा न करना या समाज में अन्य लोगों से मेलजोल रखना पति के खिलाफ क्रूरता नहीं कहा जा सकता। बेंच ने यह भी स्पष्ट किया कि बिना अवैध या अनैतिक संबंध के कोई महिला स्वतंत्र रूप से अपने निर्णय लेती है या अकेले यात्रा करती है तो इसे "क्रूरता" के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता।


जानिए पूरा मामला
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, अपीलकर्ता पति और पत्नी की शादी फरवरी 1990 में हुई थी। दिसंबर 1995 में उनके बेटे का जन्म हुआ, लेकिन दोनों का वैवाहिक जीवन केवल 8 महीने तक ही चला। आखिरी बार वे दिसंबर 2001 में साथ रहे। इसके बाद से वे 23 वर्षों से अलग रह रहे हैं।

पति ने लगाए ये आरोप
पति ने अदालत में आरोप लगाया कि पत्नी दूसरे पुरुषों के साथ संबंध रखती थी, बाजार और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर अकेले जाती थी और "पर्दा" का पालन नहीं करती थी। उसने दावा किया कि पत्नी उसकी आर्थिक स्थिति पर ताने देती थी और गालियां देती थी। इन सब बातों को आधार बनाकर पति ने इसे मानसिक क्रूरता का मामला बताया और तलाक की मांग की।

कोर्ट ने आरोपों को किया खारिज
हाई कोर्ट ने पति के इन आरोपों को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा विवाह परिवार की सहमति से हुआ था और दोनों पक्ष अपनी आर्थिक स्थिति से भली-भांति परिचित थे। दोनों पक्ष शिक्षित और प्रतिष्ठित पेशेवर हैं। पति एक कुशल इंजीनियर है, जबकि पत्नी सरकारी स्कूल की अध्यापिका है। समाज में मेलजोल, स्वच्छंदता से काम करना या बिना किसी अवैध संबंध के स्वतंत्र निर्णय लेना, मानसिक क्रूरता के दायरे में नहीं आता।

Also Read