प्रयागराज में महाकुंभ : बनेगा लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र, जानें क्यों हैं यह अब तक के कुंभ में खास

UPT | प्रयागराज महाकुंभ

Jan 03, 2025 18:12

कुंभ मेला भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है जो हर 12 साल बाद भारत के विभिन्न स्थानों पर आयोजित होता है। इस बार प्रयागराज में होने वाला महाकुंभ 144 साल बाद एक विशेष कारण से चर्चा का विषय बना हुआ है...

कुंभ मेला भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है जो हर 12 साल बाद भारत के विभिन्न स्थानों पर आयोजित होता है। इस बार प्रयागराज में होने वाला महाकुंभ 144 साल बाद एक विशेष कारण से चर्चा का विषय बना हुआ है। 13 जनवरी 2025 से 26 फरवरी 2025 तक आयोजित होने वाला यह महाकुंभ न केवल धार्मिक आस्थाओं का केंद्र होगा, बल्कि यह ऐतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण साबित होगा।

पुण्य के लिए लगाते हैं संगम में डुबकी
कुंभ मेला भारतीय हिंदू धर्म का एक प्राचीन और विशाल धार्मिक आयोजन है जिसका इतिहास लगभग 2000 साल पुराना है। यह मेला सबसे पहले प्राचीन काल में आयोजित हुआ था, जब ऋषि-मुनि गंगा नदी के किनारे इकट्ठा होते थे और धार्मिक अनुष्ठान करते थे। इस आयोजन के माध्यम से लाखों श्रद्धालु पुण्य अर्जित करने के लिए संगम पर स्नान करते हैं। जो गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम स्थल पर स्थित है। इस साल महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में हो रहा है जहां हर 12 साल में एक बार महाकुंभ का आयोजन होता है।



महाकुंभ 2025 के दौरान जाने जाने वाले महत्वपूर्ण तथ्य
कुंभ का शाब्दिक अर्थ "घड़ा" या "कलश" है, जो अमृत के प्रतीक के रूप में माना जाता है। वहीं कुंभ मेले का आयोजन हर 12 साल के अंतराल पर होता है। कुंभ के चार प्रकार होते हैं, जो चार प्रमुख स्थानों पर आयोजित होते हैं। महाकुंभ मेले का संबंध समुद्र मंथन से है, जब अमृत की कुछ बूंदें गिरी थीं। इस महाकुंभ में कुल 12 शाही स्नान होंगे, जिनमें लाखों श्रद्धालु भाग लेंगे। प्राचीन समय में जब ऋषि और मुनि गंगा के किनारे धार्मिक अनुष्ठान करते थे, तब से इस आयोजन की शुरुआत मानी जाती है। प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन विशेष रूप से इसलिए है क्योंकि यह स्थान त्रिवेणी संगम के रूप में पवित्र है। यहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम होता है, जो इसे एक पुण्य स्थल बनाता है। यहां स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति मानी जाती है। इसके अलावा यह स्थल ब्रह्माजी के यज्ञ स्थल के रूप में भी जाना जाता है।

क्यों है इस बार का महाकुंभ विशेष
इस बार के महाकुंभ के आयोजन का एक विशेष कारण यह है कि 144 साल बाद यह महाकुंभ प्रयागराज में हो रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब समुद्र मंथन से अमृत की कुछ बूंदें गिरीं, तब यह स्थान विशेष रूप से पवित्र हुआ और यहीं पर महाकुंभ के आयोजन की परंपरा शुरू हुई। इसके अलावा महाकुंभ का आयोजन ऋषि-मुनियों के द्वारा त्रिवेणी संगम पर किए गए यज्ञ से जुड़ा हुआ है, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाता है। महाकुंभ का आयोजन न केवल धार्मिक आस्थाओं का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। इस विशाल आयोजन में दुनिया भर से श्रद्धालु आते हैं, जो आस्था, विश्वास और धार्मिक उत्सव के तहत पुण्य प्राप्त करने के लिए यहां स्नान करते हैं।

इन जगहों पर आयोजित होता है कुंभ
  • हरिद्वार (गंगा नदी के किनारे)
  • प्रयागराज (त्रिवेणी संगम)
  • उज्जैन (शिप्रा नदी के किनारे)
  • नासिक (गोदावरी नदी के किनारे

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