महाकुंभ में साधु-संतों का आगमन शुरू : निरंजनी अखाड़े की शोभायात्रा में नागा संन्यासियों ने दिखाया युद्ध कौशल

UPT | छावनी प्रवेश करते निरंजनी अखाड़े के संत

Jan 04, 2025 19:02

प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ 2025 की तैयारियां अंतिम चरण में हैं और मेला क्षेत्र में साधु-संतों का आगमन शुरू हो चुका है। इस महाकुंभ के शुभारंभ में अब मात्र आठ दिन शेष हैं...

Prayagraj News : प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ 2025 की तैयारियां अंतिम चरण में हैं और मेला क्षेत्र में साधु-संतों का आगमन शुरू हो चुका है। इस महाकुंभ के शुभारंभ में अब मात्र आठ दिन शेष हैं। शैव परंपरा के प्रमुख अखाड़ों में से एक पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी ने अपनी भव्य शोभायात्रा निकालकर अखाड़ा नगर में प्रवेश किया। इस यात्रा में सैकड़ों साधु-संतों, नागा संन्यासियों और श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इस शोभायात्रा में ऊंट, हाथी, घोड़े और चांदी के रथों पर सवार संत पूरी भव्यता के साथ शामिल हुए, जो श्रद्धालुओं के लिए एक अद्भुत दृश्य था।

प्रयागराज में धार्मिक उत्सव का दृश्य
निरंजनी अखाड़े की शोभायात्रा प्रयागराज के अल्लापुर स्थित बाघंबरी गद्दी मठ से शुरू हुई। अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज के नेतृत्व में यह यात्रा निकाली गई। यात्रा के दौरान नागा संन्यासियों ने धर्म रक्षा का प्रतीक युद्ध कौशल प्रदर्शित किया। साधु-संत पारंपरिक वेशभूषा में त्रिशूल, भाले और ध्वजाओं के साथ शोभायात्रा का हिस्सा बने। जब यह शोभायात्रा मेला क्षेत्र के सेक्टर-20 स्थित अखाड़ा नगर पहुंची, तो श्रद्धालुओं ने जयघोष करते हुए संतों का स्वागत किया।



प्रयागराज की गलियों में शोभायात्रा का अद्भुत दृश्य
यात्रा के दौरान प्रयागराज की गलियों में ऐसा दृश्य देखने को मिला जैसे पूरा शहर इस धार्मिक उत्सव में शामिल हो गया हो। अल्लापुर और दारागंज की सड़कों के दोनों ओर लोग कतारों में खड़े होकर शोभायात्रा को निहार रहे थे। घरों की छतों और बालकनियों पर महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग संतों के दर्शन करने के लिए खड़े थे। श्रद्धालुओं ने संतों पर फूलों की वर्षा की और उन्हें श्रद्धा से नमन किया। यह यात्रा न केवल एक धार्मिक आयोजन थी, बल्कि पूरे शहर में एक उत्सव का माहौल था।

हाथी, घोड़े और ऊंटों ने शोभायात्रा को दी भव्यता
इस शोभायात्रा के सबसे आगे सजे-धजे हाथी, घोड़े और ऊंट चल रहे थे, जिनकी भव्यता ने यात्रा को और भी आकर्षक बना दिया। इसके बाद नागा साधुओं की टोली, भगवान कार्तिकेय की फूलों से सजी पालकी और अखाड़े के प्रमुखों के चांदी के रथों ने शोभायात्रा की धूमधाम में चार चांद लगा दिए। रथ पर बैठे आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी और अन्य महामंडलेश्वर श्रद्धालुओं का अभिवादन स्वीकार कर रहे थे, जिससे एक विशेष धार्मिक माहौल बना था।

निरंजनी अखाड़े का महाकुंभ में प्रमुख स्थान
निरंजनी अखाड़ा शैव परंपरा के प्रमुख अखाड़ों में से एक है और महाकुंभ में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। इसे शैव परंपरा का सबसे ताकतवर अखाड़ा माना जाता है। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने छावनी में प्रवेश के दौरान महाकुंभ को धर्म, अध्यात्म और संस्कृति का संगम बताया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ हर भक्त को मोक्ष प्राप्ति का अवसर देता है और निरंजनी अखाड़ा हमेशा धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए समर्पित रहा है। यह अखाड़ा महाकुंभ में हमेशा श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है।

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