महाकुंभ में अर्थव्यवस्था को मिला बड़ा बूस्टः उद्योगों की हुई दिवाली, जानिए कैसे हर जिले में बरस रहीं धन लक्ष्मी

UPT | महाकुंभ में अर्थव्यवस्था को मिला बड़ा बूस्ट

Jan 18, 2025 11:33

महाकुंभ ने विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक आर्थिक अवसर उत्पन्न किए हैं। किराना सामान से 4,000 करोड़, खाद्य तेल से 2,500 करोड़, सब्जियों से 2,200 करोड़, और डेयरी उत्पादों से 4,200 करोड़ रुपये का व्यापार होने की संभावना है। कैट के यूपी प्रमुख के अनुसार, केवल बुनियादी जरूरतों से जुड़ी वस्तुओं से ही 17,310 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा...

Prayagraj News: महाकुंभ उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था का एक मजबूत स्तंभ बन गया है।  प्रयागराज के  साथ ही  प्रदेश के अन्य जिलों में  रोजगार के नए अवसर लोगों को मिल गए। इस 45-दिवसीय आयोजन में लगभग 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन की संभावना है, जो 35 देशों की जनसंख्या के बराबर है। राज्य सरकार ने इस महाकुंभ के लिए 7,500 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है, जिससे लगभग 25 हजार करोड़ रुपये का राजस्व और दो लाख करोड़ रुपये के कारोबार का अनुमान लगाया गया है।

महाकुंभ ने विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक आर्थिक अवसर उत्पन्न किए हैं। किराना सामान से 4,000 करोड़, खाद्य तेल से 2,500 करोड़, सब्जियों से 2,200 करोड़, और डेयरी उत्पादों से 4,200 करोड़ रुपये का व्यापार होने की संभावना है। कैट के यूपी प्रमुख के अनुसार, केवल बुनियादी जरूरतों से जुड़ी वस्तुओं से ही 17,310 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा।

छोटे उद्योगों और कारीगरों को विशेष लाभ मिल रहा है। पूजा सामग्री, कपड़े और स्मृति चिह्नों की खरीदारी में हस्तशिल्प, रेडीमेड वस्त्र और खाद्य पदार्थों का व्यापार फल-फूल रहा है। गौतमबुद्धनगर, कानपुर, गाजियाबाद, बनारस, मिर्जापुर और उन्नाव के कारीगरों और उद्यमियों को सीधा लाभ मिल रहा है।

भीड़ प्रबंधन, स्वच्छता, बिजली और पानी की आपूर्ति जैसी सेवाओं ने कई जिलों को आर्थिक लाभ पहुंचाया है। गोरखपुर, मेरठ, हापुड़, लखनऊ जैसे जिलों में रोजगार के नए अवसर सृजित हुए हैं। प्रदेश के 82 और देश के 178 बड़े ब्रांड्स ने 9,000 से अधिक युवाओं को अस्थायी रोजगार प्रदान किया है।

इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अनुसार, महाकुंभ ने परिवहन, होटल, रेस्तरां और अन्य सेवा क्षेत्रों में मांग को 80 गुना तक बढ़ा दिया है। निर्माण, सुरक्षा, स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाओं में लगभग 10,000 श्रमिकों को रोजगार मिला है। गोंडा, देवरिया, बलिया, महराजगंज जैसे जिलों से इन क्षेत्रों में कार्यबल की आपूर्ति हो रही है।

महाकुंभ उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन गया है। इस 45-दिवसीय आयोजन में लगभग 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन की संभावना है, जो 35 देशों की जनसंख्या के बराबर है। राज्य सरकार ने इस महाकुंभ के लिए 7,500 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है, जिससे लगभग 25 हजार करोड़ रुपये का राजस्व और दो लाख करोड़ रुपये के कारोबार का अनुमान लगाया गया है।

महाकुंभ ने विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक आर्थिक अवसर उत्पन्न किए हैं। किराना सामान से 4,000 करोड़, खाद्य तेल से 2,500 करोड़, सब्जियों से 2,200 करोड़, और डेयरी उत्पादों से 4,200 करोड़ रुपये का व्यापार होने की संभावना है। कैट के यूपी प्रमुख के अनुसार, केवल बुनियादी जरूरतों से जुड़ी वस्तुओं से ही 17,310 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा।

छोटे उद्योगों और कारीगरों को विशेष लाभ मिल रहा है। पूजा सामग्री, कपड़े और स्मृति चिह्नों की खरीदारी में हस्तशिल्प, रेडीमेड वस्त्र और खाद्य पदार्थों का व्यापार फल-फूल रहा है। गौतमबुद्धनगर, कानपुर, गाजियाबाद, बनारस, मिर्जापुर और उन्नाव के कारीगरों और उद्यमियों को सीधा लाभ मिल रहा है।

भीड़ प्रबंधन, स्वच्छता, बिजली और पानी की आपूर्ति जैसी सेवाओं ने कई जिलों को आर्थिक लाभ पहुंचाया है। गोरखपुर, मेरठ, हापुड़, लखनऊ जैसे जिलों में रोजगार के नए अवसर सृजित हुए हैं। प्रदेश के 82 और देश के 178 बड़े ब्रांड्स ने 9,000 से अधिक युवाओं को अस्थायी रोजगार प्रदान किया है।

महाकुंभ ने परिवहन, होटल, रेस्तरां और अन्य सेवा क्षेत्रों में मांग को 80 गुना तक बढ़ा दिया है। निर्माण, सुरक्षा, स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाओं में लगभग 10,000 श्रमिकों को रोजगार मिला है। गोंडा, देवरिया, बलिया, महराजगंज जैसे जिलों से इन क्षेत्रों में कार्यबल की आपूर्ति हो रही है।

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