संगम नगरी प्रयागराज के अरैल घाट पर आज दिव्य संगम महाआरती का शुभारंभ एक भव्य और ऐतिहासिक आयोजन के रूप में हुआ।
Prayagraj News : संगम नगरी प्रयागराज के अरैल घाट पर आज दिव्य संगम महाआरती का शुभारंभ एक भव्य और ऐतिहासिक आयोजन के रूप में हुआ। इस महाआरती में परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष परम पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज के पावन सान्निध्य में उत्तर प्रदेश के माननीय उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य और श्री बृजेश पाठक जी की गरिमामयी उपस्थिति ने कार्यक्रम को अद्वितीय बना दिया।
प्रयागराज में दिव्य संगम महाआरती का आयोजन
महाआरती के इस अवसर पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने संगम तट पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर मंत्रोच्चार और दीपों की जगमगाहट के साथ आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव किया। श्रद्धालुओं का उत्साह और आस्था इस धार्मिक आयोजन को और भी पवित्र बना रहे थे।
स्वामी चिदानंद सरस्वती का प्रेरणादायक संदेश
स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज ने अपने संबोधन में महाआरती को केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि आत्मा, पर्यावरण और समाज को जागृत करने का एक सशक्त माध्यम बताया। उन्होंने इसे आध्यात्मिक उन्नति और सामाजिक एकता का प्रतीक बताते हुए कहा कि इस प्रकार की आरतियां हमें न केवल ईश्वर के प्रति समर्पण सिखाती हैं, बल्कि समाज और पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारियों का भी अहसास कराती हैं।
कुंभ मेला को स्वच्छ और सुरक्षित बनाने का आह्वान
स्वामी जी ने कुंभ के महत्व पर भी प्रकाश डाला और कहा कि यह आयोजन केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि भारत की समृद्ध परंपराओं और विविधताओं को विश्व स्तर पर प्रस्तुत करने का अवसर है। उन्होंने इस अवसर पर श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि वे कुंभ मेला को स्वच्छ, सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल बनाने में सहयोग करें। महाआरती के दौरान स्वामी चिदानंद सरस्वती जी, उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य और श्री बृजेश पाठक ने नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप और अमेरिका में जंगल की आग से प्रभावित लोगों के लिए विशेष प्रार्थना की।
नेपाल और अमेरिका के लिए विशेष प्रार्थना
स्वामी जी ने अंत में भक्ति और देशभक्ति का अद्भुत संदेश दिया और कहा, "देवभक्ति के साथ देशभक्ति को भी मिलाना आवश्यक है।" इस आयोजन ने श्रद्धालुओं को न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रेरित किया, बल्कि देश, संस्कृति और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने का संदेश भी दिया। महाआरती का यह आयोजन श्रद्धा, संस्कृति और समाज के संगम का प्रतीक बन गया, जिसने एकता और भाईचारे का संदेश दिया।