इस मेले में लगभग 40 करोड़ श्रद्धालु संगम पर पवित्र स्नान करने के लिए आएंगे, जहां गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों का संगम होता है। यह आयोजन 56 दिनों तक चलेगा...
Jan 10, 2025 19:14
इस मेले में लगभग 40 करोड़ श्रद्धालु संगम पर पवित्र स्नान करने के लिए आएंगे, जहां गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों का संगम होता है। यह आयोजन 56 दिनों तक चलेगा...
जब महाकुंभ के आयोजन में खर्च हुए थे 20 हजार
महाकुंभ के इतिहास को देखें तो 1882 में इस आयोजन पर केवल 20,288 रुपए खर्च किए गए थे, जो आज के हिसाब से लगभग 3.65 करोड़ रुपये होते हैं। उस समय लगभग 8 लाख लोग स्नान करने के लिए पहुंचे थे, जबकि भारत की कुल आबादी 22.5 करोड़ थी। 1894 में भारत की जनसंख्या बढ़कर 23 करोड़ हो गई थी और 10 लाख श्रद्धालुओं ने स्नान किया। उस साल कुंभ मेला पर 69,427 रुपये खर्च हुए थे, जो आज के हिसाब से लगभग 10.5 करोड़ रुपये होते हैं।
व्यवस्थाओं के साथ बढ़ता गया बजट
1906 में कुंभ मेले में 25 लाख लोग शामिल हुए और उस पर 90,000 रुपये खर्च किए गए थे, जो आज के समय में लगभग 13.5 करोड़ रुपये होते हैं। 1918 के महाकुंभ में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़कर 30 लाख हो गई थी और इस आयोजन का बजट 1.37 लाख रुपये था, जो आज के हिसाब से लगभग 16.44 करोड़ रुपये होता है। इन आंकड़ों से यह साफ है कि महाकुंभ के आयोजन की लागत और श्रद्धालुओं की संख्या दोनों में लगातार वृद्धि हुई है।
इतिहास का सबसे व्यवस्थित महाकुंभ बनने को तैयार
2025 के महाकुंभ की तैयारियां अभूतपूर्व हैं। प्रशासन और सरकार इस आयोजन को इतिहास का सबसे बड़ा और सबसे व्यवस्थित महाकुंभ बनाने में जुटे हुए हैं। मेले का क्षेत्र पहले से कहीं अधिक विस्तृत हो चुका है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए स्वच्छता, सुरक्षित स्नान घाट, अस्थायी आवास, चिकित्सा सुविधाएं और परिवहन व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा रही हैं। इसके साथ ही संगम के करीब आधुनिक सुविधाओं से लैस टेंट सिटी बनाई जा रही है।
अत्याधुनिक तकनीकों से लैस महाकुंभ 2025
2025 के महाकुंभ में बिजली, पानी और स्वच्छता के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा, सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ड्रोन और सीसीटीवी के जरिए पूरे मेले की निगरानी की जा रही है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई भी श्रद्धालु किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करे। मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसके लिए सैकड़ों टीमें बनाई गई हैं।
कई क्षेत्रों में होगा लाभ
महाकुंभ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह स्थानीय और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को भी बड़ी गति प्रदान करता है। इस आयोजन से पर्यटन, परिवहन, खाद्य और पेय व्यवसाय, होटल और अस्थायी आवास और स्थानीय हस्तशिल्प उद्योगों को जबरदस्त लाभ होता है। सरकार का अनुमान है कि महाकुंभ 2025 के दौरान करोड़ों लोगों की आवाजाही से स्थानीय व्यापार और रोजगार में भारी वृद्धि होगी।
आयोजन के साथ चुनौतियां भी
छोटे दुकानदार, टैक्सी और रिक्शा चालक, गाइड और स्थानीय कारीगरों के लिए महाकुंभ मेला आय का एक बड़ा स्रोत है। हालांकि, इतने बड़े आयोजन के साथ कुछ चुनौतियां भी उत्पन्न होती हैं। भीड़ का प्रबंधन, सफाई, बिजली और पानी की आपूर्ति और श्रद्धालुओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करना सबसे बड़ी प्राथमिकताएँ हैं। सरकार और प्रशासन इन सभी पहलुओं पर ध्यान दे रहे हैं।
आपातकालीन स्थिति के लिए चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध
महाकुंभ के आयोजन के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं को भी मजबूती से स्थापित किया गया है। आपातकालीन स्थितियों के लिए चिकित्सा सुविधाओं को बढ़ाया गया है, ताकि श्रद्धालुओं को तुरंत सहायता मिल सके। इस बार महाकुंभ का आयोजन केवल धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराओं के लिए भी महत्व रखता है। यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने और उसे आधुनिकता के साथ जोड़ने का उदाहरण है।
देश-विदेश से जुटेंगी हस्तियां
महाकुंभ मेला न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक उत्सव के रूप में भी सामने आता है। इस आयोजन के दौरान देश-विदेश के प्रमुख संत, राजनेता और हस्तियां संगम में डुबकी लगाती हैं। महाकुंभ 2025 का आयोजन भारतीय संस्कृति, परंपरा और आधुनिकता का एक अद्वितीय संगम साबित होगा, जो दुनियाभर के श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करेगा।
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