महाकुंभ में हुआ ऐतिहासिक धर्मध्वजा स्थापना : श्रद्धालुओं ने पूरे विधि-विधान से किया पूजा-अर्चना

UPT | धर्म ध्वजा स्थापित करते संत

Jan 10, 2025 18:23

महाकुंभ नगर में चल रहे महाकुंभ मेले के दौरान शुक्रवार को एक बड़ा धार्मिक और ऐतिहासिक कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस दिन, बड़े उदासीन अखाड़े की धर्म ध्वजा विधिवत रूप से स्थापित की गई और नए उदासीन...

Prayagraj News : महाकुंभ नगर में चल रहे महाकुंभ मेले के दौरान शुक्रवार को एक बड़ा धार्मिक और ऐतिहासिक कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस दिन, बड़े उदासीन अखाड़े की धर्म ध्वजा विधिवत रूप से स्थापित की गई और नए उदासीन अखाड़े ने छावनी में प्रवेश किया। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं और साधु-संतों ने भाग लिया।

ध्वजा स्थापना का भव्य अनुष्ठान
महाकुंभ मेले के छावनी क्षेत्र में अखाड़े की धर्म ध्वजा की स्थापना बड़े ही धूमधाम और पारंपरिक तरीके से की गई। 52 फीट लंबी ध्वजा को क्रेन की सहायता से खड़ा किया गया, जिस पर भगवान हनुमानजी का चित्र अंकित था। इस विधिवत पूजन और स्थापना समारोह में अखाड़े के मुखिया महंत दुर्गादास, महंत महेश्वर दास और सचिव व्यास मुनि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनके साथ-साथ अन्य अखाड़ों के साधु-संत भी इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बने।



पेशवाई का भव्य आयोजन रविवार को
धर्म ध्वजा की स्थापना के बाद अखाड़े के संतों ने घोषणा की कि अब रविवार को मेला छावनी में अखाड़े की पेशवाई होगी। इस अवसर पर एक भव्य जुलूस निकाला जाएगा। जिसमें धर्मध्वजा के साथ रथ, घोड़े और हाथियों का आकर्षक श्रृंगार किया जाएगा। पेशवाई के दौरान साधु-संतों का उत्साहवर्धक जुलूस श्रद्धालुओं के बीच और भी धार्मिक धारा को प्रसारित करेगा।

धर्मध्वजा का महत्व
धर्मध्वजा को अखाड़े में एक महत्वपूर्ण धार्मिक प्रतीक माना जाता है। इसे धार्मिक शक्ति और अखाड़े की परंपराओं का प्रतीक माना जाता है जो मेले के धार्मिक माहौल को और गरिमामय बनाता है। इस ध्वजा की स्थापना से महाकुंभ मेले में धार्मिक उत्साह और आस्था की नई ऊर्जा का संचार हुआ है।

श्रद्धालुओं ने  लिया भाग
ध्वजा स्थापना समारोह में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे और उन्होंने मंत्रोच्चार, भजन-कीर्तन और पूजा-अर्चना के साथ इस पवित्र आयोजन में भाग लिया। मेले के अन्य आयोजनों के साथ, धर्मध्वजा की स्थापना ने श्रद्धालुओं को एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव प्रदान किया। महाकुंभ का यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को जीवित रखने का एक उत्कृष्ट उदाहरण भी है।

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