महाकुंभ 2025 : धर्म संसद की तारीख बदली, सनातन बोर्ड के गठन पर होगा मंथन

UPT | पत्रकारों से बात करते अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रविंद्र पूरी और संत

Dec 04, 2024 20:17

आगामी महाकुंभ 2025 के दौरान आयोजित होने वाली धर्म संसद की तारीख में बदलाव किया गया है। पहले यह धर्म संसद 26 जनवरी 2025 को आयोजित होनी थी, लेकिन अब इसे 27 जनवरी 2025 को आयोजित किया जाएगा।

Prayagraj News : आगामी महाकुंभ 2025 के दौरान आयोजित होने वाली धर्म संसद की तारीख में बदलाव किया गया है। पहले यह धर्म संसद 26 जनवरी 2025 को आयोजित होनी थी, लेकिन अब इसे 27 जनवरी 2025 को आयोजित किया जाएगा। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने इस बदलाव की घोषणा एक प्रेस वार्ता के दौरान की। उन्होंने बताया कि यह धर्म संसद सनातन धर्म से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए ऐतिहासिक साबित होगी।

सनातन बोर्ड के गठन पर होगी चर्चा
धर्म संसद का मुख्य उद्देश्य सनातन बोर्ड के गठन पर चर्चा करना है। इस बोर्ड का गठन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की देखरेख में किया जाएगा, जिसका उद्देश्य सनातन धर्म की परंपराओं और विचारधारा की रक्षा करना होगा। महंत रवींद्र पुरी ने बताया कि बोर्ड के बाइलाज (संविधान) संत समाज द्वारा तैयार किए जाएंगे। इसमें सभी 13 अखाड़ों के महामंडलेश्वर और आचार्य महामंडलेश्वर को स्थान मिलेगा। इसके अध्यक्ष का चयन अखाड़े के वरिष्ठ संतों में से किया जाएगा।

सरकार से विधेयक पारित करने की मांग
महंत रवींद्र पुरी ने सरकार से अपील की कि सनातन बोर्ड के गठन के लिए विधेयक लाया जाए। हालांकि, इस बोर्ड की संरचना और संचालन अखाड़ा परिषद के नेतृत्व में ही होगी। प्रेस वार्ता में आचार्य महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 अरुण गिरी महाराज और अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता महंत दुर्गादास भी उपस्थित रहे।



देशभर के संतों को आमंत्रण
इस धर्म संसद में देशभर के संत-महात्माओं को आमंत्रित किया जाएगा। इसका उद्देश्य सनातन धर्म की रक्षा, प्रचार-प्रसार और इसके अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करना है। इसके साथ ही धर्मांतरण रोकने, परंपराओं के संरक्षण, और आधुनिक युग में सनातन धर्म के प्रचार की रणनीतियों पर भी चर्चा होगी।

महाकुंभ और धर्म संसद का महत्व
महाकुंभ 2025 धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होगा। धर्म संसद में किए गए मंथन से सनातन धर्म की मजबूती और संत समाज की एकजुटता को बढ़ावा मिलेगा। यह आयोजन धर्म और समाज के उत्थान में मील का पत्थर साबित होगा। संत समाज और अनुयायी बेसब्री से इस ऐतिहासिक धर्म संसद का इंतजार कर रहे हैं।

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