किन्नर समाज की हिमांगी सखी बनीं जगद्गुरु : पहली बार किसी किन्नर भगवताचार्य को मिली ये उपाधि, सनातन हिंदू जोड़ो यात्रा का शुभारंभ

UPT | जगद्गुरु की उपाधि मिलने के बाद हिमांगी सखी

Dec 04, 2024 19:44

प्रयागराज के अरैल स्थित परी अखाड़े में बुधवार को एक ऐतिहासिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस आयोजन में परी अखाड़ा की प्रमुख त्रिकाल भवंता ने विश्व की पहली किन्नर भगवताचार्य और महामंडलेश्वर हिमांगी सखी माँ को पट्टाभिषेक करते हुए...

Prayagraj News : प्रयागराज के अरैल स्थित परी अखाड़े में बुधवार को एक ऐतिहासिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस आयोजन में परी अखाड़ा की प्रमुख त्रिकाल भवंता ने विश्व की पहली किन्नर भगवताचार्य और महामंडलेश्वर हिमांगी सखी माँ को पट्टाभिषेक करते हुए उन्हें जगद्गुरु की उपाधि प्रदान की। इस विशेष अवसर पर न केवल धर्म और अध्यात्म की महत्ता को उजागर किया गया, बल्कि समाज में सनातनी हिंदू समुदाय को एकजुट करने और उनके कल्याण के लिए विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन भी किया गया।

कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण
पट्टाभिषेक समारोह में हिमांगी सखी माँ ने समाज और धर्म की सेवा का संकल्प लिया। उन्होंने कहा, "नारी शक्ति के बिना इस पृथ्वी पर कुछ भी संभव नहीं है। नारी की सुरक्षा और सम्मान के लिए मैं निरंतर कार्य करती रहूंगी।" उन्होंने संत महात्माओं से भी अपील की कि वे नारी सुरक्षा और उनके उत्थान में अपनी भूमिका निभाएं।  
सनातन हिंदू जोड़ो यात्रा का शुभारंभ
पट्टाभिषेक के बाद दोपहर को परी अखाड़ा से सनातन हिंदू जोड़ो यात्रा निकाली गई। यह यात्रा नए पुल के नीचे से शुरू होकर फूल मंडी, लेप्रसी चौराहा होते हुए महाकुंभ क्षेत्र तक पहुंची। इस यात्रा का उद्देश्य सनातन धर्म के अनुयायियों को एकजुट करना और धर्म की रक्षा करना है। परी अखाड़ा की प्रमुख त्रिकाल भवंता ने इस मौके पर कहा, "पूरे विश्व, मानव समाज और सनातन धर्म के अनुयायियों को जोड़ने के लिए जगद्गुरु की उपाधि दी गई है। हमारा उद्देश्य समाज का कल्याण और नवनिर्माण करना है।"
अखाड़ा का उद्देश्य और संदेश
कार्यक्रम आयोजक श्याम प्रकाश द्विवेदी ने बताया कि परी अखाड़ा धर्म और समाज के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है। हिंदू जोड़ो यात्रा के माध्यम से सनातनी हिंदुओं को एकजुट कर उनके अधिकारों और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा की जाएगी।   हिमांगी सखी माँ की ऐतिहासिक उपलब्धि
हिमांगी सखी माँ को जगद्गुरु की उपाधि मिलने से किन्नर समाज को भी गर्व का अनुभव हुआ है। यह पहली बार है जब किसी किन्नर भगवताचार्य को यह उपाधि दी गई है। हिमांगी सखी माँ ने अपने भाषण में कहा कि वे इस सम्मान की गरिमा को बनाए रखते हुए धर्म और समाज की सेवा में अपना जीवन समर्पित करेंगी।   धार्मिक और सामाजिक महत्व यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि समाज में सभी वर्गों को जोड़ने का संदेश भी देता है। परी अखाड़ा ने यह सिद्ध कर दिया है कि धर्म और अध्यात्म किसी एक वर्ग या समुदाय तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे मानव समाज के कल्याण का माध्यम है। परी अखाड़ा का यह प्रयास समाज में समरसता, एकता और नारी शक्ति को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सनातन हिंदू जोड़ो यात्रा से इस उद्देश्य को और अधिक व्यापक रूप से प्रचारित किया जाएगा।

Also Read