इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूछे केंद्र और राज्य सरकार से सवाल : ट्रांसजेंडरों को नौकरी देने की क्या है योजना?

UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट

Sep 11, 2024 00:29

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र और प्रदेश सरकार से सवाल किया है कि ट्रांसजेंडरों को नौकरी देने के लिए उनकी क्या योजना है। कोर्ट ने ट्रांसजेंडर नीति पर चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा पेश करने का आदेश दिया ...

Short Highlights
  • सरकारी क्षेत्रों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की भर्ती के लिए विशेष अभियान चलाने की आवश्यकता
  • ट्रांसजेंडर आयुष्मान टीजी प्लस कार्ड योजना के प्रभावी कार्यान्वयन की भी मांग
  • किन्नर शक्ति फाउंडेशन के अध्यक्ष शुभम गौतम की ओर से दाखिल हुई जनहित याचिका
Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र और प्रदेश सरकार से सवाल किया है कि ट्रांसजेंडरों को नौकरी देने के लिए उनकी क्या योजना है। कोर्ट ने ट्रांसजेंडर नीति पर चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा पेश करने का आदेश दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने किन्नर शक्ति फाउंडेशन के अध्यक्ष शुभम गौतम द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान जारी किया। मामले की अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को होगी।
किन्नर शक्ति फाउंडेशन की जनहित याचिका और उसके मांगें
कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से जवाब मांगा है। सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई की गई। किन्नर शक्ति फाउंडेशन के अध्यक्ष शुभम गौतम द्वारा दायर जनहित याचिका में राज्य से कई महत्वपूर्ण मांगें की गई हैं। इनमें प्रभावी आउटरीच और जागरूकता कार्यक्रमों का संचालन, ट्रांसजेंडर सुरक्षा सेल की स्थापना, और ट्रांसजेंडर आयुष्मान टीजी प्लस कार्ड योजना के प्रभावी कार्यान्वयन की मांग शामिल है। इसके अलावा, याचिका में गरिमा गृह सुविधाओं की स्थापना और संचालन के लिए पर्याप्त संसाधनों का आवंटन, ट्रांसजेंडरों की स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं के लिए व्यापक नीतियों की तैयारी, ट्रांसजेंडर शौचालयों की स्थापना, और शिक्षण संस्थानों में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए प्रवेश की व्यवस्था की मांग की गई है। साथ ही, सरकारी क्षेत्रों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की भर्ती के लिए विशेष अभियान चलाने की भी अपील की गई है।   चार सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश
विभिन्न अधिकारियों और उच्च पदस्थ अधिकारियों को कई बार आवेदन प्रस्तुत किए जा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई संतोषजनक प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई है। ट्रांसजेंडर (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 2019 के उद्देश्यों और प्रयोजनों को लागू करने के लिए कोई ठोस कदम उठाए नहीं गए हैं। इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस विकास बुधवार की पीठ ने प्रतिवादी पक्षों को चार सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

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