जस्टिस शेखर यादव के बचाव में उतरा VHP : मिलिंद परांडे बोले- उन्होंने कुछ भी गलत नहीं कहा...

UPT | जस्टिस शेखर यादव

Dec 18, 2024 15:02

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव के द्वारा विश्व हिन्दू परिषद के कार्यक्रम में शामिल होने और अल्पसंख्यकों को लेकर दिए गए बयान ने विवाद पैदा कर दिया है...

Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव के द्वारा विश्व हिन्दू परिषद के कार्यक्रम में शामिल होने और अल्पसंख्यकों को लेकर दिए गए बयान ने विवाद पैदा कर दिया है। इस बीच, विश्व हिन्दू परिषद (VHP) के केंद्रीय संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे ने उनका बचाव किया। उन्होंने कहा कि परिषद सामान्यत: रिटायर जजों को ही अपने कार्यक्रमों में आमंत्रित करती है, लेकिन जस्टिस यादव ने जो भी कहा, उसमें कुछ भी गलत नहीं था।

ज्यादा कुछ कहना उचित नहीं- परांडे
मिलिंद परांडे ने यह भी कहा कि रिटायर जजों से अपेक्षा की जाती है कि वे सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में योगदान करें, जबकि सक्रिय न्यायधीशों से ऐसी कोई उम्मीद नहीं की जाती। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट के कोलोजियम में पेंडिंग है, इसलिए इस पर ज्यादा कुछ कहना उचित नहीं होगा।



SC के कॉलेजियम के सामने दी थी सफाई
गौरतलब है कि इससे पहले, जस्टिस शेखर यादव ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के सामने भी अपनी सफाई दी थी। उन्होंने बताया कि उनके बयान को संदर्भ से बाहर उठाकर विवाद खड़ा किया गया है। जस्टिस यादव ने कहा कि उनकी पूरी स्पीच को ध्यान से नहीं सुना गया। इस दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने उन्हें अपने पद की गरिमा का ध्यान रखने की सलाह दी, ताकि न्यायपालिका का सम्मान बना रहे।

इस बयान से शुरू हुआ विवाद
बता दें कि जस्टिस यादव ने विश्व हिन्दू परिषद के कार्यक्रम में कहा था कि देश को बहुसंख्यकों की भावनाओं के अनुसार चलना चाहिए। उन्होंने मुसलमानों के लिए कठमुल्ला शब्द का इस्तेमाल भी किया, जो विवाद का कारण बना। इसके बाद जस्टिस यादव के खिलाफ महाभियाग चलाने और उन्हें पद से हटाने की मांग उठने लगी है।

वरिष्ठ वकीलों ने की कार्रवाई की मांग
इस भाषण के बाद कई सामाजिक संगठनों और वरिष्ठ वकीलों ने जस्टिस यादव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स (CJAR) ने प्रशांत भूषण के नेतृत्व में चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर जस्टिस यादव के बयान को न्यायिक आचार संहिता के खिलाफ बताया। उन्होंने इस मामले की जांच के लिए एक आंतरिक समिति गठित करने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत कार्रवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट से रिपोर्ट मांगी और जस्टिस यादव को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया।

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