महाकुंभ में पशु प्रेम : मोक्ष की राह पर साधु और बेजुबान साथ, साधना में शामिल हो रहे संन्यासियों के पालतू जानवर

UPT | साधना में शामिल हो रहे संन्यासियों के पालतू जानवर

Dec 28, 2024 19:18

संगम की रेती पर आयोजित महाकुंभ में भक्ति, साधना और अध्यात्म का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। महाकुंभ के अखाड़ा सेक्टर में जहां नागा संन्यासियों की साधना और तपस्या की गूंज है...

Prayagraj News : संगम की रेती पर आयोजित महाकुंभ में भक्ति, साधना और अध्यात्म का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। महाकुंभ के अखाड़ा सेक्टर में जहां नागा संन्यासियों की साधना और तपस्या की गूंज है, वहीं उनके साथ बेजुबान पशु भी इस अद्भुत वातावरण का हिस्सा बने हुए हैं। इस बार के महाकुंभ में कुछ खास संन्यासियों की पशु प्रेम की मिसाल लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही है।

संतों के साथ बेजुबान पशुओं का अनोखा संगम
नागा संन्यासी श्रवण गिरी और उनके पालतू कुत्ते लाली का रिश्ता साधना और प्रेम का बेहतरीन उदाहरण बन चुका है। मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर से आए महंत श्रवण गिरी के लिए लाली सिर्फ एक कुत्ता नहीं है, बल्कि उनका साधना का हिस्सा है। महंत श्रवण गिरी बताते हैं कि उन्हें 2019 के कुंभ में प्रयागराज से काशी जाते समय लाली मिली थी और तभी से वह उनके साथ हैं। जब वह साधना करते हैं तो लाली शिविर के बाहर उनका ध्यान रखती है। लाली का हेल्थ कार्ड भी बना हुआ है, जिसमें उसे निशुल्क उपचार मिलता है।



महंत तारा गिरी और सोमा का गहरा प्रेम
महाकुंभ में कुत्ता प्रेमी संन्यासियों की एक और उदाहरण पेश करते हैं महंत तारा गिरी जो अपने पालतू कुत्ते सोमा के साथ यहां आए हैं। गुड़गांव के खेटाबास आश्रम से महाकुंभ आए महंत तारा गिरी बताते हैं कि सोमा का जन्म सोमवार के दिन हुआ था। इसलिए उसका नाम सोमा रखा गया। महंत तारा गिरी की शिष्या पूर्णा गिरी ने सोमा की देखभाल की जिम्मेदारी ली है। उनके अनुसार साधु-संतों का कोई परिवार नहीं होता ऐसे में सोमा उनके लिए एक संतान की तरह है। सोमा पूरी तरह से सात्विक भोजन ग्रहण करती है और साधना में अपनी पूरी भूमिका निभाती है।

श्रद्धालुओं की भीड़ और पशु प्रेम का अद्भुत संगम
महाकुंभ में साधना और भक्ति के रंग में रंगे श्रद्धालु इन अनोखी कहानियों को सुनने के लिए उमड़ रहे हैं। संन्यासियों के साथ उनके पेट्स का अनोखा रिश्ता यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक नई प्रेरणा बनकर उभरा है। इस अद्भुत महाकुंभ में साधना और प्रेम की परिभाषा कुछ अलग ही रूप में सामने आ रही है, जहां इंसान और बेजुबान दोनों साथ-साथ भक्ति की राह पर चल रहे हैं।

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