निरंजनी अखाड़े की रोचक कहानी : सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे साधुओं का जमावड़ा, IIT ग्रेजुएट भी शामिल...प्रयागराज में है मुख्यालय

UPT | निरंजनी अखाड़ा (शैव)

Jan 09, 2025 17:59

प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक विश्व के सबसे बड़े धार्मिक मेले महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है, जिसमें देश के विभिन्न अखाड़ों के साधु-संतों का जमावड़ा लगेगा...

Prayagraj News : प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक विश्व के सबसे बड़े धार्मिक मेले महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है, जिसमें देश के विभिन्न अखाड़ों के साधु-संतों का जमावड़ा लगेगा। इन साधु-संतों द्वारा पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाने का आयोजन होगा। महाकुंभ में हिस्सा लेने वाले 13 प्रमुख अखाड़ों में से एक है निरंजनी अखाड़ा। यह अखाड़ा भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय को अपना इष्टदेव मानता है। वर्तमान में इस अखाड़े के महामंडलेश्वर डॉ. सुमनानंद गिरि हैं। निरंजनी अखाड़ा प्रयागराज में स्थित है और इसके महामंडलेश्वर महंत और दिगंबर साधु होते हैं। 

क्या है अखाड़ा का पूरा नाम
निरंजनी अखाड़ा का पूरा नाम "श्री पंचायती तपोनिधि निरंजन अखाड़ा" है और इसका मुख्य आश्रम हरिद्वार के मायापुर में स्थित है। इस अखाड़े की गिनती देश के सबसे बड़े और प्रमुख अखाड़ों में होती है। यह अखाड़ा जूना अखाड़े के बाद सबसे ताकतवर माना जाता है और देश के 13 प्रमुख अखाड़ों में एक है। अगर साधुओं की संख्या की बात की जाए तो निरंजनी अखाड़ा इस मामले में अग्रणी है। 



गुजरात में हुई थी स्थापना
निरंजनी अखाड़े की स्थापना 726 ईस्वी (विक्रम संवत 960) में गुजरात के मांडवी में हुई थी। इस अखाड़े की नींव महंत अजि गिरि, मौनी सरजूनाथ गिरि, पुरुषोत्तम गिरि सहित अन्य संतों ने मिलकर रखी थी। इस अखाड़े के आश्रम विभिन्न स्थानों पर स्थित हैं, जैसे उज्जैन, हरिद्वार, त्रयंबकेश्वर और उदयपुर। इस अखाड़े का धर्मध्वज गेरुआ रंग का है। माना जाता है कि जूना अखाड़े के बाद निरंजनी अखाड़ा सबसे शक्तिशाली है। 

सबसे अधिक शिक्षितों का अखाड़ा
निरंजनी अखाड़े की खासियत यह है कि यहां के साधुओं में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वालों की संख्या सबसे अधिक है। इस अखाड़े में प्रोफेसर, डॉक्टर, और अन्य पेशेवर लोग शामिल हैं। यह अखाड़ा शैव परंपरा का है और इसके 70 फीसदी साधुओं ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है। इसके अलावा, यह अखाड़ा सबसे धनी अखाड़ों में से एक माना जाता है। निरंजनी अखाड़े ने हमेशा भारतीय धार्मिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण परंपराएं स्थापित की हैं और हरिद्वार कुंभ के दौरान कोविड-19 के असर को लेकर पहले नाम वापस लेने का निर्णय लिया था। 

देशभर में विभिन्न स्थानों पर हैं मठ और आश्रम
निरंजनी अखाड़े की संपत्ति भी अत्यधिक है। प्रयागराज और आसपास के क्षेत्रों में इसके मठ, मदिर और भूमि शामिल हैं, जिनकी कीमत 300 करोड़ से अधिक है। अन्य राज्यों में स्थित संपत्तियां मिलाकर इसकी कुल संपत्ति 1000 करोड़ से भी ज्यादा बताई जाती है। इस अखाड़े के पास 10,000 से अधिक नागा संन्यासी हैं और महामंडलेश्वरों की संख्या 33 है। इसके अलावा महंत और श्रीमहंतों की संख्या भी 1000 से अधिक है। निरंजनी अखाड़े के मठ और आश्रम देशभर के विभिन्न स्थानों जैसे प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक, उज्जैन, मिर्जापुर, माउंट आबू, जयपुर, वाराणसी, नोएडा, वड़ोदरा आदि में स्थित हैं।

महामंडलेश्वर बनने के लिए क्या है आवश्यक
निरंजनी अखाड़े का महामंडलेश्वर बनने के लिए किसी विशेष शैक्षिक योग्यता की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन इसमें वैराग्य और संन्यास का होना आवश्यक है। महामंडलेश्वर बनने के लिए संस्कृत, वेद और पुराणों का ज्ञान होना चाहिए और उस व्यक्ति को कथा-प्रवचन करने की क्षमता होनी चाहिए। किसी व्यक्ति को यह पद बचपन में या जीवन के चौथे चरण (वानप्रस्थाश्रम) में प्राप्त हो सकता है, लेकिन इसके लिए अखाड़े में परीक्षा भी होती है। 

अखाड़े में शामिल होने के लिए दी जाती है शिक्षा
निरंजनी अखाड़े में शामिल होने के लिए स्थाई और अस्थाई दोनों प्रकार की दीक्षा देने की परंपरा है। गृहस्थ परिवार से आने वालों को अस्थाई दीक्षा दी जाती है, जिसके तहत उनकी आधी चोटी काटी जाती है और देखा जाता है कि क्या वे सन्यास के जीवन को जीने के योग्य हैं। अगर किसी का मन नहीं लगता, तो उसे घर वापस भेज दिया जाता है। जो व्यक्ति सन्यास के जीवन को पूरी तरह अपनाता है, उसे कुंभ के समय पूर्ण सन्यास दीक्षा दी जाती है।

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