महाकुंभ में नागा साधुओं की अद्भुत तपस्या : प्रमोद गिरी महाराज कड़ाके की ठंड में सुबह 4 बजे 61 घड़ों से करते हैं स्नान

UPT | सुबह 4 बजे स्नान करते प्रमोद गिरी महाराज

Jan 09, 2025 16:00

महाकुंभ में नागा साधुओं का तप और हठ योग सभी का ध्यान आकर्षित कर रहा है। खासकर, नागा साधु प्रमोद गिरी महाराज ने अपनी अनोखी तपस्या और हठ योग के जरिए इस महाकुंभ के केंद्र बिंदु बन गए हैं।

Prayagraj News : प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में जहां लाखों श्रद्धालु आध्यात्मिक ऊर्जा और संस्कृति के संगम का अनुभव कर रहे हैं, वहीं नागा साधुओं का तप और हठ योग सभी का ध्यान आकर्षित कर रहा है। खासकर, नागा साधु प्रमोद गिरी महाराज ने अपनी अनोखी तपस्या और हठ योग के जरिए इस महाकुंभ के केंद्र बिंदु बन गए हैं।

1 घड़ों का अनुष्ठान स्नान: तपस्या का अद्भुत दृश्य
हर सुबह 4:00 बजे, जब ठंड अपने चरम पर होती है और आम लोग गर्म कपड़ों में घरों के भीतर रहते हैं, तब नागा साधु प्रमोद गिरी महाराज 61 घड़ों के ठंडे पानी से स्नान कर अपने हठ योग का प्रदर्शन करते हैं। यह साधना ऐसी है, जिसमें प्रतिदिन घड़ों की संख्या बढ़ाई जाती है, उनके दृढ़ संकल्प और तपस्या की अद्भुत मिसाल पेश करती है।

क्या है यह अनुष्ठान?
बाबा प्रमोद गिरी महाराज बताते हैं कि उनका यह अनुष्ठान मानवता और समाज के कल्याण के लिए किया जाता है। इसकी शुरुआत 51 घड़ों से शुरू होता है। इसके बाद प्रतिदिन घड़ों की संख्या बढ़ाई जाती है। किसी दिन तीन घड़े, तो किसी दिन दो घड़े बढ़ाए जाते हैं। इस अनुष्ठान के 21वें दिन तक यह संख्या 108 घड़ों तक पहुंच जाएगी।

महत्वपूर्ण प्रक्रिया: हठ योग और राख का प्रयोग 
ठंडे पानी से स्नान करने के बाद, बाबा अपने शरीर पर राख (भस्म) लगाते हैं और ध्यान के लिए पवित्र अग्नि के पास बैठते हैं। यह प्रक्रिया उनके शरीर और आत्मा को स्थिरता और ऊर्जा प्रदान करती है। बाबा का कहना है कि राख उन्हें ठंड से बचाती है और उनके तप का प्रतीक है। इस मामले में बाबा प्रमोद गिरी महाराज कहते हैं हमारी तपस्या स्वार्थ रहित है। हम इसे मानवता और सनातन धर्म के कल्याण के लिए करते हैं। यह हमारे गुरुओं की परंपरा है, जिसे हम आगे बढ़ा रहे हैं।"

महाकुंभ में नागाओं का शाही स्नान
14 जनवरी को नागा साधुओं का पहला शाही स्नान होगा, जो इस अनुष्ठान का एक प्रमुख हिस्सा है। बाबा प्रमोद गिरी महाराज के लिए यह दिन खास होगा, क्योंकि वे सबसे पहले अपने अनुष्ठान स्नान को पूर्ण करेंगे और फिर शाही स्नान के लिए आगे बढ़ेंगे। प्रमोद गिरी महाराज अटल अखाड़ा से जुड़े हुए हैं। उनका कहना है कि साधु जीवन में तपस्या और हठ योग का अभ्यास सदियों पुरानी परंपरा है।

तपस्या का महत्व: मानवता की सेवा और सनातन धर्म की रक्षा
अनुष्ठान का अनुभव: यह उनका नौवां वर्ष है, जब वे हठ योग और ठंडे पानी से स्नान कर रहे हैं। 
साधु जीवन का दर्शन: "हमारे गुरुओं का आशीर्वाद हमारे साथ है, और जब तक यह अनुकंपा है, हमारी तपस्या जारी रहेगी। प्रयागराज महाकुंभ में नागा साधुओं के ऐसे हठ योग ने इस धार्मिक मेले को एक नई गहराई प्रदान की है। बाबा प्रमोद गिरी महाराज की तपस्या न केवल सनातन धर्म के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाती है, बल्कि मानवता के कल्याण के लिए किए गए उनके प्रयासों को भी उजागर करती है। यह घटना महाकुंभ की आध्यात्मिकता और तप की परंपरा का प्रतीक है, जो सभी श्रद्धालुओं को प्रेरित करती है।

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