नेमप्लेट विवाद पर जयंत चौधरी ने तोड़ी चुप्पी : बोले- 'अब क्या कुर्ते पर भी लिख दें नाम?', सरकार को दी हिदायत

UPT | नेमप्लेट विवाद पर जयंत चौधरी ने तोड़ी चुप्पी

Jul 21, 2024 17:03

कांवड़ मार्ग पर स्थित दुकानों पर नेम प्लेट चिपकाने के योगी सरकार के फैसले पर विवाद अब गहराता जा रहा है। जेडीयू और एलजेपी के बाद अब राष्ट्रीय लोक दल के नेता जयंत चौधरी ने भी इस पर टिप्पणी की है।

Short Highlights
  • नेमप्लेट विवाद पर जयंत ने तोड़ी चुप्पी
  • जयंत चौधरी ने सरकार को घेरा
  • सरकार के फैसले पर गहराया विवाद
Muzaffarnagar News : कांवड़ मार्ग पर स्थित दुकानों पर नेम प्लेट चिपकाने के योगी सरकार के फैसले पर विवाद अब गहराता जा रहा है। पहले विपक्षी नेताओं ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया, तो वहीं अब भाजपा के सहयोगी दल भी इस पर असहमति व्यक्त कर रहे हैं। जेडीयू और एलजेपी के बाद अब राष्ट्रीय लोक दल के नेता जयंत चौधरी ने भी इस पर टिप्पणी की है।

जयंत चौधरी ने सरकार को घेरा
जयंत चौधरी से जब मीडियाकर्मियों ने पूछा कि वह इस पर क्या सोचते हैं, तो जयंत ने कहा- 'ये कोई मुद्दा तो है नहीं। इस पर हमारे प्रदेश अध्यक्ष बोल चुके हैं, वही पार्टी का स्टैंड है। जो कांवड़ लेकर जाते हैं, उनकी सेवा में सभी लगते हैं। न तो कावंड़ लेकर जाने वाला व्यक्ति कोई पहचान करता है। सेवादार के काम को वह आशीर्वाद की तरह ग्रहण करते हैं। कोई जाति या धर्म की पहचान करके सेवा नहीं लेता और न ही इस मामले को धर्म-जाति से जोड़ा जाना चाहिए। आदेश में कहा गया है कि सब प्रतिष्ठान अपना नाम लिखें। मालिक कोई और हो सकता है। ब्रांड कुछ और हो सकता है। मैकडोनाल्ड्स क्या लिखेगा? खतौली में बर्गर किंग क्या लिखेगा? पुराने ब्रांड भी हैं। किसी का नाम हो सकता है। एक नहीं, कई मालिक हो सकते हैं। कंपनी का नाम हो सकता है।'
 
'कुर्ते पर भी लिखवा लें नाम'
जयंत चौधरी ने आगे कहा कि 'मुझे लगता है कि ज्यादा समझ के फैसला नहीं लिया। अब फैसला ले लिया तो उस पर टिक रहे हैं। कभी-कभी ऐसा हो जाता है सरकार में। अभी भी वापस हो जाना चाहिए या उस पर ज्यादा जोर न दिया जाए। मुझे नहीं लगा कि कहीं कोई जोर-जबरदस्ती या प्रशासन का कोई दबाव है। जो इच्छा से लगा रहा है, वह लगाए। जहां तक वेज और नॉनवेज की बात है, उसमें सेंस है। यह प्रमाणित होना चाहिए कि जो पदार्थ उसमें है, वह शाकाहारी हो। प्रक्रिया शुद्ध हो। किसने हाथ से बन रही है, इससे क्या मतलब है? मुसलमान शाकाहारी हैं औ हिंदू मीट खाने वाले भी हैं।' इस दौरान किसी पत्रकार ने कहा कि पहले तो खाने-पीने की दुकानों में था, अब टायर-पंचर की दुकानों पर भी लग रहा है। इस पर जयंत ने कहा कि 'कहां-कहां लगवाओगे, अब कुर्ते में भी लिखना शुरू कर दें क्या अपना नाम कि देखकर हाथ मिलाना है या गले लगाना है।'

क्या फैसला वापस लेगी सरकार?
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नेमप्लेट लगाने के फैसले का रालोद के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय पहले ही विरोध कर चुके हैं। उन्होंने 18 जुलाई को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा- 'उत्तर प्रदेश प्रशासन का दुकानदारों को अपने दुकान पर अपना नाम और धर्म लिखने का निर्देश देना जातीय और सम्प्रदाय को बढ़ावा देने वाला कदम है। प्रशासन इसे वापस ले। यह गैर संवैधानिक निर्णय है।' इसके बाद उन्होंने एक और पोस्ट कर कहा- 'दुकानदारों को अपने दुकान पर नाम लिखने का प्रशासन का निर्देश अनुचित है, वापस लेना चाहिए प्रशासन को।' विपक्षी दलों के बाद अब सहयोगी दलों की तरफ से उठ रहे विरोध के स्वर के बाद सरकार फैसला वापस लेगी, इसकी उम्मीद कम ही है।

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